आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा के सरकारी बंगले पर उठे कानूनी विवाद से अब पर्दा उठने ही वाला है. दिल्ली हाईकोर्ट ने जस्टिस अनूप जे भंबानी की एकल जज पीठ ने सुनवाई पूरी कर ली और फैसला सुरक्षित रख लिया. इससे पहले पटियाला हाउस अदालत में ट्रायल कोर्ट ने राघव चड्ढा को बंगला खाली करने का आदेश दिया था. उस आदेश को AAP सांसद ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है.
फैसला सुनाए जाने तक मामले में नहीं होगी कार्रवाई
अनूप जयराम भंबानी ने राज्यसभा सचिवालय के वकील से कहा कि फैसला सुनाए जाने तक इस मामले में आगे किसी तरह की कोई कार्रवाई ना की जाए. हालांकि उन्होंने कहा कि फिलहाल कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया जा रहा है. लिहाजा यथा स्थिति बनी रहे. चड्ढा की पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि उन्होंने पहले ही मामले में अपनी दलीलों का सार दाखिल कर दिया है. फिर कोर्ट ने राज्यसभा सचिवालय के वकील ने कहा कि वह शुक्रवार शाम तक अपनी दलीलों का सारांश दाखिल कर दें.
चड्ढा के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आप नेता को शुक्रवार को सरकारी बंगला यानी सार्वजनिक परिसर में अनधिकृत कब्जाधारियों की बेदखली के अधिनियम की कार्यवाही के तहत संसदीय एस्टेट अधिकारी के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया गया है. कोर्ट इस बाबत स्थगन आदेश जारी करने का आग्रह किया. क्योंकि हाई कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. सिंघवी ने कहा कि उनको तो जानबूझ कर निशाने पर लिया गया है क्योंकि वो सदन में सरकार की आलोचना करते रहते हैं. चड्ढा ने कहा कि वह राज्यसभा के एकमात्र मौजूदा सांसद हैं जिन्हें उन्हें आवंटित बंगले से बेदखल करने का आदेश दिया गया है.
आवासन समिति का दावा है कि चड्ढा को आवंटित आवास संबंधित सांसद की विशिष्ट परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए किया जाता है. इसी विवेक के अधिकार का प्रयोग करते हुए राज्यसभा में 245 मौजूदा सांसदों में से 115 को आवास प्रदान किया गया है. उन्हें उनकी पात्रता से ऊपर स्तर का आवास आवंटित किया गया है. फिर उनके साथ ही भेदभाव क्यों? जबकि उनको जेड प्लस सुरक्षा भी मिली है. सुरक्षा रिव्यू करने के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने भी पाई बार निर्वाचित सांसदों को.मिलने वाले टाइप छह फ्लैट्स के मुकाबले मुझे टाइप सात बंगले में रहने के उपयुक्त माना था.