उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के हाथरस में 'भोले बबा' के सत्संग के दौरान हुए हादसे में सौ से ज्यादा लोगों की मौत हुई. सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के आश्रम पर अचानक आधी रात में मैनपुरी पुलिस ने छापेमारी कर दी. इस दौरान एसपी सिटी, सीओ भोगांव के साथ पुलिस टीम आश्रम में पहुंची थी. पुलिस टीम आश्रम के अंदर करीब 1 घंटे से ज्यादा तक रही. अफसर जब बाहर निकले तो कहने लगे कि हम सिर्फ सुरक्षा व्यवस्था देखने आए थे. बाबा अंदर नही है. अंदर 50 से 60 महिला पुरुष-श्रद्धालु हैं, जो इस आश्रम में अमूमन आते रहते हैं.
आइए जानते हैं कि भगदड़ से हुए हादसे के बाद 'भोलो बाबा' के फरार होने की पूरी कहानी.
सत्संग के निकला कब 'भोले बाबा', CCTV फुटेज आया सामने
सत्संग के दौरान मची भगदड़ के बाद भोले बाबा फरार हो गया था. घटना का सीसीटीवी फुटेज सामने आया है, जिसमें जाती हुई तमाम कारों की फेहरिस्त देखी जा सकती है. इसमें एक सफेद कार भी दिख रही है, जिसमें बाबा बैठा था. भगदड़ होने के बाद भोले बाबा इसी कार से फरार हो गया था.
भगदड़ मचने के बाद बाबा वहां से भागने की तैयारी करने लगता है. पहले बाबा की ब्लैक कैट कमांडो निकले, उसके बाद बाबा का काफिला निकला. इसमें शामिल सफेद कार में बैठकर बाबा फरार हो गया. बाबा के काफिला गुजरने से पहले उसकी आर्मी निकलती है, उसके बाद वह निकलता है. बाबा ने अपने लाखों मरते फॉलोवर्स को छोड़कर भाग निकला.
कॉल डीटेल मिला पुलिस को नया सुराग
हादसे के बाद जांच में जुटी पुलिस ने कॉल डिटेल खंगाली, जिसके बाद पता चला कि बाबा को 2:48 पर आयोजक देव प्रकाश मधुकर का फोन गया. जिसमे संभवतः उसको इस हादसे की जानकारी दी गई. इस कॉल के दौरान दोनों के बीच 2 मिनट 17 सेकंड की बातचीत हुई थी. वहीं, जानकारी सामने आई है कि भोले बाबा 1 बजकर 40 मिनट पर घटनास्थल से निकल गया था.
इसके बाद बाबा के फोन लोकेशन 3 बजे से 4:35 तक मैनपुरी के आश्रम में मिली. इस दौरान तीन नंबरों पर बाबा की बातचीत हुई.
गौर करने वाली बात यह है कि रंजना आयोजक देव प्रकाश की पत्नी है, जिसके फोन से शायद देव प्रकाश ने बातचीत की थी. इसके अलावा अन्य दो नंबर भी आयोजक समिति के ही हैं, जिन्हें भोले बाबा का खास बताया जाता है. जांच में सामने आया है कि शाम 4 बजकर 35 मिनट के बाद भोले बाबा का फोन ऑफ हो गया और फिर अभी तक ऑन नहीं हुआ है.
साल 2000 में पुलिस ने बाबा को किया था अरेस्ट
सूरज पाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा को आगरा में साल 2000 में गिरफ्तार किया गया था. दिसंबर 2000 में मामले में एफआर लग चुकी है. सूरज पाल सहित 7 लोगों को पुलिस ने अरेस्ट किया था. साक्ष्य के अभाव में कोर्ट से सबको बरी कर दिया था. साकार हरि उर्फ सूरज पाल भोले बाबा की कोई संतान नहीं थी.
एक बच्ची बाबा ने गोद ली थी, जिसको कैंसर था. एक दिन अचानक बेहोश होने के बाद सुबह भोले बाबा के अनुयायियों ने कहा कि भोले बाबा उसको ठीक करेंगे. अचानक कुछ देर बाद वह होश में आई और कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई थी. शव को मल्ल का चबूतरा श्मशान घाट ले जाया गया था, लेकिन उनके अनुयाई इस बात पर अड़ गए थे कि भोले बाबा आएंगे और बच्ची को जिंदा करेंगे.
चार थानों का फोर्स मौके पर पहुंचा था और अनुयायियों पर लाठीचार्ज के बाद साकार हरि उर्फ भोले बाबा को गिरफ्तार कर लिया गया था. पुलिस ने अपनी तरफ से केस दर्ज कर कार्रवाई की थी, लेकिन साक्ष्य के अभाव में कोर्ट से भोले बाबा समेत 7 लोग बरी हो गए थे.