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हरियाणा की खाप पंचायतें भी किसान आंदोलन के समर्थन में उतरीं, दिल्ली चलो का दिया नारा

कृषि कानूनों के खिलाफ किसान अपनी मांगों पर अड़े हैं. अब उनके साथ हरियाणा की करीब तीस से अधिक खाप पंचायतें भी आ गई हैं, जिन्होंने दिल्ली चलो का नारा दिया है.

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बढ़ता जा रहा है किसानों का विरोध प्रदर्शन (PTI)
बढ़ता जा रहा है किसानों का विरोध प्रदर्शन (PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • किसानों के समर्थन में आईं हरियाणा की खाप पंचायतें
  • करीब 30 पंचायतों ने दिल्ली में प्रदर्शन की कही बात

कृषि कानूनों के खिलाफ सड़कों पर उतरे किसानों को अलग-अलग तबके से समर्थन मिलने लगा है. बड़ी संख्या में हरियाणा की खाप पंचायतों ने रविवार को कृषि कानून के मसले पर किसानों के समर्थन का ऐलान किया और उनके समर्थन में दिल्ली चलो का नारा दिया. 

रविवार को रोहतक में करीब 30 बड़ी खाप पंचायतों की बैठक हुई, जिसमें ये फैसला लिया गया. निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान के घर हुई इस बैठक में ये फैसला लिया गया, जिसमें सांगवान खाप ने भी शामिल होने की बात कही. इसके अलावा पालम खाप ने भी किसानों के समर्थन की बात कही है.

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अब सोमवार को सभी खाप अपनी-अपनी बैठक करेंगी, जिसके बाद दिल्ली कूच का ऐलान किया जाएगा और किसानों के साथ प्रदर्शन में जुड़ा जाएगा. खाप पंचायतों का कहना है कि सर्दी के इस मौसम में अन्नदाता सड़कों पर है, ऐसे में सरकार को बिना देरी किए बात करनी चाहिए.

केंद्र सरकार की ओर से किसानों को तीन दिसंबर को बातचीत के लिए बुलाया गया है. साथ ही अपील की गई है कि किसान दिल्ली के बुराड़ी में एक मैदान में जाएं, वहां प्रदर्शन करें और बातचीत के जरिए मसले का हल निकालें. हालांकि, किसानों ने अपनी जगह से हिलने से इनकार किया है और ऐसे ही बात करने को कहा है. 

खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आश्वासन दिया है कि जैसे ही किसान बुराड़ी के मैदान में पहुंचेंगे, सरकार बात शुरू कर देगी. अमित शाह रविवार को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा बुलाई गई एक बैठक में भी शामिल हुए थे. जिसमें कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद रहे.

गौरतलब है कि पंजाब के किसान संगठनों ने 26-27 नवंबर को दिल्ली कूच करने की बात कही थी, लेकिन जब किसानों को बॉर्डर पर ही रोक दिया गया तो अब ये प्रदर्शन तभी से ही जारी है. इस प्रदर्शन में अब पंजाब, हरियाणा के अलावा यूपी, राजस्थान के किसान भी जुड़ते जा रहे हैं और किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है. 

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