उत्तर प्रदेश के वाराणसी (Varanasi) में ज्ञानवापी मस्जिद विवाद से जुड़े सभी 15 मुकदमे काशी के जिला जज और सिविल जज की अदालत से इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर किए जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दाखिल की गई है. ज्ञानवापी परिसर में दर्शन और पूजा का अधिकार मांगने वाली चार महिला याचिकाकर्ताओं ने खुद का मुकदमा और अन्य सभी मुकदमे हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने का आदेश पारित करने की गुहार लगाई है.
ज्ञानवापी परिसर में मौजूद देव प्रतिमाओं और स्थलों के दर्शन, पूजा और वहां आदि विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग के मूल मंदिर होने का दावा करने वाले कुल 15 मुकदमे बनारस की निचली अदालत में लंबित हैं. इन मुकदमों में ज्ञानवापी से जुड़े पौराणिक और ऐतिहासिक तथ्यों, पुरातात्विक महत्व, हिंदू और मुस्लिम लॉ की व्याख्या और उपासना स्थल अधिनियम 1991 सहित प्रतिकूल कब्जे जैसे कानूनों की संवैधानिकता से जुड़े सवाल लंबित हैं.
इसके अलावा संविधान के भाग तीन में वर्णित बुनियादी अधिकार, जिनमें 13, 21 और 25 की व्याख्या भी की जानी है, इनमें धार्मिक अधिकार, समानता का अधिकार आता है. इसमें से 9 मुकदमे जिला जज की अदालत में लंबित हैं, जबकि बाकी के 6 मुकदमे सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में लंबित हैं. इन सभी मुकदमों को इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर करने की मांग की गई है.
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'ऐसी गंभीर व्याख्या...'
याचिकाकर्ता लक्ष्मी देवी और तीन अन्य महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि सिविल जज सीनियर डिवीजन और जिला जज की अदालत में लंबित मुकदमों में कानून और संविधान से जुड़े अहम सवाल और मुद्दे शामिल हैं. संविधान और कानून की ऐसी गंभीर व्याख्या सिर्फ ऊंची अदालत को ही करनी चाहिए.