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H-1B वीजा पर ट्रंप की नीति से टूटे भारतीयों के सपने, जॉब ऑफर वापस ले रहीं कंपनियां... पढ़ें विवाद की पूरी कहानी

एच-1बी वीजा कई भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए अमेरिका में काम करने का सपना है, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप की सख्त इमिग्रेशन नीतियों के कारण कई भारतीयों के जॉब ऑफर्स रद्द हो रहे हैं. इस वीजा प्रोग्राम के जरिए विदेशी स्किल्ड वर्कर्स अमेरिकी कंपनियों में काम कर सकते हैं, लेकिन ट्रंप समर्थकों के बीच इस पॉलिसी पर बहस छिड़ी है.

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एच-1बी वीजा पर विवाद
एच-1बी वीजा पर विवाद

हजारों भारतीयों का एच-1बी वीजा हासिल करने का एक सपना होता है. यह सपने को साकार करने का एक टिकट है. अब डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई वाले अमेरिकी प्रशासन में कई भारतीयों का सपना टूट सकता है. ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जिसमें लोगों के जॉब ऑफर्स को रद्द कर दिए गए हैं, और ऑफर वापस ले लिए जा रहे हैं.

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20 जनवरी को राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप के शपथ लेने से पहले ही, भारतीयों को यह देखने को मिल सकता है कि आगे क्या होने वाला है. जॉब ऑफर्स रद्द होने से लेकर अमेरिका में पढ़ाई को लेकर अनिश्चितता तक, H-1B वीजा बहस कई भारतीयों के जीवन को उलट-पुलट कर रही है, जो अमेरिका में जीवन जीने का सपना देखते हैं और जो पहले से ही वहां रह हैं.

H-1B वीजा प्रोग्राम अमेरिका में विदेशियों के लिए सबसे बड़ा अस्थायी वर्क वीजा है. यह एम्पलॉयर्स को "मेरिट और एबिलिटी" के आधार पर विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की इजाजत देता है. 2023 की एक प्यू रिसर्च रिपोर्ट से पता चलता है कि अमेरिका में इमीग्रेशन में 16 लाख की बढ़ोतरी हुई है, जो पिछले दो दशकों में सबसे बड़ी बढ़ोतरी है. इसके पीछे कई अमेरीकियों की नाराजगी हो सकती है. मसलन, इसके बाद स्थानीय लोगों के हिसाब से नीतियां बनाई जा रही हैं.

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ट्रंप ने सख्त इमीग्रेशन पॉलिसी को लागू करने और अधिक अमेरिकियों को काम पर रखने का वादा किया है. इमीग्रेशन सिस्टम पर छिड़ी बहस भारतीयों के लिए मुश्किलें लेकर आया है, जो कि अमेरिकी में सबसे बड़े एच-1बी वीजा होल्डर्स हैं.

अमेरिका जाने की चाहत रखने वाले कई लोगों के सपने टूटे

एमबीए की डिग्री हासिल करने वाले आशीष चौहान अमेरिका जाकर पढ़ाई करना चाहते थे. उन्होंने बीबीसी से बातचीत में कहा, "ये मेरे दिमाग में बसा हुआ है". आशीष के सपने की शुरुआत अमेरिकी यूनिवर्सिटी से एमबीए करने के बाद होगी, लेकिन ट्रंप समर्थकों द्वारा H-1B वीजा पर बहस तेज होने के साथ, उन्हें लगता है कि उनकी ये प्लानिंग विफल होंगी.

H-1B वीजा प्रोग्राम, स्किल्ड कामगारों को अमेरिका लाने के लिए डिजाइन किया गया था. ट्रंप समर्थकों के बीच यह बहस छिड़ी हुई है कि यह अमेरिकी कामगारों को कमतर आंकने वाला प्रोग्राम है. भारतीयों ने इस प्रोग्राम पर अपना दबदबा बनाया है, जो 72% H-1B वीजा हासिल करते हैं, जबकि चीनी नागरिकों के लिए यह 12% है.

अधिकांश वीजा धारक STEM क्षेत्रों में काम करते हैं, खासतौर से कंप्यूटर से संबंधित नौकरियों में, लेकिन भारतीय H-1B वीजा होल्डर्स को बढ़ती जांच और प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ रहा है. चिंताएं सिर्फ उन लोगों तक ही सीमित नहीं है, जो अभी अमेरिका जाने का सपना ही देख रहे हैं, बड़ी चिंता वहां रह रहे लोगों की है, जिनकी नौकरी जाने का खतरा है.

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अमेरिका में भारतीय छात्रों की संख्या में भारी उछाल आया है, जिसमें सिर्फ एक साल में 35% की बढ़ोतरी देखी गई. मौजूदा समय में, अमेरिकी विश्वविद्यालयों में भारत से 250,000 से अधिक छात्र हैं. हालांकि, अब अमेरिका में रोजगार को लेकर चिंता है.

ट्रंप के शपथग्रहण से पहले लोगों के जॉब ऑफर्स रद्द किए गए

वी पुव्वाडा (बदला हुआ नाम) ने टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ बातचीत में बताया कि कैसे उन्हें जॉब ऑफर मिलने के एक महीने बाद ही उसे रद्द कर दिया गया. उन्होंने कहा कि इसका कारण "वीजा की बदलती गतिशीलता" थी. उन्होंने कहा, "मुझे दिसंबर 2024 में जॉब ऑफर की गई थी, और चूंकि मेरे पास ऑफर लेटर थे, तो इसलिए मैंने अपनी मौजूदा नौकरी से इस्तीफा दे दिया."

पुव्वाडा ने यह भी सवाल उठाया है कि हालांकि उनके ऑफर लेटर में रोक के कारणों को स्पष्ट रूप से अमेरिका में नए प्रशासन के कारण नहीं बताया गया, लेकिन इसका कोई संबंध हो सकता है. लोग यह भी चर्चा कर रहे हैं कि भारतीयों को अमेरिका में प्रवेश न देने से उन्हें नौकरी मिलने से नहीं रोका जा सकता है.

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अपने एक्स पोस्ट में एक शख्स ने कहा, "एच1-बी को खत्म करने से अमेरिकियों के लिए रोजगार की समस्या का समाधान क्यों नहीं हो सकता है? ठीक है, अमेरिकी निगम भारतीयों को अमेरिका में अप्रवासी के रूप में लाए बिना, भारत में ही काम पर रख सकते हैं." 

रिपोर्ट के मुताबिक, सानिया 2022 में मास्टर डिग्री हासिल करने के लिए नागपुर से अमेरिका चली गई थी. उन्होंने भी अपने भविष्य को लेकर चिंता जाहिर की. सानिया कहती हैं, "मुझे बताया गया था कि वे मुझे मार्च 2025 में एच-1बी लॉटरी के लिए रजिस्टर करेंगे, लेकिन उन्होंने प्रक्रिया भी शुरू नहीं की है. क्या इसका मतलब यह है कि वे बाद में मेरे एच-1बी के लिए आवेदन करेंगे, या क्या वे बड़े सुधार होने पर मुझे नौकरी से निकालने की योजना बना रहे हैं?"

यहां तक ​​कि सुरक्षित वीजा वाले लोग भी असहज हैं. गुजरात के एक सॉफ्टवेयर डेवलपर अभी कैलिफोर्निया में काम कर रहे हैं, वह भी अपनी चिंता जाहिर करते हैं. उन्होंने टीओआई को बताया, "प्रबंधन ने स्पष्ट रूप से नहीं बताया है कि क्या ये छंटनी वीजा मुद्दों से जुड़ी हैं, लेकिन समय संदिग्ध है." उन्होंने वीजा होल्डर्स के लिए मुश्किल परिस्थितियों पर भी बात की, जिन्हें अमेरिका में बने रहने के लिए अपने मौजूदा नौकरी खोने के 60 दिनों के भीतर नई नौकरी हासिल करनी होगी.

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डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में H-1B वीजा होल्डर्स के लिए क्या भविष्य है?

कॉर्नेल लॉ स्कूल के एक इमिग्रेशन स्कॉलर स्टीफन येल-लोहर ने ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के बारे में चुनौतियों पर बात की. उन्होंने बीबीसी को बताया, "पहले ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन ने एच-1बी वीजा नियमों को कड़ा कर दिया था. यह स्पष्ट नहीं है कि ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में ऐसा फिर से होगा या नहीं."

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हालांकि, ट्रंप प्रशासन में शामिल एलन मस्क एच-1बी वीजा को संरक्षित करने की वकालत करते हैं. मसलन, अभी स्पष्ट नहीं है कि आगे क्या होगा. अमेरिका में H-1B वीजा होल्डर्स अक्सर अपने होम-कंट्री की तुलना में उसी रोल के लिए ज्यादा सैलरी हासिल करते हैं. ऐसे में अगर अवसरों से लोग वंचित होते हैं तो इससे वित्तीय प्रभाव पड़ सकता है. कई के लिए तो H-1B वीजा स्थायी निवास का रास्ता खोलता है, लेकिन प्रोसेस धीमी है.

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