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कांग्रेस में अंदरूनी कलह के बीच सोनिया गांधी से मिले गुलाम नबी आजाद, बताया क्या बात हुई

कांग्रेस में जारी गुटबाजी खत्म करने के लिए सोनिया गांधी एक्शन में आ गई हैं. उन्होंने गुलाम नबी आजाद संग 10 जनपथ में मुलाकात की है. इससे पहले दो बार फोन पर भी वे गुलाम नबी से बात कर चुकी हैं.

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कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद (ANI)
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद (ANI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • चुनावी हार के बाद से कांग्रेस में बढ़ी अंदरूनी कलह
  • गुलाम नबी आजाद के घर दो बार जी 23 की बैठक

पांच राज्यों में करारी हार झेलने के बाद कांग्रेस के अंदर ही बैठकों का दौर जारी है. ये बैठकें भी अलग-अलग जगह अलग नेताओं द्वारा बुलाई जा रही हैं. चुनाव के नतीजों के बाद जी23 के कुछ नेता जो कि कांग्रेस के 23 बागी नेताओं का ग्रुप है, जो लगातार शीर्ष नेतृत्व को चुनौती दे रहा है. अब इस खाई को पाटने के लिए जी 23 के नेता गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की है.

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सोनिया गांधी से मिले गुलाम नबी

गुलाम नबी आजाद ने 10 जनपद से निकलने के बाद बताया कि सोनिया गांधी से मिलना कोई खबर नहीं है. वह उनसे मिलते रहते हैं. इस बार भी आने वाले चुनावों को लेकर कुछ चर्चा हुई है. इसके अलावा उन्होंने जानकारी दी कि आगामी चुनावों में जो कांग्रेस की हार हुई है, उसको लेकर भी सोनिया गांधी से बातचीत हुई है. जोर देकर कहा गया कि आने वाले चुनावों में एकजुट होकर लड़ा जाएगा जिससे दूसरे दलों को हराया जा सके. वैसे इससे पहले फोन पर भी दो बार सोनिया, गुलाम नबी से बात कर चुकी हैं. तब भी कांग्रेस में जारी अंदरूनी लड़ाई को कम करने की कोशिश थी. इस प्रयास में राहुल गांधी भी एक सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. उन्होंने भी जी 23 के नेताओं से संपर्क साधा है. उन्होंने भूपेंद्र हुड्डा से 45 मिनट की एक अहम मुलाकात की है, किन मुद्दों पर चर्चा हुई, ये अभी स्पष्ट नहीं है.

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गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पार्टी प्रेसिडेंट की कोई जगह खाली नहीं है. जब चुनाव होगा तब पार्टी के कार्यकर्ता तय करेंगे कि कांग्रेस पार्टी प्रेसिडेंट कौन बनेगा. उन्होंने कहा कि संघटन को मज़बूत करने के लिए सोनिया गांधी की नेताओं से चर्चा होती रहती है.

कपिल सिब्बल ने बढ़ाया विवाद

वैसे चुनावी हार के बाद सबसे पहले विरोध के सुर वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल की तरफ से देखने को मिले थे. उन्होंने एक अखबार को इंटरव्यू में साफ कह दिया था कि कांग्रेस को अब नेतृत्व परिवर्तन की जरूरत है. उन्होंने कांग्रेस हाईकमान पर ही कई तीखे सवाल दाग दिए थे. लेकिन उनके उस तल्ख अंदाज ने ही कांग्रेस के अंदर जारी अंदरूनी लड़ाई को और ज्यादा हवा दे दी. CWC के नेताओं ने एक सुर में कपिल सिब्बल पर निशान साधा. अधीर रंजन चौधरी ने तो उन्हें 'एहसान फरामोश' तक करार दिया. उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर कपिल सिब्बल को ये लगे कि भाजपा को खुश करना उनका मक़सद है तो वे सीधा बीजेपी ज्वाइन कर लें. उन्हें शायद एक राज्य सभा का टिकट भी वहां से मिल जाए.

अधीर रंजन-गहलोत ने साधा निशाना

अधीर रंजन के अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कपिल सिब्बल पर तल्ख टिप्पणी की. उनकी मानें तो कपिल को कांग्रेस की ABCD भी नहीं पता है. उन्होंने कहा कि कपिल सिब्बल जी कांग्रेस का इतिहास भूल जाते हैं. गांधी परिवार का कोई भी सदस्य पिछले 30 साल में मंत्री, मुख्यमंत्री, सीएम या प्रधानमंत्री नहीं बना. पूरा देश जानता है कि कांग्रेस को यदि एकजुट रखना है  तो गांधी परिवार के नेतृत्व में ही एकजुट रखा जा सकता है. कपिल सिब्बल तो फ्रस्ट्रेशन में बात करते हैं.

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