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आस्था-अध्यात्म के महाकुंभ के लिए हरिद्वार कितना तैयार, क्या हैं चुनौतियां, इस ग्राउंड रिपोर्ट में सब जानिए

हर की पैड़ी की ओर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग को चौड़ा करके सजा दिया गया है. हरिद्वार में टूटी-फूटी सड़कों की जगह 6 लेन की शानदार सड़कों ने ले ली है. तैयारियां अपने आखिरी चरण में हैं. सड़कों के किनारे फूलों की क्यारियां, और रंगाई पुताई का काम चल रहा है.

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हरिद्वार कुंभ 2021 के लिए तैयार हो चुका है
हरिद्वार कुंभ 2021 के लिए तैयार हो चुका है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • राष्ट्रीय राजमार्ग को चौड़ा करके सजा दिया गया है
  • आखिरी बार महाकुंभ का आयोजन साल 2010 में हुआ था

देवभूमि उत्तराखंड में आस्था का प्रतीक हरिद्वार कुंभ 2021 के लिए तैयार हो चुका है. प्रयागराज अर्धकुंभ के बाद अब आस्था की डुबकी हरिद्वार में हर की पैड़ी पर लगने वाली है. धर्म का संकल्प लेकर अखाड़ों की कदमताल गंगा किनारे दिखने वाली है. अद्भुत अविश्वसनीय अकल्पनीय पर्व के लिए हरिद्वार स्वागत के लिए तैयार खड़ा है. अमृत मंथन में जो कुछ बूंदें पृथ्वी पर 4 जगहों में गिरी उनमें प्रयाग, उज्जैन, नासिक के अलावा हरिद्वार भी है, जहां हर 12 साल बाद महाकुंभ का आयोजन किया जाता है. महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है जहां इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है. हरिद्वार में आखिरी बार महाकुंभ का आयोजन साल 2010 में हुआ था. तब लगभग 1 करोड़ से ज्यादा लोगों ने आस्था के पर्व में अपनी डुबकी लगाई थी. 

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प्रयागराज की तरह ही सज गया है हरिद्वार  

हालांकि 7 फरवरी 2021 को चमोली में आए भीषण सैलाब और तबाही के बाद हरिद्वार कुंभ में आने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या बहुत बड़ी रहने की संभावनाओं पर सवाल खड़े हो गए हैं.  

हर की पैड़ी की ओर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग को चौड़ा करके सजा दिया गया है. हरिद्वार में टूटी-फूटी सड़कों की जगह 6 लेन की शानदार सड़कों ने ले ली है. तैयारियां अपने आखिरी चरण में हैं. सड़कों के किनारे फूलों की क्यारियां, और रंगाई पुताई का काम चल रहा है. प्रयागराज कुंभ की तर्ज पर उत्तराखंड सरकार की ओर से भी हरिद्वार महाकुंभ से पहले पूरे शहर को आस्था के रंग में रंग दिया गया है. भारतीय पौराणिक कथाओं में जिन महाऋषियों का उल्लेख किया जाता है उनकी आकृतियां हरिद्वार के फ्लाईओवर पर पेंट की गई हैं.   

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कोरोना के संक्रमण काल में 2 गज की दूरी और मास्क जरूरी के संदेश भी जगह जगह दिख रहे हैं. घाटों की सजावट देखते ही बनती है. रामलीला से लेकर कृष्ण लीला गंगा के पवित्र घाटों के किनारे दीवारों पर उकेरी गई हैं. यहां काम करने वाले कारीगर और कलाकार भी महाकुंभ को लेकर उत्साहित हैं. मथुरा के रहने वाले योगेश कहते हैं, " महाकुंभ के लिए वह बतौर कलाकार अपना योगदान दे रहे हैं ताकि जब हिंदू और संत समाज यहां स्नान करने आए तो उन्हें अच्छा लगे."  

कुंभ मेला अधिकारी दीपक रावत का कहना है कि श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के चलते इस बार घाटों का विस्तार किया गया है. नए घाट भी तैयार किए गए हैं ताकि उचित दूरी के साथ ज्यादा संख्या में श्रद्धालु स्नान कर सकें. 

घाट पर नई पेंट की गई आकृतियों के सामने सेल्फी लेने वालों की कमी भी नहीं है. खास सेल्फी प्वाइंट भी बनाए गए हैं. ‘आई लव हरिद्वार’ के सेल्फी प्वाइंट  के साथ फोटो खिंचवाने के लिए लोगों का उत्साह देखते ही बनता है.   

दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन हो रहा है लेकिन कोरोना के खौफ से अभी तक पूरी तरह छुटकारा नहीं मिला है. लाखों की भीड़ होगी तो कोरोना से बचाव के लिए  जागरूकता जरूरी है. जगह-जगह बैनर पोस्टर के अलावा स्कूल के बच्चे भी कोरोनावायरस के खिलाफ इस मुहिम में हाथ बंटा रहे हैं.  

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कोरोना से सुरक्षा के लिए स्कूली बच्चे जगा रहे अलख 

हरिद्वार के डीएवी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे रिद्धिमा, सलोनी, तमन्ना,‌ गौरी और उनके तमाम दोस्त, सहपाठी हरिद्वार के अलग-अलग घाटों पर जाकर लोगों से मास्क पहनने की अपील कर रहे हैं. जिनके पास मास्क नहीं होता, उन्हें ये बच्चे मास्क मुहैया भी करा रहे हैं.  छात्रा रिद्धिमा कहती हैं कि आयोजन बड़ा है ऐसे में मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग जैसी सतर्कता बरतना बहुत जरूरी है. छात्रा तमन्ना कहती हैं कि ज्यादातर लोग मास्क पहनते हैं और जो लोग नहीं पहने होते, उन्हें हम समझाते हैं कि ये उन्हीं की सुरक्षा के लिए है. 

गायत्री सेवा संस्थान से जुड़े वॉलिंटियर्स भी हर की पैड़ी पर हर आने जाने वाले लोगों से मास्क पहनने का निवेदन कर रहे हैं. ऐसी जागरूकता मुहिम का असर भी दिख रहा है और बड़ी संख्या में लोग मास्क पहने दिखाई दे रहे हैं.  जागरूकता फैला रहे कार्यकर्ता विनय शुक्ला ने आजतक से कहा, “महाकुंभ के अवसर पर हम लोग अपनी सेवाएं इसलिए दे रहे हैं ताकि इस पर्व में वायरस खतरा ना बने क्योंकि सतर्कता में ही बचाव है.” 

प्रशासन ने ऐसी व्यवस्था की है कि हर की पैड़ी तक पहुंचने से पहले हर श्रद्धालु को मेटल डिटेक्टर की सुरक्षा  जांच के साथ थर्मल स्कैनिंग से होकर गुजरना पड़ेगा. इतना ही नहीं हर की पैड़ी पर आने वाले श्रद्धालुओं का कोविड-19 टेस्ट मौके पर ही कराने के लिए मोबाइल वैन की व्यवस्था भी की गई है. स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी दीक्षा बताती हैं कि हर दिन औसतन 500 लोगों के टेस्ट हो रहे हैं, जो आने वाले दिनों में बढ़ सकते हैं.  

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उत्तराखंड सरकार की ओर से नियम तय किया गया है कि कुंभ मेले में आने वाले आगंतुकों (विजिटर्स) को कोविड निगेटिव टेस्ट की रिपोर्ट देनी होगी जो तीन दिन से ज्यादा पुरानी न हो. इसे ऑनलाइन अपलोड करना होगा. फिर उसे हरिद्वार में प्रवेश करने से पहले सीमाओं पर तैनात अधिकारियों को दिखाना होगा.  

हर की पैड़ी के गंगाजल से लोग घर बैठे ही कर सकेंगे कुंभ का अनुभव 

मेला अधिकारी दीपक रावत का कहना है की कोविड पॉजिटिव रिपोर्ट वाले श्रद्धालुओं को मेला क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति नहीं मिलेगी।. हालांकि मेला अधिकारी ने लोगों से अपील की है कि बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं, छोटे बच्चों या वह लोग जिन्हें वायरस के संक्रमण का खतरा हो सकता है, वे महाकुंभ में आने से परहेज करें. ऐसे ही लोगों को गंगा जल का आचमन करने की व्यवस्था करने के लिए हरिद्वार मेला प्रशासन तैयारियां कर रहा है. आजतक से बातचीत करते हुए रावत ने बताया कि वह कई कंपनियों और लोगों के साथ इस प्रोजेक्ट पर बात कर रहे हैं, जिससे सिर्फ उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देश के सभी राज्यों में हर की पैड़ी से गंगाजल की होम डिलीवरी की जा सके. ऐसा करने से घर बैठे ही लोगों को कुंभ में शामिल होने का मौका मिल सकेगा.  

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चमोली आपदा का कुंभ पर कितना असर? 

उत्तराखंड में चमोली की त्रासदी का असर कुंभ में आने वाले श्रद्दालुओं पर कितना होगा इस पर भी सवाल उठ रहे हैं. हर की पैड़ी पर श्रद्धालुओं को पूजा पाठ करवाने वाले पंडित शांतनु शर्मा कहते हैं इस बार आगंतुकों की संख्या उम्मीद से आधी हो सकती है क्योंकि एक तो कोरोना का खौफ है, ऊपर से चमोली की आपदा के चलते लोगों में भय का माहौल है. पंडित शांतनु शर्मा कहते हैं कि “हालांकि त्रासदी राज्य के ऊंचे पहाड़ी क्षेत्र में हुई और उसका असर ऋषिकेश- हरिद्वार जैसे शहरों में नहीं हुआ, लेकिन बाहर से आने वाले लोगों में कहीं ना कहीं भय जरूर है. वे फोन पर लगातार पूछताछ कर रहे हैं और अभी हरिद्वार आने में हिचकिचा रहे हैं.” 

मेला अधिकारी दीपक रावत चमोली आपदा को लेकर कहते हैं कि इसका असर ऊंचाई वाले सीमित क्षेत्रों में रहा, इसलिए हरिद्वार आने को लेकर कोई डर नहीं होना चाहिए. रावत कहते हैं, "जो आपदा चमोली में आई उसका असर नीचे नहीं हुआ और मुझे नहीं लगता इसका असर महाकुंभ पर पड़ेगा. श्रद्धालु और आगंतुक अभी से इस पर्व को लेकर अपनी जिज्ञासा दिखा रहे हैं जिससे हमें उम्मीद है कि वे  यहां जरूर आएंगे."  

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हर की पैड़ी पर गंगाजल का रंग मटमैला

चमोली त्रासदी का असर बेशक हरिद्वार जैसे निचले इलाकों पर नहीं पड़ा लेकिन सैलाब के साथ आए मलबे का असर गंगा के जल पर दिखाई दे रहा है. इसकी वजह से हर की पैड़ी के पास गंगा का पानी मटमैला और धुंधला हो गया है. सामान्य दिनों में फरवरी के महीने पर हर की पैड़ी या ऊंचे इलाकों में गंगा का पानी बेहद नीला और निर्मल दिखाई पड़ता है, लेकिन इस बार ये मटमैला दिख रहा है.   

हरिद्वार महाकुंभ 2021 के लिए सज धज चुका है. तैयारियां या तो पूरी हो चुकी है या अपने आखिरी चरण में हैं. कोरोना हो या चमोली जैसी आपदा, ऐसे में यह पर्व आगे कैसे चलेगा इस पर सवाल भले ही उठ रहे हों लेकिन यह भी एक सत्य है की आस्था और भक्ति के रंग ऐसे सभी चुनौतियों पर भारी रहते हैं.  

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