सुप्रीम कोर्ट ने सांसद राघव चड्ढा से राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से माफी मांगने को कहा है. शीर्ष अदालत ने कहा कि कथित तौर पर सदन में व्यवधान फैलाने के आरोप पर आप चेयरमैन से बिना शर्त माफी मांग लें.
सीजेआई ने कही ये बात
राघव चड्ढा मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई तो चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, 'आपने बिना शर्त माफी की बात कही थी और बेहतर होगा कि आप चेयरमैन से अपॉइंटमेंट लेकर उनसे मिलें. उनकी सुविधा के मुताबिक आप उनके घर, दफ्तर या सदन में माफी मांग लें. क्योंकि यह सदन और उपराष्ट्रपति सह राज्य सभा सभापति की गरिमा का मामला है.'
सीजेआई ने कहा कि सदन के युवा और पहली बार सदस्य होने के मद्देनजर सभापति राघव को क्षमा करने के लिए सहानुभूति पूर्वक विचार करें.
कोर्ट की सुनवाई के बाद राघव ने ट्वीट किया. इसमें उन्होंने बताया कि वह उपराष्ट्रपति से मिलने का वक्त मांगेंगे.
राघव के वकील ने कहा कि माफी मांगने में कोई हर्ज नहीं
राघव के वकील शादान फरासत ने कहा कि राघव राज्यसभा के सबसे युवा सदस्य हैं उनको क्षमा मांगने में कोई हर्ज नहीं है. वो पहले भी क्षमा याचना कर चुके हैं. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राघव शीघ्रातिशीघ्र ये सब कर लें. शादान ने कहा कि राघव के निलंबन का प्रस्ताव पूरे सदन ने पारित किया था लेकिन सभापति अपने स्तर पर भी इसे रद्द कर सकते हैं.
सीजेआई ने कहा कि सभापति इस पर सहानुभूति पूर्वक विचार कर सकते हैं. एसजी मेहता ने कहा कि उपराष्ट्रपति अभी बाहर गए हैं. दिवाली के बाद सभापति से मुलाकात हो सकती है.
पिछली सुनवाई में कोर्ट में चड्ढा के वकील ने कहा था कि वो सदन में खेद जताते हुए माफी भी मांग चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी टिप्पणी की थी कि इस कोर्ट ने पहले भी एक फैसले में कहा था कि सदन की कार्यवाही में खलल डालने के लिए अधिकतम सजा पूरे सत्र के लिए निलंबन हो सकता है, इससे ज्यादा नहीं.
दरअसल राघव चड्ढा ने खुद को राज्यसभा से निलंबित करने के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इससे पहले कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि आखिर इसमें किस नियम के तहत सुनवाई होगी क्योंकि चड्ढा के निलंबन का प्रस्ताव तो पूरे सदन ने पारित किया था.