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हरियाणा सरकार धरने पर बैठे किसानों के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों को ले सकती है वापस

किसानों ने कृषि बिल को लेकर दर्ज कराई, आंदोलन भी हुआ और मांग भी मानी गई. कृषि कानून वापसी के बाद से ही आंदोलन वापसी की उम्मीद सरकार कर रही है. सरकार के सामने दिक्कत ये हुई कि किसानों की मांग जो सरकार को कृषि कानूनों की वापसी तक सिमटी लग रही थी, वो आगे तक दिखी. उन मांगों में से बड़ी मांग एमएसपी को लेकर कानून की थी. सरकार एमएसपी कानून को लेकर मांग अलग अलग तरीकों से खारिज़ करती रही.

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मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसान  (फाइल)
मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसान (फाइल)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद एक और कदम
  • आज सिंघु बॉर्डर पर आज सिर्फ 31 किसान संगठन होंगे शामिल

तीन नए कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा के बाद अब हरियाणा सरकार किसानों पर दर्ज मामले वापस ले सकती है. इसके लिए किसान संगठनों से किसानों की बात होने वाली है. किसान संगठनों को हरियाणा सरकार के साथ बातचीत के लिए बुलाया गया है. 

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चार दिसंबर को होगी एसकेएम की बैठक

जानकारी के अनुसार, एसकेएम यानी संयुक्त किसान मोर्चा आज एक बजे सभी किसान यूनियनों की बैठक नहीं करेगा. सिंघु बॉर्डर पर आज सिर्फ पंजाब के 31 किसान यूनियनों की बैठक होगी. इसके बाद चार नवंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होने वाली है. इसमें तय किया जाएगा कि किसानों के हित में आगे क्या करना चाहिए. मोर्चा इसकी पूरी कार्ययोजना बनाई जाएगी.

बीते दिनों हरियाणा के उप मुख्यमंत्री ने भी किसानों के इस मामले पर कहा था कि किसानों का आंदोलन बीते एक साल से चल रहा है. कई बार बात किए जाने की कोशिशें हुईं, लेकिन बात नहीं बनी. अंतत: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसको देखते कानून वापस लिए जाने का ऐलान कर दिया. उन्होंने कहा कि आगे की योजनाओं में भी किसानों को ध्यान में रखा जाएगा, जिससे किसानों को योजनाओं का लाभ मिल सके.

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