Gyanvapi Mosque survey: ज्ञानवापी मस्जिद का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है, आज मंगलवार को इसपर सुनवाई होनी है. इस बीच एक दिलचस्प बात सामने आई है. सुप्रीम कोर्ट में जो जज आज ज्ञानवापी मस्जिद के मामले पर सुनवाई करेंगे वे जज अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस से भी जुड़े रहे थे.
दरअसल, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और पीएस नरसिम्हा की बेंच को ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर सुनवाई करनी है. दोनों ही अयोध्या केस से भी जुड़े रहे हैं. इनमें से एक तो हिंदू पक्ष की तरफ से वकील भी थे.
यह भी पढ़ें - ज्ञानवापी के सर्वे रिपोर्ट पर सस्पेंस, विशेष कमिश्नर बोले- तैयार है... अजय सिंह बोले- समय लगेगा
मुस्लिम पक्ष की तरफ से Anjuman Intezamia Masajid Committee ने मस्जिद परिसर में सर्वे के खिलाफ आवाज उठाई है. कहा गया है कि वाराणसी सिविल कोर्ट ने जिस सर्वे को मंजूरी दी है, उसपर रोक लगनी चाहिए.
अयोध्या केस में हिंदू पक्ष के वकील थे पीएस नरसिम्हा
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ पांच जजों की उस बेंच का हिस्सा थे जिन्होंने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई की थी. इस मामले में फैसला हिंदू साइड के पक्ष में गया था.
वहीं जस्टिस पीएस नरसिम्हा तब सीनियर वकील के तौर पर इस मामले से जुड़े थे. वह अयोध्या केस में हिंदू पक्ष की तरफ से पेश हुए थे. पीएस नरसिम्हा राजेंद्र सिंह विशारद के वकील थे. राजेंद्र के पिता गोपाल सिंह विशारद ने ही राम मंदिर केस में पहला मुकदमा दायर किया था.
तब उन्होंने विवादित परिसरों में हिंदू श्रद्धालुओं और सनातन संप्रदाय के पूजा उपासना के मौलिक अधिकार की वकालत की थी.
तब वकील नरसिम्हा ने दलील दी थी कि वो बगैर किसी बाधा के भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर पूजा करने के अधिकारी हैं. अपनी याचिका में विशारद ने भगवान राम की मूर्तियों को हटाने के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा की भी मांग की थी. बाद में सीनियर एडवोकेट नरसिम्हा को 31 अगस्त 2021 को बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया.
पीठ के इन दोनो जजों के बीच एक समानता और है. दोनों ही भविष्य में मुख्य न्यायाधीश बनने वाले हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ इसी साल जस्टिस यूयू ललित के सीजेआई पद से सेवा निवृत्ति के बाद नवंबर में चीफ जस्टिस बनेंगे. वो ठीक दो साल तक चीफ जस्टिस रहने के बाद नवंबर 2025 में रिटायर होंगे. जस्टिस नरसिम्हा 2027 में CJI बनेंगे और सात महीने तक सुप्रीम कोर्ट को लीड करेंगे.
मुस्लिम पक्ष के बाद हिंदू पक्ष भी पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई से पहले हिंदू सेना ने आज सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. हिंदू सेना ने कहा है कि वरशिप एक्ट (worship act) प्राचीन मंदिरों पर लागू नहीं होता जो कि Ancient Monuments Act के तहत आते हैं. हिंदू पक्ष ने मुस्लिम पक्ष की याचिका का विरोध किया है, जिसने मस्जिद के सर्वे का विरोध करते हुए इसपर रोक की मांग की थी.
विष्णु गुप्ता के वकील ने कहा कि वो इस मामले में हस्तक्षेप याचिका के जरिए अपनी बातें कोर्ट में कहना चाहते हैं. कोर्ट ने कहा कि सुनवाई के समय उपस्थित रहें तभी सुनेंगे.
मुस्लिम पक्ष ने क्या दलील दी
इससे पहले मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में Places of Worship (Special Provisions) Act, 1991 का हवाला दिया था. दरअसल, 1990 के दौरान जब अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन तेज हुआ तो केंद्र सरकार को लगा कि देशभर में अलग-अलग धार्मिक स्थलों को लेकर विवाद बढ़ सकता है और इससे हालात बेहद गंभीर हो जाएंगे.
ऐसे में नरसिम्हा राव सरकार 11 जुलाई 1991 को Places of Worship Act 1991 लेकर आई. इस एक्ट के अनुसार 15 अगस्त 1947 को जो धार्मिक स्थल जिस स्थिति में था और जिस समुदाय का था. भविष्य में भी उसी का रहेगा. चूंकि अयोध्या का मामला उस समय हाई कोर्ट में था इसलिए उसे इस क़ानून से अलग रखा गया था.
दावा किया जाता है कि 1669 में काशी में विश्वेश्वर मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद के अलावा बिन्दुमाधव मंदिर को तोड़कर औरंगजेब ने आलमगीर मस्जिद बनवाई थी.
(रिपोर्ट - Kanu Sarda)