मेडिकल और लाइफ इंश्योरेंस पर लगने वाले जीएसटी को हटाने या कम करने की मांग के बीच सरकार ने सोमवार को संसद में बताया कि पिछले तीन वित्तीय वर्षों के दौरान इस क्षेत्र में लगने वाले टैक्स से सरकार को 21,256 करोड़ रुपये मिले हैं, जिसमें 2023-24 के दौरान 8,263 रुपये सरकार के खाते में आए हैं. संसद में एक सवाल का जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 24 तक स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम से जीएसटी संग्रह 21,000 करोड़ रुपये से अधिक था, जबकि स्वास्थ्य पुनर्बीमा प्रीमियम से लगभग 1,500 करोड़ रुपये था.
मेडिकल इंश्योरेंस पर 18 फीसदी जीएसटी
जुलाई 2017 से नई व्यवस्था लागू होने के बाद से मेडिकल इंश्योरेंस पर 18% जीएसटी लगाया जाता है. यह पूछे जाने पर कि क्या इस टैक्स को वापस लिया जाएगा. मंत्री पंकज चौधरी ने कहा,'जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी की दर में छूट या कटौती के अनुरोध वाली अपील सामने आई है.'उन्होंने कहा, जीएसटी दरें और छूट जीएसटी परिषद की सिफारिशों पर निर्धारित की जाती हैं, जो एक संवैधानिक निकाय है जिसमें केंद्र और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों दोनों के प्रतिनिधि शामिल हैं. मंत्री ने कहा कि समाज के गरीब वर्गों और दिव्यांगों के लिए कुछ बीमा योजनाएं, जैसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना, सार्वभौमिक स्वास्थ्य बीमा योजना, जन आरोग्य बीमा पॉलिसी और निरामया स्वास्थ्य बीमा योजना को जीएसटी से छूट दी गई है.
गडकरी ने भी उठाया था मुद्दा
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने बीते 28 जुलाई को एक पत्र लिखकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) से लाइफ और मेडिकल इंश्योरेंस पर लागू जीएसटी (GST On Medical Insurance) हटाने की मांग की थी. उन्होंने इस टैक्स को 'जिंदगी की अनिश्चितताओं पर टैक्स लगाने जैसा' करार दिया था. इंश्योरेंस पर जीएसटी आपके प्रीमियम की राशि में इजाफा करता है और आपको ज्यादा खर्च करना पड़ता है.
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फाइनेंशियल सर्विस के तौर पर लगता है GST
1 जुलाई 2017 में पूरे देश में लागू किए गए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) ने भारत के टैक्स सिस्टम में बड़ा बदलाव किया है और तब से पूरे देश में अलग-अलग कर की जगह एक ही कर लगाया जाता है. GST के एक अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) होता है, जो कि घरेलू उत्पाद, कपड़े, उपभोक्ता वस्तुओं, इलेक्ट्रॉनिक्स, परिवहन, रियल एस्टेट के साथ ही सेवाओं पर लगाया जाता है. बीमा (Insurance) को भी एक फाइनेंशियल सर्विस मानते हुए इस कैटेगरी में शामिल किया जाता है. टर्म इंश्योरेंस (Term Insurance) और मेडिकल इंश्योरेंस दोनों पर एक समान 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगता है.
बता दें, इंश्योरेंस पर जीएसटी लागू होने पर 15% टैक्स लगता था, लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद 1 जुलाई 2017 से 18% वसूला जा रहा है. टैक्स दर में 3% की इस बढ़ोतरी से इंश्योरेंस पॉलिसियों के प्रीमियम पर सीधा असर पड़ा है, जिससे प्रीमियम की कीमतें बढ़ गईं.