गृह मंत्री अमित शाह ने अप्रवास और विदेशियों विषयक विधेयक पर लोकसभा में हुई चर्चा का गुरुवार को जवाब दिया. उन्होंने कहा कि जो भारत के भले के लिए आएगा, उसका स्वागत करेंगे. रोहिंग्या हों या बांग्लादेशी, जिनके विचार ठीक नहीं होंगे उनसे हम कड़ाई से निपटेंगे. अमित शाह ने बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर उठे सवालों के जवाब देते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पर भी हमला बोला. उन्होंने फेंसिंग के आंकड़े भी सदन में बताए.
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बांग्लादेश से लगती 112 किलोमीटर की सीमा पर नदी-नाले हैं जिनकी वजह से फेंसिंग नहीं हो सकती. 450 किलोमीटर सीमा पर फेंसिंग नहीं हुई है और ये फेंसिंग केवल पश्चिम बंगाल सरकार के कारण रुकी है. उन्होंने कहा कि मैंने खुद लेटर लिखे लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार जमीन नहीं दे रही है. जहां फेंसिंग लगाने जाते हैं वहां सत्ताधारी पार्टी का कैडर हुड़दंग करता है, धार्मिक नारे लगाता है. अमित शाह ने कहा कि हो सकता है कि इस भाषण के बाद ममता (बनर्जी) जी भूमि दे भी दें. हम 450 किलोमीटर फेंसिंग कर देंगे. तब भी 112 किलोमीटर नदी-नाले हैं, कठिन भौगोलिक परिस्थितियां हैं. वहां फेंसिंग नहीं हो सकती.
उन्होंने कहा कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या जितने घुसपैठ करके आते हैं, उनके आधार कार्ड कहां के हैं? वे नागरिक कहां के हैं? गृह मंत्री शाह ने कहा कि जितने भी घुसपैठिए पकड़े गए हैं, उन सबके पास 24 परगना के आधार कार्ड मिले हैं. दिल्ली में चुनाव चल रहे थे, इसलिए बोलना उचित नहीं लगा. अब देश की जनता को सत्य बताया है. उन्होंने टीएमसी को घेरते हुए कहा कि आपकी कृपा से 450 किलोमीटर सीमा खुली है. वहीं से घुसपैठ है, वहीं नागरिक बनते हैं, आधार कार्ड बनते हैं और देशभर में फैल जाते हैं.
अमित शाह ने कहा कि आप आधार कार्ड रोक दो, एक भी घुसपैठिया यहां नहीं रहने पाएगा. उन्होंने पासपोर्ट रैंकिंग में भारत के 50 वें नंबर पर होने संबंधी बात पर कहा कि ये कोई सरकारी नहीं, एक एनजीओ का सर्वे है. राहुल गांधी जब से विपक्ष के नेता बने हैं, एनजीओ का ही डेटा खंगालते हैं. कई बार तो छापे बगैर का संविधान भी लहरा देते हैं. अमित शाह ने तमिल शरणार्थियों को लेकर नीति के सवाल पर कहा कि 1986 से जो भारत सरकार की नीति है, 10 साल यूपीए सरकार में जब आप (डीएमके) थे, तब जो नीति थी वही हमारी नीति है. तमिल शरणार्थियों की नीति में हमने कोई बदलाव नहीं किया है. जस का तस रखा है. कुछ बदलाव करना है तो हमें दे देना, हम सोचेंगे.
उन्होंने मनीष तिवारी की ओर से उठाए गए सवाल पर कहा कि पहले भी कानून में किसी विदेशी नागरिक को प्रवेश से रोकने का आधिकार था, अधिकारियों के पास ही था. अमित शाह ने कहा कि हमने 2019 में ये नियम बनाया कि 24 बिंदुओं पर पूरी जांच करके ही किसी को रोका जा सकता है. किसी को भी खुली छूट नहीं दी है. जांच के अधिकार को लेकर सवाल पर उन्होंने कहा कि फांसी की सजा वाले अपराधी की जांच भी हेड कांस्टेबल ही करता है. संविधान बना, संविधान के तहत हम जीतकर आए. कोई मंत्री बना कोई विपक्ष का नेता बना. देश नियम से चलता है न भाई. हेड कांस्टेबल से ऊपर भी तो कोर्ट है.
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अपील के अधिकार को लेकर सवाल पर अमित शाह ने कहा कि देश की सुरक्षा का जहां सवाल होता है, कोर्ट ही एकमात्र शरण है. इसमें कहीं अपील का अधिकार नहीं है. उन्होंने फ्रांस से लेकर बाकी देशों के उदाहरण दिए और कहा कि जो भारत के भले के लिए आता है, उस पर लागू नहीं होगा. जिनसे सुरक्षा को खतरा है, उन पर लागू होगा. गृह मंत्री ने ये भी स्पष्ट किया कि इससे विश्वविद्यालय पर कोई बोझ नहीं आएगा. सब कुछ ऑनलाइन है, एक रिपोर्ट नहीं दे सकते कि हमारे विश्वविद्यालय में इतने विदेशी पढ़ते हैं. क्यों छिपाना. इसकी जानकारी लेना सरकार का अधिकार है.
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उन्होंने ये भी कहा कि अगर कोई विदेशी नागरिक भारत आता है तो उसे एयरपोर्ट, बंदरगाह की जानकारी पहले से ही देनी होगी. निर्दिष्ट एयरपोर्ट या बंदरगाह की जगह कहीं से भी आएगा तो उसे गैरकानूनी माना जाएगा. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पूरा कानून 36 धाराओं में होगा. पहले भी कानून थे जो अलग-अलग बिखरे पड़े थे. अब तक एजेंसियां ब्लैक लिस्ट करती थीं तो इसका कोई औचित्य नहीं था. इसे वैधानिक स्वरूप देने का काम इस कानून में किया गया है. उन्होंने एक-एक धारा के संबंध में विस्तार से जानकारी दी और कहा कि निषिद्ध स्थानों का दौरा भी रोका गया है. हमारी सीमा पर कुछ संवेदनशील स्थान हैं, सेना के अड्डे हैं, उनको दुनियाभर के लिए खुले नहीं छोड़ सकते थे.
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अमित शाह ने सीएए को लेकर कहा कि आजादी के समय जब आनन-फानन में देश का विभाजन किया गया और हिंदू-सिख जब ट्रेन के ट्रेन भरकर काट दिए गए थे. तब नेहरू जी, गांधी जी ने कहा था कि वहां रह जाइए. जब आएंगे, भारत के ही नागरिक माने जाएंगे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ये वादा भूल गई है. हम नहीं भूले हैं. अपना धर्म बचाने, परिवार को बचाने के लिए जो यहां आए हैं, वो वास्तविक शरणार्थी हैं. हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन कोई भी व्यक्ति भारत में आए, स्वागत है. जो घुसपैठ करने के लिए आए हैं, उनपर हम कड़ाई करेंगे. जो विभाजन की विभीषिका झेले हैं, उनको ही हम नागरिकता देंगे. देश की सुरक्षा की चिंता करके ये विधेयक सदन में लेकर आए हैं. इसे पारित किया जाए. लोकसभा ने इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया है.