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भारत में करीब 90 दिन पहले कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दी थी. दूसरी लहर में देश के अलग-अलग कोनों में ऑक्सीजन, बेड यहां तक की अंतिम संस्कार के लिए जगह तक की कमी पड़ गई थी. ऐसा लगता था कि भारत का हेल्थकेयर सिस्टम घुटनों पर आ गया है. स्थिति को सुधारने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर काम किया है.
दूसरी लहर के ऑक्सीजन, वेंटिलेटर्स और एंबुलेंस की कमी का आलम यह था कि लोग सिलेंडर्स छिपाकर रख रहे थे, ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स को फायदे के लिए महंगे में बेचा जा रहा था. इसलिए कोरोनी की दूसरी लहर के बाद हेल्थ सिस्टम की खामियों को दूर करने के लिए वेंटिलेटर्स, ऑक्सीन प्लांट्स, सिलेंडर्स, कॉन्सेंट्रेटर आदि की उपलब्धता को बढ़ाया गया है.
16,644 से 57,557 तक पहुंची वेंटिलेटर्स की संख्या
कोरोना महामारी की पहली लहर के बाद ही कुछ तैयारियां शुरू कर दी गई थीं. वेंटिलेटर्स, सिलेंडर्स की कहां कितनी कमी है इसको लेकर काम शुरू हो चुका था. जहां अप्रैल 2020 में देशभर के सरकारी (केंद्र और राज्य) हॉस्पिटल्स में कुल 16,644 वेंटिलेटर्स थे, वहीं उनकी संख्या को 2021 में 57,557 तक बढ़ाया गया. इसमें से ज्यादातर के लिए पैसा पीएम केयर्स फंड से आया था. फिर 2021 की मई तक स्वास्थ्य उपकरणों की उपलब्धता के मामले में राज्यों की स्थिति थोड़ी बेहतर होने लगी. इस तरह जहां अप्रैल 2020 में 81,000 लोगों पर एक वैंटिलेटर था, वहीं अब 15,245 लोगों पर एक वेंटिलेटर है.
तेजी से बढ़ाई जा रही PSA प्लांट्स की संख्या
दूसरी लहर में जिस तरह का ऑक्सीजन संकट देखा गया, उसके बाद प्रेशर स्विंग अब्जॉर्पशन (PSA) प्लांट्स पर फोकस शिफ्ट हुआ. 2020 के ऑर्डर के मुताबिक, पीएम केयर्स फंड के तहत कुल 162 PSA प्लांट्स लगने थे. इसमें से 77 लग चुके हैं, बाकियों को जुलाई 2021 तक लगाने का लक्ष्य है.
इसके अलावा पीएम ने 1,051 अतिरिक्त ऑक्सीजन प्लांट्स का भी ऐलान किया है. इन्हें अगले तीन महीने में लगाया जाना है. इसका मतलब है कि सितंबर तक देश के हॉस्पिटल्स के पास 1,200 के करीब ऑक्सीजन प्लांट्स होंगे.
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क्रायोजेनिक टैंकर्स पर भी सरकारों का जोर है. फिलहाल देश के पास 1681 क्रायोजेनिक टैंकर्स हैं. मार्च 2020 में इनकी संख्या 1040 थी. नए क्रायोजेनिक टैंकर खरीदने की जगह जोर नाइट्रोजन और एरगन टैंकर्स को ऑक्सीजन लेकर जाने वाले टैंकर्स में बदलने पर है.
10 गुना तक बढ़ी ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता
भविष्य में ऑक्सीजन की किल्लत ना पड़े, इसके लिए लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता को भी बढ़ाया जा रहा है. इसके उत्पादन की क्षमता को 10 गुना तक बढ़ाया गया है. यहां यह पहला 900 MT/प्रति दिन थी. अब 17 मई 2021 को यह 9,300 MT/प्रति दिन से ऊपर थी.
ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर और सिलेंडर्स का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है. सिर्फ पीएम केयर्स फंड से ही एक लाख ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर खरीदने का ऐलान किया गया था. विभिन्न देशों ने भी मदद के तौर पर भारत को करीब 11 हजार ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर दिए हैं. इन्हें अलग-अलग राज्यों तक जरूरत के हिसाब से पहुंचाया गया था.
इसी तरह ऑक्सीजन सिलेंडर्स की संख्या को भी बढ़ाया गया है. जहां मई 2020 में केंद्र ने 1,02,400 सिलेंडर्स खरीदकर राज्यों को बांटे थे. वहीं दूसरी लहर में अप्रैल के बाद 1,27,000 अतिरिक्त ऑक्सीजन सिलेंडर्स को खरीदकर राज्यों तक पहुंचाया गया.