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कोरोना के खौफ से घर में लॉक 7 साल का बच्चा 10 का हुआ, कचरे का लगा ढेर...मां संग 3 साल कैसे किया सर्वाइव?

Gurugram News: कोविड के खौफ की हद इतनी हो गई कि अपने मासूम बेटे सहित मां 3 साल तक घर में कैद रही. जबकि मजबूर पति पास में ही किराए का कमरा लेकर रहने लगा, क्योंकि महिला उसे संक्रमण के डर से अंदर नहीं घुसने देती थी. अब जिला प्रशासन की टीमों ने महिला और उसके बेटे रेस्क्यू कर लिया है.

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मां-बेटे के रेस्क्यू के दौरान घर में दिखा कचरे का ढेर.
मां-बेटे के रेस्क्यू के दौरान घर में दिखा कचरे का ढेर.

कोरोनाकाल में संक्रमण से बचने के लिए लोगों ने क्या-कुछ नहीं किया. घरों से निकलना बंद किया. सामाजिक दूरी बरती. खाने-पीने की चीजों को छूने के बाद हाथों को सैनिटाइज किया. जीने के लिए जरूरी सांसें भी मास्क बिना नहीं लीं. यही नहीं, जानलेवा संक्रमण की दहशत इतनी थी कि एक ही मकान-फ्लैट में रहने वाले लोग अपने-अपने कमरों तक से नहीं निकल रहे थे. मगर भारत में लगभग खत्म हो चुके Covid के बावजूद हरियाणा के गुरुग्राम (गुड़गांव) से सामने आए एक मामले ने लोगों को हैरान करके रख दिया है. दरअसल, मेट्रो सिटी में रहने वाली महिला कोविड की पहली लहर से अब तक अपने 7 वर्षीय बेटे के साथ घर में कैद थी. तीन साल बाद उसका पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने रेस्क्यू किया. अब उस बच्चे की उम्र 10 साल हो चुकी है. अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर तीन साल तक महिला ने घर के अंदर सर्वाइव कैस कर लिया?

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राजधानी दिल्ली से सटे गुरुग्राम का यह पूरा मामला है. शहर की मारुति विहार कॉलोनी में रहने वाली 35 साल की गुनगुन (बदला हुआ नाम) ने खुद को तीन साल से मासूम बेटे (10 साल) के साथ घर में कैद कर रखा था. उसे लग रहा था कि बाहर निकलते ही वह और उसका बेटा कोरोना संक्रमण का शिकार हो जाएगा. महिला के मन में कोरोना का खौफ इस कदर सवार हो गया था कि नौकरी पर जाने वाले पति राजीव (बदला हुआ नाम) को भी उसने 2020 से घर के अंदर नहीं घुसने दिया था. 

मांं-बेटे का रेस्क्यू करने पहुंची टीम.

बेबस पति ने पहले कई महीने अपने दोस्त के घर काटे और फिर वह पास ही चक्करपुर इलाके में किराए का कमरा लेकर रहने लगा और फिर पत्नी-बेटे से वीडियो कॉल पर बात करने लगा. साथ ही हर महीने सैलरी आने पर पत्नी के अकाउंट में रुपए ट्रांसफर कर देता था. 

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गेट पर रख जाता था सामान 

उधर, महिला घर में कैद रहकर ऑनलाइन सब्जी और घरेलू जरूरतों का सामान मंगवाने लगी. डिलीवरी बॉय गेट पर ही पार्सल रखकर चला जाता था. कई बार पति ही सामान लाकर गेट पर रख जाता था. फिर मास्क लगाकर वह उसे उठा लेती थी और सैनिटाइज करके इस्तेमाल कर लेती थी. यही नहीं, कूड़ा डालने बाहर नहीं जाना पड़े, इसलिए उसने घर के अंदर कचरे का ढेर लगा रखा था. 

घर में लगा रसोई के सामान का ढेर.

सिलेंडर खत्म होने पर इंडक्शन पर खाना 
बाहर न निकलने पर अड़ी महिला ने गैस सिलेंडर तक मंगवाना बंद कर दिया था. उसका मानना था कि सिलेंडर देने वालों से उसे कोरोना संक्रमण हो जाएगा. वह इंडक्शन चूल्हे पर ही पिछले तीन साल से खाना पकाती थी. 

बच्चे की ऑनलाइन क्लास 
कोरोना के खौफ से पीड़ित महिला अपने बच्चे को भी बाहर नहीं निकलने देती थी और स्कूल में बात करके उसकी ऑनलाइन की क्लासेस करवाती थी. साथ ही ट्यूशन भी इंटरनेट के जरिए ही पढ़वाती थी. वहीं, पति से पैसे मिलते ही बच्चे की फीस भर देती थी. 

पति के समझाने पर भी नहीं मानी 
किराए के कमरे में रह रहे राजीव ने वीडियो कॉल पर कई बार पत्नी को समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानी. महिला का कहना था कि बच्चे को कोविड वैक्सीन लग जाएगी तभी वह घर से बाहर निकलेगी, लेकिन अभी 10 साल के बच्चों को टीके नहीं लग रहे हैं. 

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ससुर भी हार मान गया 
उधर, पत्नी के व्यवहार से परेशान होकर महिला के राजीव ने अपने ससुर को भी कॉल किया. तब पिता ने अपनी बेटी को समझाया और बताया कि अब कोरोना केस लगभग खत्म हो चुके हैं और कोई भी खतरा नहीं है. बावजूद इसके गुनगुन घर में ही कैद रही. 

पुलिस की लेनी पड़ी मदद 
अब तकरीबन तीन साल होने पर राजीव के सब्र का बांध टूट गया और उसने बीती 17 फरवरी को चक्करपुर पुलिस चौकी में तैनात एएसआई प्रवीण कुमार से मदद की गुहार लगाई. पेशे से इंजीनियर राजीव ने बताया कि साल 2020 में पहली बार लॉकडाउन में ढील मिली तो वह नौकरी के लिए बाहर निकला, तभी से पत्नी ने उसे घर में नहीं घुसने दिया. 

ASI को नहीं हुआ विश्वास 
अनोखा केस सुनकर पहली बार पुलिस अधिकारी को फरियादी की बातों पर विश्वास भी नहीं हुआ. लेकिन जब राजीव ने वीडियो कॉल पर अपनी पत्नी और बेटे से बात करवाई, तो फिर ASI ने मामले में दखल दिया. 

3 साल बाद घर से बाहर निकाली गई महिला.

महिला बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग की महिला टीम को लेकर एएसआई उस महिला के घर पहुंचा, लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला. अपील करने पर अंदर कैद गुनगुन ने आत्महत्या तक की धमकी दी. तब किसी अनहोनी के डर से टीम वापस आ गई. फिर दूसरे दिन पूरी योजना के तहत टीम के लोग महिला के घर जा धमके और दरवाजा तोड़कर अंदर घुस गए. 

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बच्चे को भी प्राथमिक उपचार के लिए ले जाया गया.

पुलिस एएसआई प्रवीण कुमार ने बताया कि महिला के बेटे ने पिछले तीन साल में सूरज तक नहीं देखा था. उन्होंने कहा कि उसने कोविड के डर से इन तीन सालों में रसोई गैस का भी इस्तेमाल नहीं किया. जिस घर में महिला रह रही थी वहां इतनी गंदगी और कचरा जमा हो गया था कि अगर कुछ दिन और बीत जाते तो कुछ भी अनहोनी हो सकती थी. हालांकि, मौके से सावधानी के साथ महिला और उसके बेटे का रेस्क्यू किया गया और उन्हें अस्पताल ले जाया गया. 

मानसिक बीमारी से ग्रसित

अस्पताल के डॉक्टर वीरेंद्र यादव ने महिला की काउंसलिंग की और उसे बताया कि कोरोना अब खत्म हो चुका है. लेकिन फिर भी वह किसी की मानने तैयार नहीं थी. डॉक्टर के मुताबिक, महिला मानसिक बीमारी से ग्रस्त है. उसे इलाज के लिए पीजीआई रोहतक रेफर कर दिया गया है और मनोरोगी वार्ड में भर्ती कराया गया है. 

वीरेंद्र यादव (सीएमओ गुरुग्राम)

बहरहाल, पति राजीव 3 साल बाद अपनी पत्नी और बेटे को पाकर खुश है और उसने पुलिस को धन्यवाद दिया. उसका कहना था कि पत्नी का इलाज किया जा रहा है और उम्मीद है कि हमारी जिंदगी जल्द ही पटरी पर आ जाएगी. 

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