scorecardresearch
 

जम्मू-कश्मीर में धारा-370 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आठवें दिन भी हुई सुनवाई, जानिए बेंच ने क्या टिप्पणी की

धारा 370 को लेकर जारी सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ ने पूछा कि क्या अदालत यह कह सकती है कि संविधान सभा के किसी सदस्य द्वारा दिया गया भाषण, चाहे कितना भी वजनदार क्यों न हो, जम्मू-कश्मीर के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करता है. सीजेआई ने कहा कि इसका असर संविधान की व्याख्या पर पड़ेगा.

Advertisement
X
अनुच्छेद 370 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आठवें दिन भी सुनवाई हुई
अनुच्छेद 370 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आठवें दिन भी सुनवाई हुई

जम्मू- कश्मीर में अनुच्छेद 370 के कई प्रावधान निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आठवें दिन सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के अगुआ CJI जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अहम टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो इसे जम्मू-कश्मीर में लागू होने से रोकता हो.

Advertisement

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर संविधान का अनुच्छेद 5 दर्शाता है कि जम्मू कश्मीर राज्य में भारतीय संविधान लागू होगा. सुनवाई के दौरान CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 की ऐसी कौन सी विशेषताएं हैं जो दर्शाती हैं कि जम्मू-कश्मीर संविधान बनने के बाद इसका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा? 

सीजेआई ने कहा कि क्या संविधान सभा के किसी सदस्य का भाषण जम्मू-कश्मीर के प्रति राष्ट्र की बाध्यकारी प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व कर सकता है? 1957 में संविधान सभा द्वारा अपना निर्णय लेने के बाद क्या संप्रभु भारत के पास संविधान के किसी भी प्रावधान को लागू करने की कोई शक्ति नहीं होगी?

वहीं, जस्टिस संजय किशन कौल ने भी कहा कि यह स्वीकार करना कठिन है कि संविधान सभा की बहस इस आश्वासन तक ही सीमित थी कि जम्मू-कश्मीर का संविधान लागू होते ही अनुच्छेद 370 स्वयं ही भंग हो गया है. उच्चतम न्यायालय ने इस दलील को ''अस्वीकार्य'' करार दिया कि राज्य के संविधान का मसौदा तैयार करने के बाद और 1957 में जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद अनुच्छेद 370 प्रभावी नहीं रहेगा. 

Advertisement

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. याचिकाकर्ता प्रेम शंकर झा की ओर से सीनियर एडवोकेट दिनेश द्विवेदी पेश हुए. सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ ने पूछा कि क्या अदालत यह कह सकती है कि संविधान सभा के किसी सदस्य द्वारा दिया गया भाषण, चाहे कितना भी वजनदार क्यों न हो, जम्मू-कश्मीर के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करता है. सीजेआई ने कहा कि इसका असर संविधान की व्याख्या पर पड़ेगा.

बेंच ने एडवोकेट द्विवेदी से कहा कि आप हमसे अनुच्छेद 370 में जो नहीं है, उसे पढ़ने के लिए कह रहे हैं. आपका कहना है कि जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा द्वारा संविधान तैयार करने के बाद इसे खत्म कर दिया जाएगा, लेकिन इसका पालन होता नहीं दिख रहा है. हमें देखना होग कि संविधान सभा की बहस में उसी तरीके से चर्चा की गई, जिस तरह से अनुच्छेद 370 को तैयार किया गया था.

 

Advertisement
Advertisement