कर्नाटक में हिजाब विवाद को लेकर काफी बवाल देखने को मिल रहा है. हाई कोर्ट ने ये मामला जरूर बड़ी बेंच को सेंड कर दिया है, लेकिन इसको लेकर विवाद लगातार जारी है. अब आजतक/ इंडिया टुडे ने इस मुद्दे पर सीधे कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश से बात की है. उनका सामना उस छात्रा से भी करवाया गया है जिसने हाई कोर्ट में हिजाब को लेकर याचिका दाखिल की है.
हिजाब पर छात्रा की दलील, मंत्री का जवाब
अब उस बहस में छात्रा ने अपनी तमाम दलीलें बीसी नागेश के सामने रखी हैं. जोर देकर कहा गया है कि उन्हें स्कूल यूनिफॉर्म से कोई तकलीफ नहीं है. वे लगातार स्कूल यूनिफॉर्म पहन रहे हैं, आगे भी पहनेंगे. वे सिर्फ अपने सिर को ढकना चाहती हैं. वे इसे अपना हक मानती हैं. बाद में छात्रा ने ये भी दलील दी कि हिजाब पहनने से कोई दिमाग पर असर नहीं पड़ता है. सिर्फ सिर ढका जा रहा है, पढ़ाई पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है. छात्रा ने बड़ी बात कहते हुए बोला कि समानता अगर देनी है तो वो कपड़ों से नहीं हो सकती, दिल से दी जाती है.
#EXCLUSIVE: #Karnataka Education Minister @BCNagesh_bjp answers to protesting student Haazara. Says, "I request the girls, what they were following since the beginning of the college has to be followed by them."#5iveLIVE #ITVideo | @ShivAroor pic.twitter.com/GuGGYYFBB4
— IndiaToday (@IndiaToday) February 9, 2022
बाद में अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए छात्रा ने बताया कि वे सभी स्कूल जाने को तैयार हैं, उन्हें भी पढ़ाई करनी है, वे क्लास में एंट्री जाती हैं. लेकिन उन्हें रोका जा रहा है. सिर्फ हिजाब की वजह से एंट्री देने से मना किया जा रहा है. अब इन सभी दलीलों पर कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने भी अपना जवाब दिया.
कोर्ट के फैसले का छात्राओं को इंतजार
उनके मुताबिक इन छात्राओं को भड़काया जा रहा है. जानबूझकर माहौल खराब करने का काम हो रहा है. वहीं उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया स्कूल या फिर कॉलेज में वहां के नियमों का पालन होना जरूरी है. जो यूनिफॉर्म बताई गई है, वो पहननी होगी. राज्य शिक्षा मंत्री ने यहां तक कह दिया कि ये छात्राएं हाई कोर्ट कैसे जा सकती हैं, क्या ये हाई कोर्ट में अपील कर सकती हैं? मंत्री की तरफ से लगातार सिर्फ यही तर्क दिया गया कि सभी को नियमों के हिसाब से काम करना होगा. अब अभी के लिए छात्राओं को पूरी उम्मीद है कि कोर्ट में उन्हें न्याय मिलेगा और संविधान को आधार बनाकर उनके हक में फैसला दिया जाएगा.