पूरे देश में बहस का मुद्दा बन चुके कर्नाटक के हिजाब विवाद (Hijab Controversy) पर दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (Jawaharlal Nehru University) से प्रतिक्रिया सामने आई है. JNU की 200 छात्राओं ने स्कूल में हिजाब पहनने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रही कर्नाटक की मुस्लिम छात्राओें का समर्थन किया है. समर्थन करने वाली JNU की छात्राओं का कहना है कि छात्राओं को हिजाब पहनने से रोकना राज्य और उसकी संस्थाओं की इस्लामोफोबिक और पितृसत्तात्मक प्रवृत्ति को दिखाता है.
JNU की छात्राओं ने बयान जारी कर कहा कि मुस्लिम छात्राओं को हिजाब न पहनने के मजबूर करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 (Article 25) का उल्लंघन है. ये अनुच्छेद धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है. वहीं, छात्राओं को कक्षा में प्रवेश करने से मना करना अनुच्छेद 21 (A) और अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है. यह दोनों ही शिक्षा के अधिकार की गारंटी देते हैं और धर्म, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव को रोकते हैं.
जबरन फैसला लागू नहीं किया जा सकता
JNU की छात्राओं की तरफ से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने की वकालत कर रहीं मुस्लिम छात्राओं का समर्थन करते हैं. हम उनके शिक्षा के अधिकार की रक्षा चाहते हैं. ताकत के दम पर हिजाब पहनने या न पहनने के फैसले को लागू नहीं किया जा सकता है. यह छात्राओं की इच्छा पर निर्भर करता है. स्टेटमेंट में यह भी कहा गया है कि विरोध-प्रदर्शन कर रहीं छात्राओं को साजिश के तहत अपराधी घोषित करने की कोशिश की जा रही है.
कर्नाटक के कई जिलों में विरोध-प्रदर्शन
बता दें कि पिछले हफ्ते ही कर्नाटक सरकार ने आदेश जारी करते हुए राज्य के सभी स्कूलों और प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों में विद्यार्थियों के लिए तय ड्रेस को अनिवार्य करने का आदेश दिया था. सरकार ने अपने आदेश में निजी संस्थानों को भी शामिल किया था. सरकार के इस आदेश के पहले से ही कर्नाटक में स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहनने के मुद्दे पर भारी विरोध प्रदर्शन चल रहा है. कर्नाटक के कई जिलों में मुस्लिम छात्राओं के प्रदर्शन के बाद कर्नाटक सरकार ने 8 फरवरी को राज्य के सभी हाई स्कूल और कॉलेजों में 3 दिन की छुट्टी घोषित कर दी थी.