देशभर में कोरोना के हालात पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस एमआर शाह ने राजकोट में हुई घटना पर गुजरात सरकार को फटकार लगाया. राजकोट अस्पताल में आग लगने से 6 मरीजों की मौत हो गई थी. जस्टिस एमआर शाह ने पूछा कि इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा.
वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ये गंभीर मामला है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता और गुजरात सरकार को इस मामले पर हलफनामा दाखिल करना चाहिए. जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि जो रिपोर्ट आई है, उसमें कहा गया है कि आग रोकने के लिए लगे उपकरण शो पीस की तरह थे. कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आग से बचाव के साधन क्यों नहीं थे? लोगों कि मौत के लिए कौन जिम्मेदार है? यह बहुत ही भयावह है. आखिर अधिकारी और प्रशासन क्या कर रहे थे? अस्पताल में आग लगी तो बचाव के साधन कहां थे?
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि गृह सचिव इस घटना पर आज या कल बैठक करेंगे. उसमें तत्काल कदम उठाने पर निर्णय लिए जाएंगे और वह देशभर के अस्पतालों में आग से बचाव के साधन से संबंधित होगा. जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि अस्पताल में कोरोना से जान बचाने गए मरीज आग से जलकर मर जाएं. यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार इस मामले में राज्यों के साथ मिलकर हल निकाले. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ने लापरवाही कैसे हुई और ऐसी दुर्घटना आगे ना हो, इसके लिए कदम उठाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम केंद्र, गुजरात और सभी राज्य सरकारों से इस पर जवाब तलब करेंगे.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दस राज्यों में हालात खराब है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें आखिर कर क्या रहे हैं. सटीक व्यवस्था क्यों नहीं की जाती है. एक तरफ कोविड-19 का प्रकोप बढ़ रहा है और दूसरी तरफ अस्पताल में मरीज जलकर मर रहे हैं. कोरोना महामारी से निपटने पर राजनीति नहीं होनी चाहिए.
जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि यह स्थितियां दुर्भाग्यपूर्ण है. हम गुजरात, राजकोट के अस्पताल में आग से छह लोगों के मरने के मामले में स्वत: संज्ञान ले रहे हैं. केंद्र और गुजरात इस पर जवाब दाखिल करें और दुर्घटना पर मंगलवार तक गुजरात सरकार रिपोर्ट दाखिल करे.