वाराणसी के चर्चित ज्ञानवापी मस्जिद केस में वकील विष्णु जियान ने शिवलिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका दायर की है. जैन ने ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग जैसी आकृति के पास की टंकी/ कथित वजूखाने की साफ सफाई को लेकर ये याचिका दायर की है.
वाराणसी में एक सर्वे के दौरान पानी की टंकी में मिले शिवलिंग वाले सीलबंद क्षेत्र की सफाई और रखरखाव के लिए एक आवेदन के साथ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. याचिकाकर्ताओं के अनुसार, पानी की टंकी, जिसमें मछलियां भी थीं, उसे मई 2022 से साफ नहीं किया गया है. जिससे मछलियां मर गईं और दुर्गंध आई, जिससे हिंदू भक्तों की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं.
याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि अगर अंजुमन इंतजामिया कमेटी ने मछलियों को स्थानांतरित करने के जिला मजिस्ट्रेट के अनुरोध पर पहले ही ध्यान दिया होता तो स्थिति से बचा जा सकता था. याचिका में अदालत से जिला मजिस्ट्रेट को शिवलिंगम के आसपास के क्षेत्र को साफ करने और स्वच्छता बनाए रखने का निर्देश देने की मांग की गई है. आवेदन वकील हरि शंकर जैन द्वारा दायर किया गया था और वकील विष्णु शंकर जैन द्वारा 2 जनवरी, 2024 को प्रस्तुत किया गया था.
क्या है विवाद की जड़?
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद काफी हद तक अयोध्या विवाद जैसा ही है. हालांकि, अयोध्या के मामले में मस्जिद बनी थी और इस मामले में मंदिर-मस्जिद दोनों ही बने हुए हैं. काशी विवाद में हिंदू पक्ष का कहना है कि 1669 में मुगल शासक औरंगजेब ने यहां काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनाई थी. हिंदू पक्ष के दावे के मुताबिक, 1670 से वह इसे लेकर लड़ाई लड़ रहा है. हालांकि, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यहां मंदिर नहीं था और शुरुआत से ही मस्जिद बनी थी.