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'PM दिन में तीन-तीन बार हालात पूछते... 10 दिन से कोई हत्या नहीं,' मणिपुर में शांति बहाली का एक्शन प्लान क्या?

मणिपुर हिंसा के 80 दिन बीत गए हैं. विपक्ष लगातार सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहा है और शांति बहाली के लिए कदम ना उठाए जाने का आरोप लगा रहा है. इस बीच, केंद्र सरकार ने राज्य में महिलाओं के साथ हैवानियत के मामले में सीबीआई जांच की मंजूरी दी है. सरकार ने यह भी बताया कि मणिपुर में मैतेई-कुकी से 6 राउंड की बातचीत हो गई है. जल्द शांति बहाल होगी.

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मणिपुर में लगातार शांति बहाली की मांग की जा रही है. (फाइल फोटो- पीटीआई)
मणिपुर में लगातार शांति बहाली की मांग की जा रही है. (फाइल फोटो- पीटीआई)

मणिपुर हिंसा को लेकर संसद का माहौल गरम है. विपक्षी दलों के नेता मणिपुर 'जलने' का दावा कर रहे हैं. इस बीच, केंद्र सरकार की तरफ से शांति बहाली को लेकर बड़ा बयान आया है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि मणिपुर में 18 जुलाई के बाद से कोई हत्या नहीं हुई है. इतना ही नहीं, दोनों समुदायों (मैतेई और कुकी) के साथ बातचीत अंतिम दौर में हैं. अब तक 6 दौर की बात हो चुकी है. जल्द ही राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल की जाएगी.

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बता दें कि मणिपुर हिंसा को लेकर विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर निष्क्रियता बरतने का आरोप लगा रहा है. इस पर एक सरकारी अधिकारी ने कहा, गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर दौरे के दौरान राज्य में तीन दिन बिताए थे. इस दरम्यान उन्होंने 41 अलग-अलग ग्रुप से मुलाकात की. मणिपुर में हिंसा के प्रमुख स्थलों का दौरा किया. उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार से पहले भी मणिपुर में जातीय हिंसा की करीब चार बड़ी घटनाएं हुई हैं. 

उन्होंने दावा किया कि संसद में किसी मंत्री ने एकमात्र बार अगस्त 1993 में जवाब दिया था. तत्कालीन गृह राज्य मंत्री ने कुकी-नागा संघर्ष के दौरान सैकड़ों लोगों की हत्या और 350 से ज्यादा गांवों के पलायन की बात स्वीकार की थी. उन्होंने कहा, सिर्फ एक बार एक मंत्री (तत्कालीन गृह राज्य मंत्री राजेश पायलट) ने साढ़े तीन घंटे के लिए मणिपुर का दौरा किया था. 

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'गृह राज्य मंत्री ने मणिपुर में 22 दिन बिताए'

सरकारी अधिकारी ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के प्रयासों के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मौजूदा गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने 25 मई से 17 जून के बीच राज्य में 22 दिन बिताए. इस मुद्दे पर मोदी पर विपक्ष के हमले पर कहा- प्रधानमंत्री लगातार जानकारी ले रहे हैं. हिंसा भड़कने के बाद वो हर दिन गृह मंत्री से बात कर रहे हैं. ऐसे भी कई दिन आए, जब मोदी ने गृह मंत्री अमित शाह से तीन-तीन बार बात की. उन्होंने दावा किया कि विपक्ष इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहा है और झूठी कहानी पेश कर रहा है कि मणिपुर जल रहा है. 

'हिंसा का ग्राफ धीरे-धीरे कम हो रहा'

पीएम मोदी के बयान की मांग करते हुए विपक्ष संसद के अंदर और बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहा है, जिसके कारण मानसून सत्र की कार्यवाही लगातार स्थगित हो रही है. सरकारी अधिकारी ने कहा कि हिंसा का ग्राफ धीरे-धीरे नीचे जा रहा है. कुछ समूहों और विपक्षी दलों द्वारा यह धारणा फैलाई जा रही है कि राज्य जल रहा है. यह पूरी तरह से गलत है. उन्होंने हिंसा में किसी भी धार्मिक एंगल को भी खारिज कर दिया. 

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'यह पूरी तरह जातीय हिंसा'

मणिपुर में 3 मई को पहली बार हिंसा भड़की थी, तब से लगभग 150 लोगों की जान गई है. उन्होंने कहा, यह पूरी तरह से जातीय हिंसा है. दोनों समुदायों के पास कथित एक-दूसरे के खिलाफ शिकायतें हैं. उनके बीच अविश्वास की खाई है, जिसे पाटने के लिए सरकार काम कर रही है.

'अलग-अलग छह दौर की बात हो गई'

मैतेई मुख्य रूप से हिंदू हैं. जबकि कुकी मुख्य रूप से ईसाई हैं. सरकारी अधिकारी ने कहा कि सरकारी एजेंसियां ​​मैतेई और कुकी समूहों के साथ अलग-अलग बातचीत कर रही हैं ताकि उनकी बात सुनी जा सके और शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने में मदद के लिए सभी पक्षों के एक साथ बैठने से पहले उनकी मांगों पर काम किया जा सके. उन्होंने कहा, अब तक प्रत्येक पक्ष के साथ अलग-अलग छह दौर की बातचीत हो चुकी है. उन्होंने कहा, 35,000 से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों को तैनात करके सरकार मैतेई और कुकी आबादी वाले क्षेत्रों के बीच एक बफर जोन बनाने में सफल रही है.

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उन्होंने दावा किया कि दोनों समुदायों के 50,000 से अधिक विस्थापित लोगों को 7 मई तक सफलतापूर्वक ट्रांसफर कर दिया गया है. राज्य में जातीय तनाव और हिंसा का इतिहास रहा है. 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से कई मुद्दों पर काफी हद तक रोक लगा दी गई है. मैतेई के लिए आदिवासी दर्जे के लिए हाई कोर्ट की वकालत भी शामिल है. झड़पों के बाद फैसले पर रोक लगा दी गई है.

'उग्रवाद और हत्या के मामलों में कमी आई'

कांग्रेस के नेतृत्व में 2005-13 तक यूपीए सरकार रही. इसकी तुलना में देखा जाए तो एनडीए सरकार के 2014-23 के बीच 9 वर्षों में उग्रवाद के मामलों में 68 प्रतिशत की कमी आई है. सुरक्षा कर्मियों की हत्या में 68 प्रतिशत और नागरिकों की हत्या में 82 प्रतिशत की कमी आई है. जब कांग्रेस केंद्र में सत्ता में थी तो राज्य को हफ्तों और महीनों तक नाकेबंदी का सामना करना पड़ा. सबसे खराब स्थिति में 30 से 139 दिनों तक रही.

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'अप्रवासियों का डेटा जुटा रही सरकार'

उन्होंने कहा, अभी भी कुछ अशांति और हिंसा की कुछ छिटपुट घटनाएं हो सकती हैं, लेकिन फैक्ट यह है कि 18 जुलाई के बाद से हिंसा में कोई भी नहीं मारा गया है. यह एक संदेश देता है. उन्होंने कहा कि सरकार म्यांमार से अप्रवासियों की आमद और नशीली दवाओं के व्यापार पर भी अंकुश लगाने के लिए काम कर रही है, जो समुदायों के बीच तनाव का एक स्रोत भी है. सरकार सभी अप्रवासियों का बायोमेट्रिक डेटा ले रही है, जिनमें से कई आंतरिक मुद्दों के कारण म्यांमार में प्रवेश कर चुके हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें नागरिकता लाभ न मिले.

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