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9 महीनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी पर सरकार के 9 कारण

ईंधन की आसमान छूती कीमतें  देश में बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुका है क्योंकि इससे आम आदमी बुरी तरह प्रभावित है. इस मसले को लेकर विपक्ष मोदी सरकार पर निशाना साध रहा है. वहीं, सरकार के 9 महीने में हुई बढ़ोतरी के पीछे 9 कारण हैं. 

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पेट्रोल-डीजल के भाव आसमान पर (सांकेतिक फोटो)
पेट्रोल-डीजल के भाव आसमान पर (सांकेतिक फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का तीसरा दिन
  • बढ़ोतरी के पीछे सरकार के 9 कारण सामने आए हैं

देश में पेट्रोल-डीजल की रिकॉर्ड कीमतों ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है. इस बीच सरकारी तेल कंपनियों ने आज (2 अक्टूबर) डीजल के दाम में 30 पैसे और पेट्रोल में 25 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है. पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का ये लगातार तीसरा दिन है. वहीं, ईंधन की कीमतों में 9 महीने में हुई बढ़ोतरी के पीछे सरकार के 9 कारण सामने आए हैं.   

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ईंधन की आसमान छूती कीमतें देश में बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुका है क्योंकि इससे आम आदमी बुरी तरह प्रभावित है. इस मसले को लेकर विपक्ष मोदी सरकार पर निशाना साध रहा है. वहीं, सरकार के 9 महीने में हुई बढ़ोतरी के पीछे 9 कारण हैं. 

1-  18 फरवरी, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि अगर पिछली सरकारों ने भारत की ऊर्जा आयात पर निर्भरता कम करने पर ध्यान दिया होता तो मध्यम वर्ग पर इतना बोझ नहीं होता.
 
2- 20 फरवरी, 2021 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि ईंधन की कीमतों में वृद्धि एक 'धर्म संकट' की स्थिति है. केंद्र और राज्यों को एक रास्ता निकालने की जरूरत है. 

3- 22 फरवरी, 2021 को पूर्व केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था, "अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण उपभोक्ता मूल्य (पेट्रोल और डीजल के लिए) बढ़ गया है. यह धीरे-धीरे कम हो जाएगा. कोविड के कारण वैश्विक आपूर्ति कम हो गई और बदले में उत्पादन भी प्रभावित हुआ है.”

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4- 5 मार्च, 2021 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्वीकार किया था कि तेल की कीमतें बाजार के हवाले हैं, यानी उनकी कीमत अब तेल कंपनियां तय करती हैं. लेकिन ऐसा करने के लिए करों में कमी केंद्र और राज्य सरकारों का संयुक्त आह्वान होना चाहिए. 

5- 14 जून, 2021 को पूर्व पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यह स्वीकार करते हुए कहा कि कि ईंधन की ऊंची कीमतें आम जनता के लिए कठिनाई भरा हैं. उन्होंने माना कि पेट्रोलियम ईंधन के दामों में बढ़ोतरी से उपभोक्तओं को तकलीफ हो रही है पर यह भी कहा कि गरीबों को मुफ्त राशन और मुफ्त टीकाकरण के लिए सरकार को धन का प्रबंध कहीं से तो करना ही होगा.
 
6- 23 जून, 2021 को तत्कालीन केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि अभी डीजल-पेट्रोल की बढ़ी कीमतों की एक बड़ी वजह है कांग्रेस, जिसने 2014 से पहले तेल बॉन्ड को लेकर बीजेपी पर लाखों करोड़ों रुपये बकाया छोड़ दिया. अब भाजपा को कांग्रेस के उस बकाया का मूलधन और उस पर लगने वाला ब्याज चुकना करना पड़ रहा है. उन्होंने इसे भी डीजल-पेट्रोल की बढ़ती कीमतों की वजह बताया था.

7- 20 जुलाई, 2021 को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा था कि पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क दरों को मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए बुनियादी ढांचे और व्यय की अन्य विकासात्मक मदों के लिए संसाधन उत्पन्न करने के लिए अंशांकित किया गया. 

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8- 26 जुलाई, 2021 को लोकसभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि पेट्रोल, डीजल की कीमतों का निर्धारण वैश्विक बाजार में चल रहे रेट के आधार पर किया जाता है. भारत अपनी ईंधन की कुल जरूरतों का करीब 85 फीसद दूसरे देशों से आयात करता है और वैश्विक बाजार में कीमतों का निर्धारण तेल का आयात उत्पादन और निर्यात करने वाले देश करते हैं.
 
9- 16 अगस्त 2021
को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तेल की कीमतों को लेकर पिछली यूपीए सरकारों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि यूपीए सरकार ने 1.44 लाख करोड़ रुपये के तेल बांड जारी कर ईंधन की कीमतों में  कमी की थी. उन्हाेंने कहा कि मैं पिछली यूपीए सरकार द्वारा खेली गई चालबाजी नहीं अपना सकती हूं.

निर्मला सीतारमण ने कहा, ''ऑयल बॉन्ड की वजह से हमारी सरकार पर बोझ आया है और इसी वजह से हम हम पेट्रोल-डीजल के दाम कम नहीं कर पा रहे हैं. लोगों का चिंतित होना सही है. जब तक केंद्र और राज्य कोई रास्ता नहीं निकालते, इसका कोई समाधान संभव नहीं है.'' 

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