पश्चिमी बंगाल की राजधानी कोलकाता के बेहाला चौरास्ता इलाके में एक तेज रफ्तार ट्रक की चपेट में आने से एक नाबालिग लड़के की मौत हो गई, जबकि उसके पिता गंभीर रूप से घायल हो गए, जिसके बाद स्थानीय लोगों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया और कई वाहनों को आग लगा दी थी. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में सुवेंदु अधिकारी को बड़ी राहत दी है. इसके बाद बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने कहा कि कोलकाता पुलिस एक परिवार को सुरक्षा देने में जुटी है. वो है ममता बनर्जी का परिवार. जब वह अपने घर से निकलती हैं तो 7000 पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं.
सुवेंदु ने कहा कि लोगों को ट्रैफिक पुलिस काम करते हुए नहीं मिलेगी, वे केवल राज्य में ट्रकों से रिश्वत लेते या कटौतियां लेते नजर आते हैं. यही वजह है कि सब्जियां इतनी महंगी हो गई हैं. राज्य के विभिन्न हिस्सों में ये ट्रैफिक पुलिस ट्रक ड्राइवरों से रिश्वत लेते नजर आते हैं. पूर्वी मिदनापुर के ट्रकों को शहर में एंट्री करने के लिए 3 जगहों पर भुगतान करना पड़ता है. बीजेपी नेता ने कहा कि कोलकाता पुलिस कमिश्नर को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए. कोलकाता पुलिस की गलती के कारण उस बच्चे को जान गंवानी पड़ी.
अधिकारी ने कहा कि कोलकाता पुलिस केवल ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी को सुरक्षा देने में व्यस्त थी, न कि कोलकाता के लोगों को सुरक्षा प्रदान करने में. उन्होंने आरोप लगाए कि कोलकाता पुलिस के अधिकांश यातायात कर्मी बड़े भ्रष्टचार की गतिविधियों में शामिल हैं, वह ट्रकों को पास कराने के लिए रिश्वत लेते हैं.
सुवेंदु ने ममता पर हमला करते हुए कहा कि वह एक अवसरवादी राजनीतिज्ञ हैं. जब भी जरूरत होगी वह अपना रुख बदल लेंगी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से न्याय की जीत हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने मेरे खिलाफ दर्ज एफआईआर पर आदेश दिया, यह उनके लिए न्याय की जीत नहीं है? वह उसे किनारे रख रही हैं. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी भारत की एकमात्र राजनेता हैं, जिन्हें HC के एक जज के बारे में गलत बातें कहने के लिए 5 लाख रुपये का जुर्माना देना पड़ा था.
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि पश्चिम बंगाल पुलिस बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ FIR दर्ज कर सकती है. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट के लिए यह उचित होगा कि वह अपने 20 जुलाई के आदेश में अंतरिम निर्देश जारी करने से पहले सुवेंदु अधिकारी को मामले में जवाबी हलफनामा दायर करने का अवसर दे. जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि हम कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से नए सिरे से सुनवाई करने का अनुरोध करते हैं और इसे सुविधाजनक बनाने के लिए 20 जुलाई के आदेश को रद्द कर दिया जाएगा.