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केंद्र को दिल्ली HC से बड़ा झटका, कोर्ट ने निरस्त किया ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पर 12% ISGT

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि जो व्यक्ति इस तरह से विदेश से उपकरण मंगवाएगा, वह पहले संबंधित विभाग को लिखकर इसके बारे में सूचित करेगा कि विदेश से मंगाया जा रहा उपकरण निजी उपयोग के लिए है और व्यावसायिक उपयोग नहीं किया जाएगा.

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दिल्ली हाई कोर्ट
दिल्ली हाई कोर्ट
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 85 वर्षीय कोरोना संक्रमित गुरुचरण सिंह ने लगाई थी याचिका
  • HC ने केंद्र की 1 मई को जारी अधिसूचना को निरस्त किया
  • विदेश से उपकरण मंगवाने से पहले जानकारी देनी होगीः HC

दिल्ली हाई कोर्ट ने निजी इस्तेमाल के लिए विदेश से उपहार में मिले ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के आयात पर एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) लगाए जाने को अपने एक आदेश में असंवैधानिक ठहराया है. कोर्ट ने इसको लेकर केंद्र सरकार की तरफ से जारी की गई 1 मई की अधिसूचना को भी निरस्त कर दिया है.

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दरअसल, केंद्र सरकार की इस अधिसूचना के बाद इस तरह के उपकरण पर 12 फीसदी आईजीएसटी लगाया जाता है, लेकिन आज हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जो भी व्यक्ति इस तरह से विदेश से उपकरण मंगवाएगा, वह पहले संबंधित विभाग को लिखकर इसके बारे में सूचित करके बताएगा कि विदेश से मंगाया जा रहा उपकरण निजी उपयोग के लिए है और इसका व्यावसायिक उपयोग नहीं किया जाएगा.

दिल्ली हाई कोर्ट का ये आदेश उस याचिका पर आया है जिनमें 85 वर्षीय कोरोना संक्रमित गुरुचरण सिंह ने केंद्र सरकार की अधिसूचना को रद्द करने की मांग की थी. याचिका में कहा गया था कि कोरोना महामारी के दौरान आवश्यक उपकरण पहले ही देश में बेहद कम है. इसके बावजूद सरकार आक्सीजन कंसंट्रेटर पर आईजीएसटी वसूल रही है जो महामारी के इस वक्त में पूरी तरह से गलत है. कोर्ट ने इस मामले में 7 मई को केंद्र सरकार से जवाब भी मांगा था.

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याचिकाकर्ता को उसके भतीजे ने जो अमेरिका में रह रहा है, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भेजा था. कोरोना से संक्रमित गुरुचरण सिंह की सेहत में सुधार लाने के लिए यह कंसंट्रेटर भतीजे ने भेजा था, लेकिन उपहार के तौर पर भेजे गए इस उपकरण पर भी सरकार ने 12 फीसदी का आईजीएसटी वसूला.

केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा 1 मई को जारी अधिसूचना के तहत सरकार ने कहा है कि व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए आयात किए जाने वाले ऐसे आक्सीजन कंसंट्रेटर पर 12 फीसदी की दर से आईजीएसटी लिया जाएगा, भले ही वह उपकरण उपहार के रूप में ही क्यों न आए हों.

याचिकाकर्ता की तरफ से दरअसल बहस इस बात पर की गई कि एक मई को जारी अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन है क्योंकि इससे कोरोना महामारी के दौरान रोगियों के जीवन के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है. कोर्ट ने भी माना कि पहले से ही कोरोना संक्रमण के बढ़ोतरी की वजह से आक्सीजन कंसंट्रेटर की काफी कमी है, ऐसे में अगर किसी को उपहार के रूप में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मिल रहा है, तो सरकार को इस पर आईजीएसटी नहीं वसूलना चाहिए.
 

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