उत्तर प्रदेश के अयोध्या में अगले महीने भव्य राम मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है. यूपी के ही मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि विवाद कोर्ट में है. वाराणसी के काशी-ज्ञानवापी मामले में भी अदालत के अंदर सुनवाई चल रही है. इतना ही नहीं मध्य प्रदेश के धार में भोजशाला का मुद्दा भी कोर्ट में ही है. इस बीच अब हिंदू संगठन इस तरह के 40 मामले कोर्ट तक ले जाने की तैयारी कर रहे हैं.
विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन ने दावा किया है कि 2024 में बसंत पंचमी के अवसर पर इसकी शुरुआत की जाएगी. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के मुद्दे पर कार्य पूर्ण हो चुका है. मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में कार्य प्रगति पर है. काशी में ज्ञानवापी परिसर विवाद में भी कार्य प्रगति पर है. मध्य प्रदेश के धार में भोजशाला के मुद्दे पर भी कार्य जारी है. उन्होंने आगे कहा,'अब 40 अन्य धर्म स्थलों की मुक्ति के लिए एक साथ न्यायिक/संवैधानिक धर्म युद्ध की तैयारी पूर्ण हुई. 2024 में बसंत पंचमी को संवैधानिक धर्म युद्ध प्रारंभ का शंखनाद होगा.'
क्या है मथुरा विवाद?
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद काफी पुराना है. विवाद 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक से जुड़ा हुआ है. 12 अक्टूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ समझौता किया था. इस समझौते में 13.7 एकड़ जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों बनने की बात हुई थी. बता दें कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास 10.9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है और 2.5 एकड़ जमीन का मालिकाना हक शाही ईदगाह मस्जिद के पास है.
हिंदू पक्ष का कहना है कि शाही ईदगाह मस्जिद को अवैध तरीके से कब्जा करके बनाया गया है. इस जमीन पर उनका दावा है. हिंदू पक्ष की ओर से ही शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने और इस जमीन को भी श्रीकृष्ण जन्मस्थान को देने की मांग की गई है. इस मामले में हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता और दिल्ली निवासी उपाध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव ने कोर्ट में दावा किया था. इसमें कहा था कि ईदगाह का निर्माण मुगल बादशाह औरंगजेब ने भगवान कृष्ण की 13.37 एकड़ जमीन पर बने मंदिर को तोड़कर करवाया था.
क्या है ज्ञानवापी विवाद?
जिस तरह से अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का विवाद था, ठीक वैसा ही ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर का विवाद भी है. स्कंद पुराण में उल्लेखित 12 ज्योतिर्लिंगों में से काशी विश्वनाथ को सबसे अहम माना जाता है. 1991 में काशी विश्वनाथ मंदिर के पुरोहितों के वंशज पंडित सोमनाथ व्यास, संस्कृत प्रोफेसर डॉ. रामरंग शर्मा और सामाजिक कार्यकर्ता हरिहर पांडे ने वाराणसी सिविल कोर्ट में याचिका दायर की.
याचिका में दावा किया कि काशी विश्वनाथ का जो मूल मंदिर था, उसे 2050 साल पहले राजा विक्रमादित्य ने बनाया था. 1669 में औरंगजेब ने इसे तोड़ दिया और इसकी जगह ज्ञानवापी मस्जिद बनवा दी. इस मस्जिद को बनाने में मंदिर के अवशेषों का ही इस्तेमाल किया गया. हिंदू पक्ष की मांग है कि यहां से ज्ञानवापी मस्जिद को हटाया जाए और पूरी जमीन हिंदुओं को सौंपी जाए.
क्या है भोजशाला विवाद?
हिंदू भोजशाला को वाग्देवी यानी सरस्वती का मंदिर मानते हैं, जबकि मुस्लिम इस परिसर को कमाल मौला मस्जिद बताते हैं. इसी को लेकर दोनों के बीच लंबे वक्त से विवाद चला आ रहा है. भोजशाला का नाम राजा भोज के नाम पर रखा गया है. यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित स्मारक है.
(इनपुट सहित)