Covid-19 Booster Vaccine Dose: भारत में 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज लगनी शुरू हो गई है. हालांकि, केंद्र सरकार ने इसे बूस्टर डोज न कहकर प्रीकॉशनरी (एहतियाती) डोज नाम दिया है. अभी 18 से 59 साल की उम्र के लोगों को बूस्टर डोज लगाई जा रही है. ध्यान देने वाली बात यह है कि कोरोना की प्रीकॉशनरी डोज लगवाने के लिए लोगों को अपनी जेब से पैसे खर्च करने होंगे. इसलिए फिलहाल प्रीकॉशनरी डोज प्राइवेट वैक्सीन सेंटर पर ही उपलब्ध है.
कोरोना के नए वैरिएंट मिलने के बाद विपक्षी दलों ने प्रीकॉशनरी डोज को भी मुफ्त में देने का आग्रह किया है. विपक्षी दलों का कहना है कि कोरोना वैक्सीन की तीसरे डोज के लिए लोगों के पास पर्याप्त पैसे उपलब्ध नहीं हैं, ऐसे में वो डोज से वंचित रह जाएंगे.
विपक्षी दलों की इस मांग के बाद सवाल उठ रहा है कि आखिर वैक्सीन की खरीद और वैक्सीनेशन के लिए सरकार ने कितना पैसा आवंटित किया है? देशभर में अब तक वैक्सीनेशन पर कितना खर्च किया गया है? किसको कितना पैसा मिला है?
RTI में मांगी गई ये जानकारी
आज तक ने आरटीआई के जरिए इन सभी सवालों के जवाब जानने की कोशिश की. 4 फरवरी 2022 को आरटीआई का जवाब देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने कहा, बजट सत्र 2021 की घोषणा के अनुसार कोविड वैक्सीन के लिए 3500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था. इसके बाद भारत सरकार ने HLL लाइफकेयर लिमिटेड (प्रोक्योरमेंट एजेंसी)के माध्यम से 27,945.14 करोड़ रुपये की वैक्सीन खरीदी. एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड एक भारतीय हेल्थकेयर कंपनी है. यह भारत सरकार के स्वामित्व वाला सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वैक्सीन के लिए 35,000 करोड़ रुपये की राशि दी, लेकिन HLL लाइफकेयर लिमिटेड से सिर्फ 27,945.14 करोड़ रुपये ही की वैक्सीन खरीदी गई. यानि मंत्रालय के पास वैक्सीन के लिए अभी भी 7054.86 करोड़ रुपये शेष पड़े हुए हैं.
कंपनी ने किया 27,600.57 करोड़ रुपये मिलने का दावा
चूंकि वैक्सीन की खरीद के लिए नोडल निकाय एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड है, इसलिए हमने इसके साथ एक और आरटीआई दायर की. इस आरटीआई के जवाब में एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड की ओर से हमें जवाब मिला कि उसे वैक्सीन निर्माताओं के लिए मंत्रालय से 27,600.57 करोड़ रुपये मिले हैं.
344 करोड़ रुपये कहां गए?
मंत्रालय का कहना है कि उसने 27,945.14 रुपये एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड को दिए, लेकिन कंपनी कह रही है उसे सिर्फ 27,600.57 मिले हैं. दोनों के दावों में 344.57 का अंतर आ रहा है.
ऐसे में सवाल उठता है कि वैक्सीन के लिए आवंटित किए गए पैसों में 344.57 करोड़ रुपयों का अंतर कहां आया और इसकी जवाबदेही किसकी है?