जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कब होंगे, इसको लेकर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को लोकसभा में जवाब दिया. उन्होंने कहा कि जब भी चुनाव आयोग (ईसी) मामले में अंतिम निर्णय लेगा, सरकार जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने के लिए तैयार है. उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश में जल्द विधानसभा चुनाव कराने की विपक्षी दलों की मांग के जवाब में यह बात कही.
जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) में राज्य मंत्री ने कहा, "जब भी चुनाव आयोग इसकी घोषणा करता है (जम्मू में विधानसभा चुनाव) कश्मीर), हम तैयार हैं".
मंत्री ने कहा, "चुनाव के पास अपनी आवश्यकताओं के अनुसार इनपुट इकट्ठा करने का अपना तंत्र है और वह अंतिम निर्णय लेगा. आइए हम सभी चुनाव आयोग के विवेक पर भरोसा करें और इसके कामकाज में हस्तक्षेप न करें. लोकतंत्र को जमीनी स्तर तक पहुंचना चाहिए और भविष्य में हम वही करेंगे जो जम्मू-कश्मीर के लोगों के सर्वोत्तम हित में होगा."
सिंह ने कश्मीर समस्या के लिए जवाहरलाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का आभारी होना चाहिए, जो पूर्ववर्ती राज्य जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करता था.
सिंह ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में विकास सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं.
फारूक अब्दुल्ला के सवाल का जवाब दे रहे थे मंत्री
दरअसल, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र से जानना चाहा कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव क्यों नहीं हो रहे हैं. सदन में कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भी चुनाव के बारे में जानना चाहा और पूछा कि जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा कब बहाल होगा.
उन्होंने आश्चर्य जताया कि ऐसे समय में जब सत्ता पक्ष दावा कर रहा है कि जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल हो गई है, चुनाव क्यों नहीं" हो रहे हैं.
तिवारी ने आगे कहा कि संवैधानिक स्वामित्व की मांग है कि सरकार को इन कानूनों को लाने से बचना चाहिए क्योंकि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से संबंधित संविधान (संशोधन) अधिनियम से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.
370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में हालात बेहतर हुए: केंद्र
बहस के दौरान मौजूद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वह विपक्षी सदस्यों द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों पर विस्तृत जवाब देंगे. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जामयांग त्सेरिंग नामग्याल ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में शांति चुनाव से ज्यादा महत्वपूर्ण है. अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में हालात बेहतर हुए हैं और निवेश आना शुरू हो गया है.
हस्तक्षेप करते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि जब सुरक्षाकर्मी मारे जाते हैं तो दुख होता है, लेकिन विपक्ष को यह नहीं भूलना चाहिए कि उनके शासन के 70 वर्षों के दौरान जम्मू-कश्मीर में 45,000 लोग मारे गए.
हालात सामान्य होने का भ्रम न फैलाए: एनसीपी
नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसीपी) के सांसद हसनैन मसूदी ने भी जम्मू-कश्मीर में जल्द चुनाव की मांग की. उन्होंने कहा कि सरकार को देश को सच्चाई बतानी चाहिए और जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य होने का भ्रम नहीं फैलाना चाहिए. मसूदी ने यह भी दावा किया कि केंद्र शासित प्रदेश में बेरोजगारी बढ़ रही है.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सुप्रिया सुले ने भी जल्द चुनाव की मांग की और कहा कि सरकार को विभिन्न राज्यों के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आरक्षण पर एक व्यापक विधेयक लाना चाहिए. जनता दल-यूनाइटेड के कौशलेंद्र कुमार ने भी जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने की मांग की.