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Goa Murder Case: इनोवा में एक लाश के सफर की पूरी कहानी, कार ड्राइवर रॉयजॉन डिसूजा की जुबानी

Goa Murder Case: गोवा में मां के हाथों 4 साल के बच्चे की हत्या के केस में ड्राइवर रॉयजॉन डिसूजा (Driver Roy John DSouza) ने पूरे सफर की कहानी बताई है. ड्राइवर ने बताया कि पूरे सफर के दौरान सूचना सेठ के चेहरे पर कोई शिकन या घबराहट के भाव नहीं थे.

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ड्राइवर रॉयजॉन डिसूजा व गिरफ्त में सूचना सेठ.
ड्राइवर रॉयजॉन डिसूजा व गिरफ्त में सूचना सेठ.

गोवा के 'द सोल बनयान ग्रैंडे' होटल से 7 जनवरी की रात साढ़े 12 बजे जिस इनोवा गाड़ी में सूचना सेठ अपने बेटे की लाश को बैग में रखकर बेंगलुरु के लिए निकली थी, उस कार के ड्राइवर रॉयजॉन डिसूजा ने पुलिस को पूरी कहानी बताई है. सात जनवरी को रॉयजॉन डिसूजा नॉर्थ गोवा के अंजुणा इलाके में अपने घर पर मौजूद था. डिसूजा पेशे से कैब ड्राइवर है.

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7 जनवरी को संडे था. अमूमन डिसूजा संडे को अपने परिवार के साथ ही रहता था. उस रात करीब 11 बजे डिसूजा के मोबाइल पर कॉल आया. ये कॉल होटल सोल बनयान ग्रैंडे के रिसेप्शन से था. डिसूजा इस नंबर को पहचानता था, क्योंकि वो कई बार इस होटल से गेस्ट को गोवा घुमाने के लिए ले जा चुका था. फोन करने वाले ने डिसूजा से पूछा कि क्या वो बेंगलुरु तक जा सकता है? एक लेडी पैसेंजर को बेंगलुरु छोड़ना है.

आम तौर पर डिसूजा अपनी कैब इतनी दूर तक नहीं ले जाता था, लेकिन उसे नाइट शिफ्ट पसंद थी. रात को कैब चलाना उसे अच्छा लगता था, क्योंकि तब सड़क खाली हुआ करती थी. चूंकि पैसेंजर को बेंगलुरु छोड़कर वापस आना था, इसलिए डिसूजा ने वापसी का किराया भी जोड़कर कुल 30 हजार रुपये की मांग की, साथ ही ये भी कहा कि चूंकि उसे बेंगलुरु से गोवा वापस अकेले आना है, ऐसे में वो अपने साथ एक साथी ड्राइवर को भी ले जाएगा. सौदा तय हो गया. इसके बाद रिसेप्शन से कहा गया कि वो ठीक साढ़े 12 बजे होटल पहुंच जाए.

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इनोवा में एक लाश के सफर की पूरी कहानी, कार ड्राइवर रॉयजॉन डिसूजा की जुबानी

इसके बाद डिसूजा ने एक ड्राइवर को अपने साथ जाने के लिए तैयार कर लिया. दोनों ने कपड़े पैक किए, इसके बाद इनोवा कार में फ्यूल भरवाया और साढ़े 12 से कुछ पहले ही होटल द सोल बनयान ग्रैंडे पहुंच गया. होटल पहुंचने के बाद उसने रिसेप्शन पर सूचना दी. थोड़ी ही देर बाद उसने देखा कि एक महिला सामने से आ रही है. उसके हाथ में लाल रंग का एक बड़ा सा ट्रॉली बैग था. वो महिला 'द माइंडफुल एआई लैब' की सीईओ सूचना सेठ थी.

होटल के रिसेप्शन पर बैठे शख्स ने सूचना सेठ को कैब ड्राइवर से मिलवाया. सूचना सफर के लिए तैयार थी. उसने ट्रॉली बैग डिसूजा को थमा दिया. डिसूज़ा ट्रॉली बैग लेकर होटल के गेट पर ही पोर्च में खड़ी गाड़ी तक गया.

इसके बाद उसने कार की डिग्गी खोली और पहली बार बैग को हाथों से उठाकर डिग्गी में रखा. तभी उसे अहसास हुआ कि बैग कुछ ज्यादा ही भारी है, लेकिन इसके बारे में ज्यादा नहीं सोचा. सूचना सेठ ड्राइवर के पीछे वाली सीट पर बांयी तरफ बैठ गई, जबकि डिसूजा का साथी ड्राइवर आगे ड्राइवर की बराबर वाली सीट पर बैठ गया.

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इसके बाद इनोवा कार होटल से निकल पड़ी. उस समय घड़ी में रात के ठीक साढ़े 12 बजे थे. अगले डेढ़ घंटे तक गाड़ी दौड़ती रही. देर रात होने की वजह से ट्रैफिक उतना नहीं था, लेकिन हाईवे पर ट्रक काफी थे. डेढ़ घंटे बाद रात के करीब 2 बजे थे. गाड़ी गोवा-कर्नाटक बॉर्डर पर पहुंच चुकी थी, तभी डिसूजा ने देखा कि हाईवे पर गाड़ियों की कतार लगी हुई है.

जानकारी की तो पता चला कि एक ट्रक बीच सड़क पर पलट गया है, जिसकी वजह से ट्रैफिक रुक गया है. पलटे ट्रक को हटाने में कई घंटे लगने वाले थे और तब तक ट्रैफिक क्लियर नहीं हो सकता था. डिसूजा ने कार से उतरकर जानकारी की तो पता चला कि ट्रैफिक क्लियर होने में कम से कम चार से छह घंटे लग सकते हैं. यानी तब तक वो यहीं फंसा रहेगा. 

इनोवा में एक लाश के सफर की पूरी कहानी, कार ड्राइवर रॉयजॉन डिसूजा की जुबानी

डिसूजा को ख्याल आया कि होटल के रिसेप्शन से फोन करने वाले ने उसे ये बताया था कि सूचना सेठ को बहुत ही जरूरी काम है और उसे जल्दी बेंगलुरु पहुंचना है. उसे लगा कि वो उसे जल्दी बेंगलुरु नहीं पहुंचा सकता, तब उसने पहली बार सूचना से कहा कि जाम लंबा है, चार छह घंटे लग जाएंगे और आपको जल्दी पहुंचना है. अगर आप कहें तो मैं दूसरे रूट से आपको एयरपोर्ट पहुंचा सकता हूं. वहां से आप वक्त पर बेंगलुरु पहुंच जाएंगी, क्योंकि फ्लाइट से जाना बेहतर होगा.

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सूचना सेठ ने डिसूजा की बात अनसुनी करते हुए कहा कि उसे सड़क के रास्ते ही बेंगलुरु जाना है. जाम खुलने का इंतजार करो. डिसूजा को सूचना सेठ की ये बात बड़ी अटपटी लगी. उसे लगा कि उसने देर रात इसलिए टैक्सी बुलाई है, ताकि वो जल्दी से बेंगलुरु पहुंच सके, लेकिन उसे ट्रैफिक जाम से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था.

इसके बाद ड्राइवर डिसूजा ने सोचा कि मेरा क्या जाता है, मुझे तो 30 हजार रुपये मिलने वाले हैं. कुछ घंटे बाद ट्रैफिक खुल गया और गाड़ी फिर अपनी रफ्तार से भागने लगी. इस दौरान पूरे रास्ते सूचना बिल्कुल खामोश थी. वो दोनों ड्राइवरों में से किसी से कोई बात नहीं कर रही थी. सफर काटने के लिए डिसूजा और उसका साथी ड्राइवर आपस में कोंकणी भाषा में बात कर रहे थे.

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इस बातचीत के दौरान ही दोनों को अंदाजा हो गया था कि सूचना कोंकणी नहीं जानती. बीच में बस एक बार सूचना सेठ ने डिसूजा से पूछा कि क्या वो पानी या चाय पीना चाहता है? इसके बाद उसने एक जगह गाड़ी रोकी और फिर चाय पीने के बाद फिर से गाड़ी चल पड़ी. अगले कुछ घंटे तक वो नॉन स्टॉप गाड़ी चलाता रहा. अब सुबह के 11 बज चुके थे, तभी डिसूजा के मोबाइल की घंटी बजी.

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कॉल रिसीव करने पर पता चला कि कॉल कलंगुट पुलिस स्टेशन से आया है और फोन पर थाने का इंस्पेक्टर है. इंस्पेक्टर ने अपना परिचय देने के बाद डिसूजा से पूछा कि क्या वो लेडी पैसेंजर इस वक्त भी उसकी गाड़ी में है? और क्या उसके साथ कोई बच्चा भी है? पुलिस इंस्पेक्टर ड्राइवर से पूरी बातचीत कोंकणी जुबान में कर रहा था. इसलिए सूचना को कुछ समझ नहीं आ रहा था.

इनोवा में एक लाश के सफर की पूरी कहानी, कार ड्राइवर रॉयजॉन डिसूजा की जुबानी

डिसूजा ने पुलिस इंस्पेक्टर को बताया कि लेडी पैसेंजर अब भी कार में है, लेकिन उसके साथ कोई बच्चा नहीं है. तब पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा कि जिस होटल से उस लेडी पैसेंजर ने चेकआउट किया है, उस कमरे से खून के कुछ निशान मिले हैं. इसीलिए उस पर शक है. ये कहते हुए पुलिस इंस्पेक्टर ने कोंकणी में ही डिसूजा से कहा कि अपना फोन लेडी पैसेंजर को दे दे. तब डिसूजा ने पहली बार हिंदी में सूचना से कहा कि आपसे कोई बात करना चाहता है.

डिसूजा के मुताबिक, करीब दो-तीन मिनट तक सूचना ने फोन पर बातचीत की. उसे बस इतना समझ आया कि उसने पुलिस वालों को गोवा का कोई एड्रेस बताया है. इसके बाद फोन बंद हो गया और सूचना ने फोन डिसूजा को दे दिया. डिसूजा के मुताबिक, इस फोन पर हुई पूरी बातचीत के दौरान भी सूचना बिल्कुल शांत थी. उसके चेहरे पर घबराहट के कोई निशान नहीं थे.

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सूचना का बताया गया एड्रेस के फर्जी निकलने के बाद कलिंगुट थाने के पुलिस इंस्पेक्टर ने एक बार फिर डिसूजा को कॉल किया. तब दोपहर के लगभग साढ़े 12 बजे थे. इस बार जैसे ही डिसूजा ने फोन उठाया.

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पुलिस इंस्पेक्टर ने कोंकणी जुबान में ही डिसूजा से कहा कि किसी भी कीमत पर वो फौरन अपनी गाड़ी को किसी नजदीकी पुलिस स्टेशन में ले जाए. पर ऐसा करते वक्त सूचना को कोई शक न हो पाए. डिसूजा ये सुनकर पहली बार घबराया, लेकिन फिर भी उसने अपने चेहरे से ये जाहिर नहीं होने दिया. जिस वक्त ये बातचीत हो रही थी, तब गाड़ी एक्सप्रेस वे पर दौड़ रही थी. एक्सप्रेस वे के दोनों तरफ सिर्फ खेत और गांव ही दिखाई दे रहे थे. बीच-बीच में कुछ साइन बोर्ड भी लगे थे, लेकिन सभी साइन बोर्ड कन्नड़ जुबान में थे.

डिसूजा को कन्नड़ नहीं आती थी. ऐसे में उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो किधर जाए. नजदीकी पुलिस स्टेशन कहां होगा? इसी उधेड़बुन में डिसूजा को अचानक गूगल का ख्याल आया. उसने फौरन गूगल पर अपने करंट लोकेशन से नजदीकी पुलिस स्टेशन को ढूंढ़ा, मगर गूगल मैप ने जिस नजदीकी पुलिस स्टेशन का रास्ता दिखाया, वो उसके करंट लोकेशन से 150 किलोमीटर दूर था.

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इनोवा में एक लाश के सफर की पूरी कहानी, कार ड्राइवर रॉयजॉन डिसूजा की जुबानी

डिसूजा को लगा कि दूरी बहुत ज्यादा है और उसे जल्द से जल्द पुलिस स्टेशन पहुंचना है. तब उसने एक चाल चली. जैसे ही सड़क किनारे डिसूजा को एक रेस्तरां दिखाई दिया, उसने रेस्तरां के बाहर गाड़ी रोक दी, फिर उसने सूचना से कहा कि उसे और उसके को ड्राइवर को वॉशरूम जाना है. उसने सूचना से भी पूछा, पर सूचना ने मना कर दिया. अब दोनों गाड़ी से उतरकर सीधे रेस्तरां में पहुंचे.

रेस्तरां में उन्हें एक गार्ड दिखाई दिया. डिसूजा ने गार्ड से पूछा कि क्या आसपास कोई पुलिस स्टेशन है? तब गार्ड ने बताया कि चित्रदुर्ग जिले में आईमंगला नाम का पुलिस स्टेशन है, जो यहां से सिर्फ 500 मीटर की दूरी पर है. इस पर डिसूजा ने कनफर्म करने के लिए गार्ड से फिर पूछा कि क्या वो कोई छोटी-मोटी पुलिस चौकी है? या फिर फिर बड़ा वाला थाना, जहां बहुत से पुलिस वाले रहते हैं?

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गार्ड ने कहा कि वो एक पूरा थाना है. ये सुनते ही रेस्तरां से ही डिसूजा ने कलिंगुट थाने के पुलिस इंस्पेक्टर को फोन मिलाया और उसे सारी बात बता दी. चूंकि मामला संगीन था. लिहाजा उसने पुलिस इंस्पेक्टर से कहा कि वो फोन पर ही रहें, फोन ना काटें, जब तक कि मैं आईमंगला पुलिस स्टेशन न पहुंच जाऊं. इंस्पेक्टर से हरी झंडी मिलने के बाद दोनों फौरन गाड़ी में बैठे और गाड़ी को सर्विस रोड पर उतार दिया. कुछ ही मिनट में आईमंगला पुलिस स्टेशन डिसूजा की नजरों के सामने था.

ड्राइवर ने पुलिस स्टेशन के बाहर ही गाड़ी रोक दी. तब पहली बार सूचना सेठ की नजर थाने पर पड़ी. चूंकि गाड़ी रुक गई थी, इसलिए वो डिसूजा से पूछती है कि तुमने थाने के बाहर गाड़ी क्यों रोकी? डिसूजा ने कोई बहाना बनाया और गाड़ी से उतरते ही सामने खड़े पुलिस अफसर के हाथों में अपना फोन दे दिया.

फोन पर दूसरी तरफ से अब भी गोवा के पुलिस इंस्पेक्टर कॉल पर थे. डिसूजा के पहुंचने से पहले ही गोवा पुलिस आईमंगला पुलिस स्टेशन से सूचना सेठ के बारे में जानकारी साझा कर चुकी थी. इसके बाद पुलिस ने सूचना सेठ के बैग की तलाशी और उसे गिरफ्तार कर लिया.

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