उत्तरी दिल्ली के अलीपुर स्थित डीएम कार्यालय में छठ पूजा समितियों के पदाधिकारियों की मीटिंग करके प्रशासन ने ये निर्देश दे दिए हैं कि वे किसी भी सार्वजनिक जगह पर छठ पूजा की तैयारियां नहीं करेंगे. सभी को अपने घरों में ही छठ पूजा करनी होगी. छठ पूजा का आयोजन करवाने वाली समितियों ने सरकार के इस कदम का विरोध करना शुरू कर दिया है.
छठ पूजा समितियों का तर्क है कि सोशल डिस्टेंसिंग समेत कई नियमों का पालन करते हुए पूजा की जा सकती है तो फिर मनाही क्यों की जा रही है. पूजा समितियों का कहना है कि बड़ी-बड़ी रैलियों के आयोजन, साप्ताहिक बाजार तक लग रहे हैं जिनमें काफी भीड़ होती है लेकिन पूजा से मनाही क्यों की जा रही है. समितियों का कहना है कि बड़ी संख्या में गरीब लोग किराये के मकानों में भी रहते हैं. नीचे का फ्लोर और किसी का तो टॉप फ्लोर किसी और का होता है. ऐसे में नीचे रहने वाले लोग किस तरह से अस्त होते और उगते सूरज को जल दे पाएंगे.
दरअसल, इस त्योहार में जल में खड़े होकर उगते और डूबते हुए सूर्य की पूजा की जाती है. समितियों का कहना है कि गरीब लोग यह पूजा किस तरह कर पाएंगे. यह गरीब लोगों के साथ सरासर नाइंसाफी है. बवाना मुनक नहर, यमुना किनारे और भलस्वा झील आदि खुली जगह है जहां पर सैकड़ों एकड़ जमीन खुले में होती है और लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए आराम से पूजा कर सकते थे लेकिन सरकार ने मनाही ही कर दी.
देखें: आजतक LIVE TV
साथ ही यह भी डर सता रहा है कि उस दिन गरीब लोग जो इस तरह के समाचारों से दूर हैं उन्हें जानकारी नहीं की घाट पर आने की मनाही की गई है. इस तरह के हजारों गरीब लोग जहां 20-30 सालों से पूजा करते आ रहे हैं. वहां पर पूजा करने के लिए जाएंगे और इस बार उन्हें मना किया जाएगा तो उस वक्त अराजकता जैसा माहौल भी हो सकता है.
अब छठ पूजा का आयोजन करवाने वाली इन समितियों का कहना है कि वह जंतर मंतर पर इकट्ठे होकर इसका विरोध करेंगे.