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सात राज्य, 257 सीटें... किस पार्टी को हुआ कितना फायदा? समझें जीत-हार का पूरा गणित

गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के साथ-साथ पांच राज्यों की सात सीटों पर उपचुनाव हुआ. इसमें एक लोकसभा और छह विधानसभा सीट शामिल थी. सबके नतीजे अब घोषित हो चुके हैं. जानिए किस राज्य में किस पार्टी को फायदा हुआ.

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गुजरात में बीजेपी की बंपर जीत हुई, वहीं हिमाचल प्रदेश में अब कांग्रेस की सरकार होगी (Illustration- Vani Gupta)
गुजरात में बीजेपी की बंपर जीत हुई, वहीं हिमाचल प्रदेश में अब कांग्रेस की सरकार होगी (Illustration- Vani Gupta)

गुजरात, हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के साथ-साथ पांच राज्यों में हुए उपचुनाव के नतीजे गुरुवार को आ गए. गुजरात में बीजेपी को बंपर बहुमत मिला है, तो हिमाचल प्रदेश में अब कांग्रेस की सरकार होगी. वहीं उपचुनाव के चुनावी नतीजों की बात करें तो कहीं समाजवादी पार्टी गढ़ बचाने में कामयाब हो गई है तो कहीं-कहीं भारतीय जनता पार्टी फायदे में रही है.

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बता दें कि गुजरात (182 सीट), हिमाचल प्रदेश (68 सीट) के साथ-साथ पांच राज्यों की छह विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर भी उपचुनाव हुआ था.

किसने क्या खोया, क्या पाया?

कुल मिलाकर 257 सीटों पर चुनाव हुआ था, जिसमें से सबसे ज्यादा सीट बीजेपी के खाते में आई है. लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान में भी बीजेपी ही रही है. उसने हिमाचल प्रदेश की सत्ता गंवा दी. इसी के साथ खतौली विधानसभा जिसपर अबतक उसका कब्जा था, वहां अब सपा-RLD गठबंधन की जीत हो गई है. हालांकि, रामपुर सीट पर बीजेपी जीत गई है. वहीं बिहार की कुढ़नी विधानसभा सीट पर भी बीजेपी को जीत मिली है, जो सीएम नीतीश और तेजस्वी यादव के लिए झटका है.

दूसरी तरफ कांग्रेस की बात करें तो उसने हिमाचल में सत्ता हासिल कर ली है. लेकिन गुजरात में उसका प्रदर्शन बेहद बुरा रहा. पिछले चुनाव के मुकाबले इसबार कांग्रेस की गुजरात में पूरी 60 सीटें कम आई हैं. इसी के साथ उसने राजस्थान उपचुनाव में भी जीत हासिल करके अपनी सीट बचाई है.

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इसके अलावा आम आदमी पार्टी ने गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनाव को लेकर बड़े दावे किए थे. लेकिन पार्टी दोनों ही राज्यों में फेल दिखी. गुजरात में केजरीवाल की पार्टी को पांच सीट मिली है, वहीं हिमाचल में उसका खाता तक नहीं खुला.

गुजरात में बीजेपी को बंपर बहुमत

सबसे पहले बात करते हैं गुजरात की. यहां 156 सीटों पर कब्जे के साथ बीजेपी ने नया इतिहास रच दिया है. बीजेपी की इस सुनामी में कई दिग्गज नेता भी बह गए. गुजरात में जहां कांग्रेस सिर्फ 17 सीटों पर सिमट गई. छह दशक में कांग्रेस को कभी इतनी कम सीटें गुजरात में नहीं मिली थीं.

वहीं आम आदमी पार्टी को बस 5 सीट मिली. इतना ही नहीं AAP के सीएम उम्मीदवार इसुदान गढ़वी और प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया भी अपनी सीट नहीं जीत सके.

हालांकि, AAP को इस बात का संतोष है कि गुजरात में करीब 13 फीसदी वोट मिलने के बाद आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल जाएगा. नतीजों पर केजरीवाल ने यह भी कहा कि इस बार बीजेपी का किला भेदा है, अब अगली बार इसे फतह करेंगे.
 

हिमाचल प्रदेश में रिवाज रहा कायम

हिमाचल प्रदेश की बात करें तो पहाड़ के लोगों ने अपना रिवाज कायम रखा है. साढ़े तीन दशक से हिमाचल में हर पांच साल पर सत्ता परिवर्तन का ट्रेंड रहा है. पांच साल पहले बीजेपी ने कांग्रेस को सत्ता से उखाड़ फेंका था. अब एक बार फिर से कांग्रेस ने कमबैक किया है. हिमाचल में कांग्रेस को 68 में से 40 सीट पर जीत मिली है. वहीं बीजेपी को सिर्फ 25 सीटों से संतोष करना पड़ा है.

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हालांकि, वोटर शेयर के नजरिए से देखें तो बीजेपी यहां कांग्रेस से ज्यादा पीछे नहीं रही. हिमाचल में कांग्रेस को 43.90 फीसदी वोटर शेयर मिला. वहीं बीजेपी का वोटर शेयर 43 फीसदी था.

हिमाचल प्रदेश में AAP नहीं खोल पाई खाता

हिमाचल प्रदेश में आम आदमी पार्टी का बुरा हाल हुआ है. यहां AAP ने 67 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. लेकिन यहां एक भी सीट पर केजरीवाल की पार्टी नहीं जीत पाई.

दूसरी तरफ कांग्रेस अब हिमाचल प्रदेश में सत्ता में आ गई है. इस जीत का श्रेय पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को दिया है. कांग्रेस को हिमाचल में एंटी इनकंबेंसी का फायदा मिला है. पार्टी ने चुनाव में पुरानी पेंशन स्कीम को वापस लाने, रोजगार देने और महिलाओं को 1500 रुपये प्रति माह देने का वादा किया था, जिसे अब पूरा करने की चुनौती होगी.

उपचुनाव में किस राज्य में क्या रहे नतीजे?

सबसे पहले बात करते हैं मैनपुरी लोकसभा सीट की. यहां समाजवादी पार्टी ने बड़ी जीत दर्ज की है. यहां से अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने चाचा शिवपाल यादव के शिष्य रघुराज सिंह शाक्य को 2.88 लाख से अधिक वोटों से हराया है.

पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट खाली हुई थी. ये सीट सपा का गढ़ मानी जाती है. यहां से सपा ने डिंपल यादव को मैदान में उतारा था. उनको चाचा शिवपाल यादव का भी सपोर्ट मिला था. डिंपल यादव को 6,18,120 वोट मिले. वहीं रघुराज शाक्य को 3,29,659 वोट मिले. इस तरह डिंपल ने रघुराज को 2,88,461 वोटों से मात दी.

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उत्तर प्रदेश की कुल दो विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव हुआ था. इसमें रामपुर और खतौली विधानसभा शामिल है.

सबसे पहले बात करते हैं आजम खान के गढ़ रामपुर की. यहां समाजवादी पार्टी को झटका लगा है. इस सीट पर बीजेपी के आकाश सक्सेना की जीत हुई है. उन्होंने सपा के आसिम रजा को हराया. आकाश को 81,432 वोट मिले. वहीं आसिम रजा को 47,296 लोगों ने वोट किया. इस सीट पर कुल 10 उम्मीदवार मैदान में थे. बता दें कि रामपुर के विधायक आजम खान को 2019 के एक हेट स्पीच के मामले में दोषी पाया गया था. इसके बाद उनको अयोग्य ठहराया दिया गया और उनकी विधायकी छिन गई. इसलिए वहां उपचुनाव हुए.

इसके साथ ही यूपी की खतौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ था. इस सीट पर बीजेपी को झटका लगा है. यहां सपा-RLD उम्मीदवार मदन भैया की जीत हुई है.

यहां बीजेपी विधायक विक्रम सैनी की विधायकी छिन गई थी. इसलिए यहां उपचुनाव हुआ था. बीजेपी ने यहां से विक्रम सिंह सैनी की पत्नी रामकुमारी सैनी को उतारा था. वहीं RLD-सपा ने यहां मदन भैया को उम्मीदवार बनाया.

अब चुनावी नतीजों में मदन भैया को 97,139 वोट मिले हैं. वहीं रामकुमारी को 74,996 वोट मिले. मदन भैया का जीतना इसलिए भी चौंकाता है क्योंकि वैसे तो वह चार बार विधायक रह चुके हैं लेकिन आखिरी बार इलेक्शन 15 साल पहले जीते थे. 2012, 2017 और 2022 में उन्हें लोनी से हार का सामना करना पड़ा था. माना जा रहा है कि आखिरी मौके पर भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद ने आरएलडी-सपा उम्मीदवार को समर्थन दे दिया था. इस वजह से दलित वोट बैंक मदन भैया की तरफ शिफ्ट हो गया और उनको जीतने में मदद मिली.

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बिहार की कुढ़नी विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली है. ये जीत नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के लिए झटके जैसी है, क्योंकि बीजेपी से JDU का गठबंधन टूटने के बाद ये पहला चुनाव था. इस चुनाव में RJD ने उम्मीदवार नहीं उतारा था और JDU का समर्थन किया था.

कुढ़नी विधानसभा सीट से बीजेपी के केदार प्रसाद गुप्ता की जीत हुई है. उनको 76,722 वोट मिले. वहीं जनता दल यूनाइटेड के मनोज कुमार सिंह को 73,073 वोट मिले. इस सीट पर कुल 13 उम्मीदवार मैदान में थे. यहां RJD विधायक अनिल कुमार सहानी को अयोग्य ठहराए जाने के बाद उपचुनाव हुआ था.

राजस्थान की सरदारशहर विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव हुआ था. ये उपचुनाव कांग्रेस विधायक भंवर लाल शर्मा (77 साल) के निधन के बाद हुआ. कांग्रेस ने यहां से भवंर लाल के बेटे अनिल कुमार को उतारा था. वे ही इस उपचुनाव को जीते हैं. उनको 91,357 वोट मिले. वहीं बीजेपी ने पूर्व विधायक अशोक कुमार को टिकट दिया था. वे दूसरे नंबर पर रहे. उनको 64,505 वोट मिले. यहां कुल 10 उम्मीदवार मैदान में थे.

ओडिशा राज्य की पद्मपुर विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव हुआ था. ये उपचुनाव बीजू जनता दल (BJD) के विधायक बिजय रंजन सिंह बरिहा के निधन के बाद हुआ. यहां  BJD उम्मीदवार बरशा सिंह बारिगा की जीत हुई है. उनको 1,20,807 वोट मिले. वहीं बीजेपी के प्रदीप पुरोहित 78,128 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे.

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छत्तीसगढ़ की भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में कांग्रेस की जीत हुई है. कांग्रेस उम्मीदवार सावित्री मांडवी ने बीजेपी उम्मीदवार ब्रह्मानंद को 21,171 वोटों से हराया. कांग्रेस विधायक और डिप्टी स्पीकर मनोज सिंह माधवी के निधन से ये सीट खाली हो गई थी. इस सीट पर NOTA को 4248 वोट मिले, जो चर्चा का विषय बन गया. ये आंकड़ा अन्य चार उम्मीदवारों को मिले वोटों से ज्यादा था.

 

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