इस बार के गोवा विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. बहुमत से एक सीट कम रहते हुए बीजेपी ने 20 सीट पर जीत दर्ज की. पार्टी ने दावा किया है कि उसे एमजीपी और कुछ निर्दलियों का समर्थन हासिल हो गया है. ऐसे में सरकार बनाने में कोई दिक्कत नहीं आने वाली है. इस बीच गोवा के राज्यपाल Sreedharan Pillai ने विधानसभा को भंग कर दिया है. इस बीच विश्वजीत राणे ने अचानक राज्यपाल से मुलाकात की. इससे राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है.
15 मार्च को गोवा सरकार का कार्यकाल समाप्त होने जा रहा था, बीजेपी की तरफ से भी राज्यपाल से विधानसभा भंग करने की मांग कर दी गई थी. अब राज्यपाल ने शनिवार को ये अहम फैसला ले लिया और अब नई सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.
इस बार का गोवा चुनाव कई मायनों में खास रहा. मनोहर पर्रिकर के बिना बीजेपी चुनावी मैदान में उतरी थी. उनके बेटे भी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे. ममता की टीएमसी भी चुनावी किस्मत आजमा रही थी और आम आदमी पार्टी भी अपनी सक्रियता बढ़ाने का प्रयास कर रही थी. लेकिन जब नतीजे सामने आए तो बीजेपी तीसरी बार लगातार सरकार बनाने के करीब पहुंच गई और कांग्रेस फिर सत्ता से दूर हो गई. अब सवाल ये है कि प्रमोद सावंत दोबारा गोवा के सीएम बनते हैं या बीजेपी किसी और को जिम्मेदारी सौंप देती है.
इस मुलाकात की खूब हो रही चर्चा
वे कह जरूर रहे हैं कि ये चुनाव उनकी अध्यक्षता में लड़ा गया था, वे दोबारा सीएम भी बन सकते हैं. लेकिन पार्टी हाईकमान की तरफ से अभी कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला है. संकेत कोई मिलता उससे पहले विश्वजीत राणे ने अचानक से राज्यपाल से मुलाकात कर ली. उन्होंने कहा जरूर कि राज्यपाल से कोई भी मुलाकात कर सकता है लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई कि कही विश्वजीत राणे भी सीएम कैंडिडेट तो नहीं?
वैसे इस समय बीजेपी में अंदरूनी कलह के संकेत भी मिल रहे हैं. कारण है सरकार बनाने के लिए एमजीपी से समर्थन. एमजीपी ने गोवा चुनाव के लिए ममता की टीएमसी संग गठबंधन किया था. ऐसे में अब जब उसी एमजीपी का साथ बीजेपी को सरकार बनाने के लिए चाहिए, पार्टी के कुछ नेता ही असहज नजर आ रहे हैं. अगर मीडिया सवाल भी पूछ रही है तो कुछ बीजेपी नेता फैसला हाईकमान पर सौंप रहे हैं और खुद कोई भी बयान देने से बच रहे हैं.