कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर का रेप और हत्या मामला सुर्खियों में है. इस मामले की जांच सीबीआई की दो शीर्ष महिला अधिकारियों को सौंपी गई है. ये महिला अधिकारी इससे पहले हाथरस रेप-मर्डर केस और उन्नाव रेप केस की भी जांच कर चुकी हैं.
झारखंड से 1994 बैच की आईपीएस अधिकारी संपत मीणा ने हाथरस और उन्नाव रेप केस की भी जांच की थी. उनके साथ सीमा पाहुजा भी कोलकाता मामले की जांच करेंगी. सीमा ने हाथरस केस में संपत मीणा के साथ मिलकर काम किया था.
एडिशनल डायरेक्टर संपत मीणा 25 अधिकारियों की एक टीम की प्रभारी हैं. वो इस केस का सुपरविजन करेंगी और सीमा पाहुजा जमीनी स्तर की जांच करेंगी. पाहुजा को 2007 से 2018 के बीच उत्कृष्ट कार्य के लिए दो बार गोल्ड मेडल मिल चुका है. उन्होंने कुछ साल पहले हिमाचल प्रदेश में 10वीं कक्षा की छात्रा के साथ बलात्कार और हत्या मामले में सजा दिलाई थी.
सेमिनार हॉल में मिला था डॉक्टर का शव
बीते नौ अगस्त को कोलकाता के आरजी कर अस्पताल के सेमिनार हॉल में एक महिला डॉक्टर का शव मिला था. सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात ट्रेनी डॉक्टर के साथ 8 अगस्त की रात कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया गया और उसकी हत्या कर दी गई थी. इस मामले की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया था कि पीड़िता की हत्या गला घोंटकर हुई थी. उससे पहले उसके साथ बलात्कार हुआ थाा.
अस्पताल पर हुआ था हमला
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 14 अगस्त की आधीरात को उस समय हालात बिगड़ गए थे, जब उग्र भीड़ हॉस्पिटल की इमरजेंसी बिल्डिंग में बैरिकेड तोड़कर घुस गई थी. रात करीब 12 बजे के आसपास अस्पताल में जमकर तोड़फोड़ की गई थी. डॉक्टरों के साथ मारपीट की गई थी.
अस्पताल परिसर में जिस जगह प्रदर्शनकारी डॉक्टर धरना दे रहे थे, उस जगह पर भी उपद्रवियों ने तोड़फोड़ की और कुर्सियां तोड़ी, पंखे तोड़ दिए. खिड़की, बेड से लेकर तमाम मेडिकल इक्विपमेंट तक सबकुछ तहस-नहस कर दिया गया था. यहां तक कि अस्पताल के अंदर बने पुलिस बैरक को भी भीड़ ने तोड़ डाला गया था.
क्या था उन्नाव और हाथरस केस?
2017 के उन्नाव रेप केस में बीजेपी नेता कुलदीप सिंह सेंगर को सुप्रीम कोर्ट ने दोषी करार दिया था. 2019 में सेंगर को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. सेंगर 17 साल की नाबालिग से रेप का दोषी है.
वहीं, 14 सितंबर 2020 को हाथरस के बूलगढ़ी में एक दलित युवती के साथ गैंगरेप की वारदात हुई थी. इस लड़की को इलाज के लिए दिल्ली के सफदरजंग अस्पातल में भर्ती कराया गया था. 29 सितंबर 2020 को ही इसी अस्पताल में इलाज के दौरान लड़की की मौत हो गई थी. पीड़ित परिवार का आरोप है कि उनकी इच्छा के खिलाफ 29 सितंबर 2020 की रात को यूपी पुलिस और प्रशासन ने इस लड़की का अंतिम संस्कार कर दिया और शव को जला दिया.