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मोरबी पुल हादसे के आरोपी जयसुख पटेल को सुप्रीम कोर्ट से झटका, जमानत याचिका पर सुनवाई से इनकार

पिछले साल 30 अक्टूबर को मोरबी पुल हादसे में कुल 135 लोगों की मौत हो गई थी. आरोपी जयसुख पटेल पुल का रखरखाव करने वाली कंपनी ओरेवा के मैनेजिंग डायरेक्टर थे. पटेल सहित कुल 10 आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 304, 308, 336 व 337, 338 के तहत केस दर्ज किया गया था. पुल हादसे की जांच के दौरान एसआईटी को कई खामियां मिली थीं.

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सुप्रीम कोर्ट से जयसुख पटेल को झटका लगा है
सुप्रीम कोर्ट से जयसुख पटेल को झटका लगा है

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के मोरबी पुल हादसे के आरोपी जयसुख पटेल की जमानत याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह निचली अदालत या हाई कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल कर सकते हैं. पिछले साल 30 अक्टूबर को मोरबी पुल हादसे में कुल 135 लोगों की मौत हो गई थी. 

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आरोपी जयसुख पटेल पुल का रखरखाव करने वाली कंपनी ओरेवा के मैनेजिंग डायरेक्टर थे. पटेल सहित कुल 10 आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 304, 308, 336 व 337, 338 के तहत केस दर्ज किया गया था. पुल हादसे की जांच के दौरान एसआईटी को कई खामियां मिली थीं. 

अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड (ओरेवा ग्रुप) मच्छू नदी पर ब्रिटिश काल के सस्पेंशन ब्रिज के संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार था. एसआईटी ने पुल की मरम्मत, रखरखाव और संचालन में कई खामियां पाई थीं. जांच से पता चला कि एक निश्चित समय पर पुल तक पहुंचने वाले व्यक्तियों की संख्या पर कोई रोक नहीं थी. टिकटों की बिक्री पर कोई रोक नहीं थी. इसको लेकर कंपनी के एमडी समेत 10 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. 

गुजरात हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार को गोंडल शहर में एक सदी से अधिक पुराने दो पुलों की मरम्मत करते समय मोरबी "इंजीनियरिंग आपदा" को नहीं दोहराने का निर्देश दिया. मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध पी मायी की खंडपीठ ने यह टिप्पणी तब की जब सरकार से यह जानकारी मिली कि उसने राजकोट जिले के गोंडल शहर में दो पुलों की मरम्मत का काम किया है, जिन्हें तत्कालीन राजा भगवतसिंहजी महाराज ने एक शताब्दी से अधिक समय पहले बनवाया था.

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कोर्ट एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दो पुलों की तत्काल मरम्मत के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी, जिनका उपयोग मोरबी जैसी त्रासदी से बचने के लिए जीर्ण-शीर्ण होने के बावजूद जनता द्वारा किया जाता था.

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