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दो प्रवासी कश्मीरी, एक PoK से... LG को होगा 3 सदस्य नॉमिनेट करने का अधिकार, आज संसद में अमित शाह लाएंगे बिल

गृह मंत्री अमित शाह आज लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पेश करेंगे. विधेयक में कहा गया है कि विधानसभा में विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए दो सीटें और पाकिस्तान के कब्जे वाले (पीओके) कश्मीर के विस्थापितों के लिए एक सीट रिजर्व की जाएगी. कश्मीरी पंडितों की एक सीट महिला के लिए रिजर्व रहेगी.

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह. (फाइल फोटो)
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह. (फाइल फोटो)

संसद के शीतकालीन सत्र का मंगलवार को दूसरा दिन है. लोकसभा के कामकाज की संशोधित सूची जारी की गई है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पेश करेंगे. यह बिल कानून कश्मीरी पंडितों से जुड़ा है. इस विधेयक के जरिए सरकार ने राज्य के विस्थापितों (कश्मीरी पंडित) के लिए दो और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) के विस्थापितों के लिए एक सीट आरक्षित करने का प्रावधान किया है.

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जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 के मुताबिक, कश्मीरी प्रवासियों को नॉमिनेट करने की व्यवस्था की गई है. विधेयक में कहा गया है कि उपराज्यपाल कश्मीरी प्रवासी समुदाय से अधिकतम दो सदस्यों को विधानसभा में नामांकित कर सकते हैं. इनमें से एक सदस्य महिला होनी चाहिए. प्रवासियों को ऐसे व्यक्तियों के रूप में परिभाषित किया गया है जो 1 नवंबर, 1989 के बाद कश्मीर घाटी या जम्मू और कश्मीर राज्य के किसी अन्य हिस्से से चले गए और राहत आयुक्त विभाग में पंजीकृत हैं.

ऐसे लोगों को रहेगी छूट...

प्रवासियों में ऐसे व्यक्ति भी शामिल हैं, जिनका पंजीकरण कुछ कारणों से नहीं हुआ है. जैसे- किसी चलते-फिरते कार्यालय में सरकारी सेवा में होने के कारण, काम के लिए चले जाने के कारण, या जिस स्थान से वे प्रवासित हुए हैं, वहां उनके पास अचल संपत्ति है, लेकिन वे ऐसा करने में असमर्थ हैं और अशांत परिस्थितियों के कारण वहीं निवास करते हैं.

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पीओके के विस्थापितों के लिए एक सीट रिजर्व

विधेयक में कहा गया है कि उपराज्यपाल पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर (पीओके) के विस्थापित लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सदस्य को विधानसभा में नामित कर सकते हैं. विस्थापित व्यक्तियों से तात्पर्य उन व्यक्तियों से है जो पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में अपने निवास स्थान को छोड़ चुके हैं या विस्थापित हो गए हैं और ऐसे स्थान से बाहर रहते हैं. ऐसा विस्थापन 1947-48, 1965 या 1971 में नागरिक अशांति या ऐसी गड़बड़ी की आशंका के कारण होना चाहिए था, इनमें ऐसे व्यक्तियों के उत्तराधिकारी भी शामिल हैं.

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