सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को हेट स्पीच मामले में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. सर्वोच्च न्यायालय में जस्टिस केएम जोसफ और जस्टिस नागरत्ना की पीठ ने सुनवाई की. इस दौरान पहले निजाम पाशा ने कहा कि हरिद्वार में भी वही हेट स्पीच वक्ता थे जो पहले भी ऐसे अपराध कर चुके थे. पाशा ने एक निजी न्यूज चैनल का भी जिक्र किया. इसमें मुसलमानों और ईसाइयों के खिलाफ चैनल पर चलाए जा रहे अभियान के बारे में बताया गया. हेट स्पीच मामले में पक्षकार याचिकाकर्ताओं और सुदर्शन न्यूज की दलीलों के बाद केंद्र सरकार ने कहा कि हेट स्पीच गंभीर अपराध है. इसे कोई रंग नहीं दिया जा सकता.
CrPC में व्यापक तंत्र शामिल करने पर विचार
सरकार इसे रोकने और समुचित उपाय करने के लिए CrPC में व्यापक तंत्र शामिल करने पर विचार कर रही है. केंद्र सरकार की ओर से ASG केएम नटराज ने कोर्ट से कहा कि इसमें किसी को कोई शक या आपत्ति नहीं कि हेट स्पीच गंभीर अपराध है. इसे कोई धार्मिक या साम्प्रदायिक रंग देना उचित नहीं है.
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए संतुलित तंत्र हो
जहां तक केबल और टीवी यानी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का मामला है, इस बाबत एक संतुलित तंत्र होना चाहिए. वैसे IPC के तहत तंत्र है लेकिन हम CrPC में भी व्यापक तंत्र पर विचार कर रहे हैं. यह समाज के सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित करता है. सभी हितधारकों से इनपुट इकट्ठा कर रहे हैं. इसके बाद उसे संसद में रखा जाएगा.इसके अलावा देश में सिर्फ दो फीसदी ईसाई आबादी का भी उल्लेख हुआ. कोर्ट में कहा गया कि इस चैनल ने क्रिसमस ट्री की जगह तुलसी पूजा का अभियान चलाया.
कोर्ट में अकबरुद्दीन ओवैसी के बयानों का जिक्र
दूसरे पक्षकार सुदर्शन न्यूज की ओर से वकील विष्णु शंकर जैन ने मुस्लिम नेताओं जाकिर नायक और अकबरुद्दीन ओवैसी के हेट स्पीच का जिक्र करते हुए उनकी वीडियो क्लिप्स सौंपी. ओवैसी ने कहा था कि पंद्रह मिनट पुलिस को रोक दिया जाए तो हम बहुसंख्यक हिंदुओं को बता देंगे. जस्टिस जोसफ ने वकील विष्णु शंकर जैन को टोकते हुए कहा कि ये तो पुराने बयान हैं. इस पर जैन ने मुनव्वर राना के उस बयान की ओर कोर्ट का ध्यान दिलाया जिसमें राना ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ आपत्तिजनक बातें कही थी. जस्टिस जोसफ ने कहा कि उस मामले में कार्रवाई होनी चाहिए.
जैन ने कहा कि हम चाहते हैं कि हमारी अर्जी पर दूसरे पक्षकारों को नोटिस हो. जस्टिस जोसफ ने कहा कि हेट स्पीच को धार्मिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए. कोई भी गलत और नफरत फैलाने वाले बयान दे वो आपत्तिजनक है. कार्रवाई होनी चाहिए.