शादी समारोह में डांस करते या जिम में वर्कआउट के दौरान अचानक मौत की घटनाएं आम होती जा रही हैं. पिछले कुछ दिनों से तेजी से बढ़ती ऐसी घटनाओं ने लोगों को डरा दिया है. जांच में पता चला है कि ज्यादातर मौतें हार्ट अटैक/ हार्ट फेल से हुई हैं. आजतक की टीम ने विशेषज्ञों से इसकी वजह जानने की कोशिश की.
विशेषज्ञों ने बताया कि बदलता मौसम हार्ट अटैक जैसी घटनाओं की एक बड़ी वजह है. उनका कहना है कि पहले हार्ट अटैक से 60 साल की उम्र के लोग शिकार हुआ करते थे लेकिन अब युवाओं में यह दिक्कत तेजी से बढ़ रही है. हालांकि उनका यह भी कहना है कि कोरोना वायरस के कारण भी लोगों में ऐसी समस्याएं हो रही हैं, जो हार्ट अटैक का कारण बन रही हैं. आइए विस्तार से जानते हैं कि किसने क्या कहा-
किशोरों-युवाओं में हो रहीं दिल की बीमारियां
नागपुर के बालरोग विशेषज्ञ डॉ. अविनाश गावंडे से जब पूछा गया कि क्या मौसम बदलने से हार्ट अटैक/ हार्टफेल के केस बढ़ जाते हैं? तो इस पर उन्होंने कहा कि ग्लोबल वॉर्मिंग के बड़े घातक परिणाम हो रहे हैं. हर दिन मौसम बदल रहा है. मौसम में लगातार बदलाव से लोग हार्ट अटैक और हार्ट फेल के ज्यादा शिकार हो रहे हैं.
उन्होंने कहा कि पहले हम कहा करते थे कि 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को हार्ट अटैक आता है लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब किशोरों और युवाओं में हार्ट अटैक के केस बढ़ गए हैं और इसकी वजह मौसम बदलने से लोगों की बायोमेडिकल एक्टिविटी और फिजिकल एक्टिविटी पर असर पड़ना. मौसम के लगातार बदलने से इन्फेक्शन की आशंका बढ़ जाती है. खान-पान में बदलाव, वर्क आउट की कमी से भी हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है.
बीपी बढ़ने से भी आ रहे हार्ट अटैक
देश में हार्ट अटैक के केस बढ़ना चिंता का विषय है. इस पर जयपुर के डॉ. गोविंद शरण शर्मा ने बताया कि हार्ट अटैक का पहले एज ग्रुप 60+ था, लेकिन अब 20 या 30+ के युवा इसकी चपटे में आ रहे हैं. इसके पीछे मानसिक तनाव, एंजाइटी या अल्कोहल, स्मोकिंग जैसी लाइफस्टाइल वजह है. युवा अपने शरीर का बिल्कुल ध्यान नहीं रख रहे हैं, इस वजह से युवा अवस्था में हार्ट अटैक के केस बढ़ रहे हैं. साथ ही मौसम बदलने की वजह से अचानक ब्लड प्रेशर बढ़ने से नसों में ब्लड क्लॉटिंग (खून का थक्का जमना) हो जाती है. इसी वजह से हार्ट अटैक और ब्रेन अटैक की घटनाएं होती हैं.
कोरोना भी है इन समस्याओं की वजह
इंदौर के हार्ट स्पेसलिस्ट डॉ. महेंद्र चौरसिया का कहना है कि कोरोना संक्रमण के चलते युवाओं की इम्युनिटी कमजोर हो रही है, जिसका नतीजा 35 साल से कम उम्र के युवाओं को ब्लड प्रेशर, डायबीटीज, लीवर और हार्ट अटैक से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
उन्होंने बताया कि कोरोना की सेकंड वेव के मरीजों की खून की नलियां सिकुड़ गई हैं. उसमें कई बदलाव देखने को मिल रहे हैं, जिसके चलते एंडोठेलियम डैमेज हो रही हैं. ऐसा होने से मरीज में ब्लड क्लोटिंग की समस्या बढ़ जाती है, जो हार्ट अटैक का कारण बनती है. दूसरी वजह यह है कि कई युवा बहुत ज्यादा धूम्रपान रह रहे हैं, जिससे वे ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, शुगर और हार्ट से जुड़ी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. तीसरा कारण प्रदूषण है. प्रदूषण के कारण भी दिल के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है .
उनका कहना है कि कई तरह की वजहों के चलते ये बीमारियां युवाओं में बढ़े हुए रूप में देखने को मिल रही हैं. उन्होंने कहा कि अगर आप में किसी बीमारी के लक्षण दिख रहे हैं तो आप उसकी तुरंत जांच कराएं. कई बार लक्षण ही नहीं आते हैं, कई बार युवा इस भ्रम का शिकार हो जाते हैं कि उन्हें हार्ट अटैक कैसे आ सकता है और वे समय पर जांच नहीं कराते और समस्या बढ़ जाती है, जिसका नतीजा हार्ट फेल हो सकता है.
उन्होंने बताया कि कई बार युवा हार्ट अटैक की समस्याओं को एसिडिटी या जलन समझ बैठते हैं. ऐसे में वह एसिडिटी की टेबलेट खा लेते हैं, लेकिन ऐसे में हार्ड डैमेज होने का खतरा बढ़ जाता है. डॉ. महेंद्र चौरसिया ने युवाओं को हार्ट अटैक से बचाने के लिए उपाय बताए कि उन्हें रूटीन चेकअप कराना चाहिए, हरी सब्जियों का सेवन, नियमित एक्सरसाइज को अपनी लाइफस्टाइल में शामिल करना चाहिए.