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'BJP के समर्थक विधायकों के परिवार वालों पर FIR कर रही कांग्रेस...', हिमाचल प्रदेश में LOP जयराम ठाकुर ने लगाया आरोप

हिमाचल प्रदेश में LOP जयराम ठाकुर ने कहा कि, वास्तविकता यह है कि कांग्रेस पार्टी के पास बहुमत नहीं है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि वे राज्यसभा सीट हार गए हैं, साथ ही बजट पास कराने के लिए उन्हें 15 बीजेपी विधायकों को निलंबित करना पड़ा है.

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हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के लिए राजनीतिक संकट
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के लिए राजनीतिक संकट

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के लिए राजनीतिक संकट अभी खत्म नहीं हुआ है, बल्कि लगातार उनकी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. ताजा घटनाक्रम के मुताबिक, 9 विधायकों (3 निर्दलीय और 6 कांग्रेस से) के बीजेपी में शामिल होने से राज्य में कांग्रेस और बड़ा झटका लगा है. विधायकों के पार्टी बदलने के इस प्रकरण पर राज्य के एलओपी और बीजेपी नेता जयराम ठाकुर ने कहा कि, "राज्य में एक बहुत ही अलग राजनीतिक स्थिति है. 

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वास्तविकता यह है कि कांग्रेस पार्टी के पास बहुमत नहीं है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि वे राज्यसभा सीट हार गए हैं, साथ ही बजट पास कराने के लिए उन्हें 15 बीजेपी विधायकों को निलंबित करना पड़ा है. जो विधायक बीजेपी के समर्थन में आते हैं, उनके परिवारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करना गलत है, इसलिए सभी 9 विधायकों ने भाजपा में शामिल होने और पीएम मोदी, एचएम अमित शाह और पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा को मजबूत करने का फैसला किया है."

बता दें कि हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में कांग्रेस के सभी छह बागी विधायक और तीन निर्दलीय विधायक भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं. कांग्रेस विधायक सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर,राजेंद्र सिंह राणा, चैतन्य शर्मा, देवेंदर भुट्टो और इंदर दत्त लखनपाल और निर्दलीय विधायकों केएल ठाकुर, होशियार सिंह और आशीष शर्मा ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. इन विधायकों के बीजेपी में शामिल होने के बाद कुल 68 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस के पास अब घटकर 34 सीटें हो चुकी हैं. वहीं, बीजेपी की संख्या नहीं बढ़ेगी क्योंकि 6 बागी विधायकों को स्पीकर ने निलंबित कर दिया था और 3 निर्दलीय विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है.

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हिमाचल प्रदेश के स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने राज्यसभा चुनाव में बगावत करने वाले इन 6 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था. उन्होंने कहा था कि दल-बदल कानून के तहत 6 माननीय विधायकों के खिलाफ शिकायत विधायक और मंत्री हर्ष वर्धन के माध्यम से हमारे सचिवालय को मिली, जिसके बाद उन्होंने दोनों पक्षों को सुना और अपना फैसला सुनाया. निलंबित किए गए विधायकों ने व्हिप का उल्लंघन किया था.

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