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27 साल के एक आर्मी अफसर के पिता पिछले 18 दिन से पानी में डूबे अपने बेटे का इंतजार कर रहे हैं. उसके जिंदा रहने की उम्मीदें छोड़ चुके हरीश जोशी की निराशा हर गुजरते दिन के साथ-साथ बढ़ती जा रही है. 18 दिन के अभियान के बाद भी जब जवान बेटे का सुराग नहीं मिला तो उनके सब्र का बांध टूट पड़ा.
पठानकोट के पास रंजीत सागर डैम में 18 दिन पहले आर्मी एविएशन स्क्वॉड्रन का एक हेलिकॉप्टर हादसे का शिकार हो गया था. चार दिन पहले 75 मीटर की गहराई से उसके पायलट लेफ्टिनेंट कर्नल एएस बाथ का शव मिल गया था, लेकिन को-पायलट जयंत जोशी का अभी तक कुछ पता नहीं चल सका है.
आखिरकार उनके पिता हरीश जोशी ने इस हादसे के बाद पहली बार मुंह खोला. अभियान पर सवाल उठाते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि 18 दिन बाद भी उनके बेटे का कोई सुराग नहीं लग पाया है और इसकी वजह सर्च अभियान में ढिलाई बरतना है. उन्हें तो हादसे के बारे में भी सेना की जगह सोशल मीडिया से ही जानकारी हासिल हुई थी.
पिता हरीश पिछले 18 दिन से घटनास्थल के पास इस उम्मीद से डेरा डाले हुए हैं कि वो कम से कम अपने बेटे को अंतिम विदाई तो दे दें. लेकिन ये होगा कैसे?
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सिर्फ और सिर्फ औपचारिकता कर रहेः पिता
आजतक से बातचीत के दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि उनके बेटे को ढूंढने के लिए ढंग के उपकरण तक नहीं लगाए गए हैं. जो अभियान चलाया जा रहा है वो सिर्फ और सिर्फ औपचारिकता पूरी करने के लिए है. उन्होंने कहा कि 6 महीने में ये दूसरा हादसा है जिनमें दो पायलट अपनी जान गंवा बैठे हैं. जबकि एक अब शायद कभी उड़ान ही नहीं भर पाएगा.
उन्होंने कहा, 'बेशक मेरे बेटे ने सेना में ड्यूटी के दौरान अपनी जान गंवाई है, लेकिन इस हादसे के बाद जिस संवेदनहीनता के साथ अभियान चलाया गया है. उसने मेरे दर्द को और बढ़ा दिया है. सेना ने तो मुझे मेरे बेटे के हादसे के बारे में भी नहीं बताया. हमें सोशल मीडिया से जानकारी मिली कि उसका चॉपर हादसे का शिकार हो गया है.'