2002 के गोधरा हत्याकांड के बाद गुजरात में फैले दंगों के दौरान नरोदा गांव हत्याकांड मामले में 20 अप्रैल को कोर्ट अपना अहम फैसला सुना सकती है. इस हत्याकांड में गोधरा रेलवे स्टेशन पर 28 फरवरी को ट्रेन हत्याकांड होने के बाद, दूसरे दिन जब गुजरात बंद का एलान किया गया था तब अहमदाबाद के नरोदा गांव इलाके में 11 लोगों की हत्या हुई थी. इस मामले में 86 लोगों कि गिरफ्तारी हुई थी. इस में बीजेपी के पूर्व मंत्री माया कोडनानी, बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी और वीएचपी के नेता जयदीप पटेल समेत 86 लोगों पर मामला चलाया गया था.
17 आरोपियों की हो चुकी है मौत
2009 से शुरू हुई इस मामले की सुनवाई में अब तक 17 आरोपियों की मौत हो चुकी है, जबकि 187 लोगों से पूछताछ की गई है. मामले में 57 चश्मदीदों के बयान भी दर्ज किए गए हैं. इस पूरे मामले में तकरीबन 13 साल से सुनवाई चल रही है. मामले में आरोपी पूर्वमंत्री माया कोडनानी की याचिका पर 18 सितम्बर 2017 को अमित शाह कोर्ट में हाजिर हुए थे, और उनसे भी कोर्ट ने पूछताछ की थी.
बाबू बजरंगी के वकील सीके शाह का कहना है कि, इस पूरे मामले में आईपीसी की धारा 302 हत्या, 307 हत्या की कोशिश, 143 Unlawful assembly, 147 दंगे, 148 rioting armed with deadly weapons, 129 B Criminal conspiracy, and 153 provocation for riots जैसे मामले के तहत मुकदमा चलाया गया है. इन मामलों में सब से ज्यादा मृत्यु तक की सजा हो सकती है.
अमित शाह भी कोर्ट में हुए थे हाजिर
माया कोडनानी, गुजरात में नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री थीं. उन्हें नरोदा पाटिया केस में दोषी ठहराया गया है. कोर्ट उन्हें 28 साल की सजा सुना चुकी है. नरोदा पाटिया हत्याकांड में 97 लोगों की जान गई थी. कुछ साल जेल में रहने के बाद गुजरात हाईकोर्ट के जरिए उन्हें छोड़ा गया था. 2018 में आखरी सुनवाई के लिए कोडनानी के कहने पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को जुमानी के लिए witness box में बुलाया गया था.
अमित शाह ने कहा था कि 'माया कोडनानी सुबह के वक्त उनके साथ गुजरात विधानसभा में थीं, जब कि दोपहर के बाद गोधरा ट्रेन हत्याकांड में जो कार सेवक की लाश अहमदाबाद आयी थी, उसके लिए वो सिविल अस्पताल पहुंची थीं'. हालांकि कुछ चशमदीदों का कहना है कि माया कोडनानी नरोदा गांव में थीं. साथ ही इस मामले में वीएचपी के नेता जयदीप पटेल को भी आरोपी बनाया गया है. 2002 के दंगों के वक्त जयदीप पटेल वीएचपी के अहमदाबाद शहर के जनरल सेक्रेटरी हुआ करते थे.
प्रिंसिपल सेशन्स जज एसके. बक्षी ने इस मामले में फैसले के लिए 20 अप्रैल की तारीख दी है, साथ ही सभी आरोपियों को कहा गया है कि वह इस दौरान कोर्ट में मौजूद रहें. 2002 में हुए गुजरात दंगों के मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) इस मामले की भी जांच कर रही थी.