बेंगलुरु में डॉक्टरों ने 10 महीने के बच्चे का हार्ट फेल्योर के बाद हार्ट ट्रांसप्लांट कर नया जीवनदान दिया. डॉक्टरों की टीम ने बच्चे को सर्जरी के बाद लंबे वक्त तक निगरानी में रखा और बच्चे की एक्टिविटी में लगातार सुधार के बाद अक्टूबर में बच्चे को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया. डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे के एक ढाई साल के बच्चे का दिल लगाया गया है.
अस्पताल में गुरुवार को बताया कि बच्चे की दुर्लभ सर्जरी अगस्त महीने में की गई थी और बच्चे को उल्लेखनीय प्रगति क साथ अक्टूबर में छुट्टी दे दी गई थी.
अस्पताल ने एक बयान में कहा, रेस्ट्रिक्टिव कार्डियोमायोपैथी (आरसीएम) के कारण अंतिम चरण की हृदय विफलता से पीड़ित बच्चे को नारायण हेल्थ सिटी में जीवन रक्षक हृदय प्रत्यारोपण प्राप्त हुआ, जो भारतीय चिकित्सा इतिहास में एक महत्वपूर्ण है.
'बच्चे को पीलिया होने के बाद किया गया था भर्ती'
अस्पताल ने कहा कि 10 महीने की बच्चे की हालत लगातार बिगड़ रही थी. बच्चे को गंभीर पीलिया हो गया, जिसकी वजह से उनका वजन कम हो गया, पेट में तरल पदार्थ जमा हो गया और दूध पीने में परेशानी होने लगी थी. इससे बच्चे का परिवार परेशान हो गया और इलाज के लिए बच्चे को नारायण हेल्थ सिटी में इलाज के लिए भर्ती कराया गया.
अस्पताल के अनुसार, ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ डॉ. शशिराज ने विशेषज्ञों की एक टीम के साथ मिलकर गहन जांच की और फैसला किया कि बच्चे का हार्ट ट्रांसप्लांट करना ही एक मात्र विकल्प है.
इसमें कहा गया है, "72 घंटों के अंदर एक 2.5 वर्षीय बच्चा डोनर के रूप में उपलब्ध हो गया. जिसने गंभीर न्यूरोलॉजिकल स्थिति के कारण अपनी जान गंवा दी थी.
डॉ. शशि राज के अनुसार, बच्चों में हार्ट फेल्योर विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण है. डोनर के हार्ट की दुर्लभता, विशेषकर बच्चों के लिए, जन्मजात हार्ट रोग की जटिलताओं के साथ मिलकर इसे एक अविश्वसनीय रूप से नाजुक प्रक्रिया बना दिया. इस बच्चे की हालत नाजुक थी और हमें पता था कि वक्त निकल रहा है. यह मामला विशेषज्ञ टीम वर्क की शक्ति और हार्ट ट्रांसप्लांट की लाइफ सेविंग क्षमता को दिखाता है. उम्मीद है कि ये मामला हार्ट फेल्योर और ऑर्गन डोनर के महत्व के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाएगा.
18 अगस्त को हुई थी बच्चे की सर्जरी
अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि 18 अगस्त को नारायण हेल्थ सिटी की कुशल सर्जिकल टीम ने बच्चे के हार्ट ट्रांसप्लांट किया और दो महीने की रिकवरी पीरियड के बाद बच्चे की बढ़ती एक्टिविटी, वजन बढ़ा और लगातार भूख लगने के बाद स्थिर स्थिति में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है.