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फादर्स डे पर बेटी संग वक्त बिताने के लिए बदलवाई थी ड्यूटी... रेल हादसे में पिता की गई जान, मार्मिक कहानी

बंगाल रेल हादसे में कंचनजंगा एक्सप्रेस के गार्ड आशीष डे की सोमवार को मौत हो गई. अब जानकारी आ रही है कि गार्ड ने फादर्स डे के मौके पर अपनी बेटी के साथ वक्त बिताने के लिए अपना ड्यूटी रोस्टर चेंज कराया था और अगले दिन सिलीगुड़ी स्टेशन ड्यूटी ज्वाइन की थी. लेकिन ड्यूटी ज्वाइन करने के कुछ वक्त बाद ही कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसे का शिकार हो गई है.

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कंचनजंगा ट्रेन हादसा.
कंचनजंगा ट्रेन हादसा.

पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में सोमवार को हुए दर्दनाक रेल हादसे में 10 लोगों की मौत हो गई, जबकि 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए. हादसे में मरने वाले में कंचनजंगा के गार्ड आशीष डे की भी मौत हो गई जो फादर्स डे पर अपनी बेटी के साथ वक्त बिताने के लिए अपने ड्यूटी रोस्टर को बदल दिया था.

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आशीष डे सिलीगुड़ी नगर निगम के वार्ड नंबर 32 स्थित सुकांत पल्ली के निवासी हैं. उन्हें शताब्दी एक्सप्रेस में गार्ड बनकर जाना था, लेकिन फादर्स डे के मौके पर अपनी बेटी के साथ वक्त बिताने के चलते उन्होंने अपनी ड्यूटी बदल दी और गार्ड के रूप में सोमवार की सुबह सियालदह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस में सवार हो गए.

बेटी के साथ वक्त बिताने के लिए बदली ड्यूटी

उनके परिवार के अनुसार, आशीष फादर्स डे पर अपनी बेटी के साथ कुछ और वक्त बिताने के लिए अपना ड्यूटी रोस्टर बदल दिया था. उनकी बेटी एक कॉलेज छात्रा है और कोलकाता में रहती है. वे सभी फादर्स डे  के दिन अपने घर पर इकट्ठा हुए थे और इसकी अगली सुबह वह अपने घर से न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन से ड्यूटी ज्वाइन कर ली. 

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आशीष डे कंचनजंगा एक्सप्रेस में गार्ड के रूप में सिलीगुड़ी से सवार हुए थे. महज डेढ़ घंटे के अंदर कंचनजंगा एक्सप्रेस रंगपनी के पास भयानक हादसे का शिकार हो गई. आशीष डे ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि ड्यूटी बदलने से उन्हें मौत का सामना करना पड़ेगा.

मालगाड़ी ने मारी टक्कर

बता दें सोमवार को सियालदह के पास एक मालगाड़ी ने कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मार दी. इस हादसे में गार्ड कोच सहित ट्रेन के दो डिब्बे पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए. इस हादसे में लोको पायलट, को-लोको पायलट और कंचनजंगा के गार्ड आशीष डे की मौत हो गई.

आशीष की मौत की खबर से बेहाल हुए परिजन
 
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया, आशीष का शरीर मुड़ गया था और कुंडल का आकार ले लिया था. उनके शव को उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज से निकालकर उनके घर ले जाया गया और उनकी बेटी और पत्नी अपने परिवार के व्यक्ति को मृत देखकर रोने लगीं. उनके निधन के बाद से डे की पत्नी और बेटी कई बार बेहोश हो रही हैं.

आजतक की टीम सिलीगुड़ी स्थित उनके घर पहुंची, लेकिन वे अस्थिर अवस्था में पाए गए. परिवार के अन्य सदस्य भी बात करने की स्थिति में नहीं थे. स्थानीय पार्षद तापस चटर्जी ने इंडिया टुडे को बताया, "उनकी असामयिक मृत्यु से हम सभी स्तब्ध हैं. उन्हें पड़ोस के विभिन्न कार्यक्रमों में गाने गाना पसंद था. उनके पड़ोस के लगभग सभी लोगों के साथ अच्छे संबंध थे और वह हमेशा मुस्कुराते हुए नजर आते थे. हम बस यही कर सकते हैं. विश्वास नहीं होता कि हमारा आशीष अब नहीं रहा. टीएमसी पार्षद ने भी आशीष  को समय से अधिक काम करने के लिए मजबूर करने के लिए रेलवे प्राधिकरण को दोषी ठहराया.

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