वाराणसी की जिला अदालत में शुक्रवार को ज्ञानवापी से जुड़े एक मामले की सुनवाई नहीं हो सकी. दरअसल, अदालत में शुक्रवार को ज्ञानवापी मस्जिद में बने तहखाने की चाबी जिला मजिस्ट्रेट को सौंपने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई होनी थी, लेकिन एक वकील के निधन के कारण कार्रवाई नहीं हो सकी. अब इस मामले में कोर्ट ने आदेश सुनाने के लिए 11 दिसंबर की तारीख तय की है.
विवाद में हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने कहा, कोर्ट ने मामले में पक्षकार बनने की वकील विजय शंकर रस्तोगी की अपील पर सोमवार (4 दिसंबर) को सुनवाई पूरी कर ली और फैसला शुक्रवार के लिए सुरक्षित रख लिया था, लेकिन एक वकील का निधन हो जाने से शोक के कारण मामले की सुनवाई नहीं हो सकी.
1993 में मस्जिद परिसर के तहखाने पर बैरिकेडिंग कर ताला लगा दिया गया. पुजारी सोमनाथ व्यास के पोते शैलेन्द्र कुमार पाठक, जो 1993 में इसके बंद होने से पहले तहखाने में पूजा करते थे. उन्होंने सितंबर में सिविल जज नितेश कुमार सिन्हा की अदालत में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने आशंका जताई कि मुस्लिम पक्ष परिसर में अपनी स्थापना के प्रयास के बारे में आशंका जताई थी. उन्होंने कहा कि, इससे प्रांगण पर प्रभाव डाला जा सकता है. इसीलिए उन्होंने गुहार लगाई कि चाबी डीएम को सौंप दी जाए. मामला जिला जज एके विश्वेश की अदालत में है.
रस्तोगी ने प्रार्थना पत्र देकर न्यायाधीश से अपील की थी कि उन्हें भी इस मामले में पक्षकार बनाया जाए. मामले में रस्तोगी के वकील यादव ने अनुरोध किया है कि चाबी डीएम को सौंप दी जाए, क्योंकि उन्हें डर है कि बेसमेंट में रखी सामग्री के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर रहा है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि 17वीं सदी की मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर के ऊपर किया गया था या नहीं.