हिमाचल प्रदेश में फॉरेस्ट फायर की घटनाएं लगातार दर्ज की जा रही हैं. बुधवार को ऐसी 25 घटनाएं दर्ज की गईं. इसके साथ ही राज्य के जंगलों में आग लगने की घटना 1,038 तक पहुंच गई है. अधिकारियों ने बताया कि करीब 3 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है.
हालांकि, एसिस्टेंट चीफ कंजर्वेटर यानी मुख्य वन संरक्षक पुष्पिंदर राणा ने बताया कि आग की घटनाओं में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. उन्होंने बताया कि विभाग के पास स्थानीय स्तर पर 3000 फील्ड अधिकारी हैं और कर्मचारियों की छुट्टियां भी रद्द कर दी गई हैं. उन्होंने बताया कि आग की घटनाओं पर काबू पाने के लिए डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के 18000 वॉलंटियर ग्राउंड पर मदद कर रहे हैं.
पुष्पिंदर राणा ने बताया, "अब तक 38 एफआईआर दर्ज की गई हैं और अपराधियों के खिलाफ जांच और कार्रवाई के लिए पुलिस को 600 शिकायतें दी गई हैं. हमने आम लोगों से भी कहा है कि अगर वे किसी को जंगलों में आग लगाते हुए देखें तो वे फोटो और वीडियो साझा करें."
आग जलाने जैसी गतिविधियों पर रखी जा रही नजर
हिमाचल प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक राजीव कुमार ने बताया कि राज्य में चल रही लू की वजह से तापमान में बढ़ोतरी हुई है और इसकी वजह से जंगलों में आग लगने की घटनाएं सामने आ रही हैं. उन्होंने कहा कि जंगल में जलती हुई सिगरेट फेंकने और विभिन्न उद्देश्यों के लिए आग जलाने जैसी गतिविधियों से भी बड़ी संख्या में आग लगती है. उन्होंने बताया कि ऐसी घटनाओं को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है.
जंगल की आग इमारत तक पहुंची
आज, बुधवार को दर्ज की गई 25 घटनओं में एक आग की घटना सोलन जिले के धरमपुर में दर्ज की गई, जहां आग पास के एक इमारत तक पहुंच गई. इससे माना जा रहा है कि लाखों का नुकसान भी हुआ है. बताया जा रहा है कि आग दिन में करीब 11.30 बजे लगी और थोड़ी देर में इमारत तक जा पहुंची. बताया जा रहा है कि यहां एक कार वॉर्कशॉप भी थी.
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एक अन्य घटना राज्य के बिलासपुर स्थित नैना देवी जंगल की है, जहां सड़क किनारे खड़े दो वाहनों को नुकसान हुआ. इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया. कहा जा रहा है कि वाहन एक स्थानीय पुजारी विकास शर्मा और विशाल शर्मा के थे.
हिमाचल प्रदेश में कितने वन क्षेत्र हैं?
एक रिपोर्ट के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश में 2,026 वन क्षेत्र हैं, जिनमें 339 'अत्यंत संवेदनशील' हैं, 667 को 'संवेदनशील' की कैटगरी में रखा गया है और 1,020 वन क्षेत्रों को 'कम संवेदनशील' माना गया है. शिमला, सोलन, बिलासपुर, मंडी और कांगड़ा जिलों में अक्सर आग लगने की घटनाएं देखी जाती हैं. वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, पिछले दस सालों में आग बुझाने के दौरान 13 लोगों की मौत हो चुकी है.