पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन (Farmers Protest) में अब बाकी किसान संगठनों की भूमिका महत्वपूर्ण रूप से बढ़ने जा रही है. भारतीय किसान यूनियन (BKU) ने खनौरी बॉर्डर पर चल रहे इस आंदोलन को अपना पूरा समर्थन देने का ऐलान कर दिया है. इस फैसले से आंदोलन को एक नया मोड़ मिल सकता है क्योंकि अभी तक संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) और इसके घटक किसान संगठन इस आंदोलन से दूर रहे हैं.
भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता, राकेश टिकैत ने ऐलान किया है कि वे शुक्रवार को खनौरी बॉर्डर पर पहुंच कर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से मिलेंगे. यह मुलाकात अहम मानी जा रही है क्योंकि इसमें BKU-लाखोवाल के प्रमुख हरेंद्र सिंह लाखोवाल और BKU हरियाणा के अध्यक्ष रतनमान के साथ-साथ और भी किसान जत्थों के नेता भी शामिल होंगे.
BKU ने क्या कहा?
भारतीय किसान यूनियन ने एक स्टेटमेंट जारी करते हुए कहा है, "जब केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून पारित किए थे, तब देश भर के किसानों ने एकता दिखाते हुए इन काले कानूनों का विरोध किया था. दिल्ली के चारों तरफ बॉर्डर्स को घेरकर 13 महीने तक चले इस आंदोलन के चलते सरकार को इन कानूनों को वापस लेना पड़ा. उस वक्त संयुक्त किसान मोर्चा और सभी किसान जत्थेबंदियों ने अहम भूमिका निभाई थी, जिससे यह आंदोलन सफल हुआ था."
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हालांकि, MSP की गारंटी को लेकर अभी भी किसानों की मांगें अधूरी हैं और इसी वजह से वे आंदोलन कर रहे हैं. शंभू और खनौरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों की आवाज अब और भी मुखर होने की उम्मीद दिख रही है क्योंकि राकेश टिकैत और अन्य किसान नेता इस आंदोलन में शामिल होकर इसे और भी मजबूत बनाएंगे. इससे आंदोलन को एक नया बल मिलेगा और किसान संगठनों की तरफ से उम्मीद की जा रही है कि इससे किसानों के मुद्दों की तरफ सरकार का ध्यान और ज्यादा आकर्षित होगा.