scorecardresearch
 

भूकंप से कितनी सेफ हैं हाई राइज बिल्डिंग? दरारें आने या अनसेफ पाए जाने पर ये होता है एक्शन

दिल्ली-एनसीआर में मंगलवार देर रात आए तेज भूकंप से हाई राइज बिल्डिंगों के सुरक्षित होने को लेकर चर्चा तेज हो गई है. ये बिल्डिंग तमाम नियमों को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं. इसके बाद निजी तौर पर इनका स्ट्रक्चरल ऑडिट करवाया जाता है, फिर प्रशासन एनओसी जारी करता है. हालांकि इन सबके बाद भी अगर कोई अनहोनी होती है, तो बिल्डर समेत कई लोग जिम्मेदार माने जाते हैं.

Advertisement
X
8 नवंबर को देर रात आया था तेज भूकंप (सांकेतिक फोटो)
8 नवंबर को देर रात आया था तेज भूकंप (सांकेतिक फोटो)

दिल्ली-एनसीआर में 8 नवंबर की देर रात 1:57 मिनट बजे भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे. भूकंप का केन्‍द्र नेपाल में था और रिक्‍टर स्‍केल पर इसकी तीव्रता 6.3 थी. दिल्ली-एनसीआर का गाजियाबाद इलाका अपनी हाई राइज बिल्डिंग के लिए जाना जाने लगा है. क्या इन इमारतों में रहना सुरक्षित है? कल आए भूकंप ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है. इस सवाल को लेकर जब हम गाजियाबाद के आपदा अधिकारी विवेक श्रीवास्तव पास पहुंचे तो उन्होंने बताया जिला आपदा प्रबंधन के द्वारा डीएमआरसी नाम की एक कमेटी गठित की गई है, जो समय-समय पर इन सभी विषयों पर जांच करती है. 

Advertisement

उन्होंने बताया कि इसके अलावा गाजियाबाद विकास प्राधिकरण आवास विकास प्राधिकरण अग्निशमन विभाग आदि अनेक संस्थाएं हैं, जो अपने-अपने मानकों के लिए ऊंची इमारतों में सर्वे और जांच करती हैं. इसके बाद इन बिल्डिंगों में रहने के लिए एनओसी जारी की जाती है. प्राधिकरण भी ओसी और सीसी सर्टिफिकेट भी तभी जारी करता है जब वह मानकों को चेक कर लेता है.

शुरुआती दौर में यह सर्टिफिकेट जारी करने के बाद भी रखरखाव के संबंध में इन्हीं संस्थाओं द्वारा समय-समय पर सर्वे और चेकिंग अभियान चलाए जाते हैं, जो इन बिल्डिंगों में बचाव और मानकों की जांच करते हैं. अगर किसी बिल्डिंग में मानक पूरे नहीं पाए जाते तो उनके खिलाफ विधि सम्मत कार्रवाई की जाती है.

पुरानी बिल्डिंगों के सेफ्टी ऑडिट को बन रहीं गाइडलाइन्स

दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस किए जाने के बाद एक सवाल यह भी उठ रहा है कि पुरानी हाइराइज सोसायटी के सेफ्टी मेजर्स को कौन देखेगा? नोएडा में बनीं हाईराइज सोसायटी कितनी भूकंपरोधी हैं? नोएडा प्राधिकरण ने इसके लिए हाल में बोर्ड बैठक के दौरान नियोजन विभाग को विस्तृत दिशा-निर्देश तैयार करने को कहा था, जिस पर काम भी शुरू हो चुका है.

Advertisement

नोएडा प्राधिकरण ने नियोजन विभाग को निर्देश दिया था कि विभाग यह प्रभावित करेंगे कि पुराने भवनों की सुरक्षा ऑडिट का ध्यान कैसे रखा जाएगा. इसके अलावा जिन सोसाइटी को बिल्डर ने एओए को हैंड ओवर कर दिया है, उन सोसायटी का सुरक्षा ऑडिट यूपी रेरा के अनुसार एओए करेगा.

जमीन के स्ट्रक्चर के आधार पर लागू होते हैं कोड

जानकारी के मुताबिक हाई राइज बिल्डिंग बनाने के लिए इंडियन बिल्डिंग कोड बनाया गया है. अलग-अलग राज्यों की जमीन स्ट्रक्चर के आधार पर बिल्डिंग कोड लागू किया जाता है. मानक तय किए जाते हैं. हरियाणा में भी बिल्डिंग कोड 2017 लागू किया गया है. इसी मानक के तहत बिल्डर को बिल्डिंग बनाने की अनुमति मिलती है. बिल्डिंग बनने के बाद बिल्डर निजी तौर पर बिल्डिंग की स्ट्रक्चरल ऑडिट करवाता है और उसी के आधार पर उसे प्रशासन द्वारा एनओसी जारी की जाती है.

सरकार के पास ऑडिट की व्यवस्था नहीं

किसी बिल्डिंग की सेफ्टी ऑडिट के लिए सरकार के पास कोई स्ट्रक्चरल ऑडिट की व्यवस्था नहीं है. लिहाजा बिल्डर ही प्राइवेट तौर पर स्ट्रक्चरल ऑडिट करवाकर एनओसी लेता है. कोई सेफ्टी ऑडिट नहीं होता लेकिन मानकों में यह तय है कि किसी भी तरह की खामियां पाए जाने के बाद जवाबदेही बिल्डर, आर्किटेक्ट, कॉन्ट्रैक्टर की होगी. उनको ब्लैक लिस्ट भी किया जा सकता है. उनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए जा सकते हैं.

Advertisement

तो अथॉरिटी व डीटीपी विभाग करता है मुआयना

अब सवाल यह है कि अगर कोई बिल्डिंग असुरक्षित पाई जाती है या भूकंप के बाद उसमें दरार आ जाती है तो फिर अथॉरिटी क्या ऐक्शन लेती है? तो ऐसी स्थिति में डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी और डीटीपी विभाग उस बहुमंजिला इमारत का मुआयना करता है. खामी पाए जाने पर उसके स्ट्रक्चरल ऑडिट के आदेश जारी किए जाते हैं. यह स्ट्रक्चरल ऑडिट आईआईटी की टीम करती है. इसका प्रोसेस काफी लंबा है लेकिन आईआईटी की रिपोर्ट के बाद बिल्डर और संबंधित लोगों की जवाबदेही तय करने तक की व्यवस्था अमल में लाई जाती है.

गुरुग्राम में 10 फरवरी को हो गया था हादसा

उदाहरण के तौर पर हाल में ऐसा ही एक मामला गुरुग्राम के सेक्टर 109 की चिंटल पैराडिसो सोसायटी में सामने आया था. सोसायटी के टावर D में घटिया मटीरियल, घटिया कंस्ट्रक्शन का इस्तेमाल किया गया. इसके बाद उसका प्राइवेट तौर पर स्ट्रक्चरल ऑडिट करवाकर एनओसी हासिल कर लिया. इसके बाद 10 फरवरी 2022 की देर शाम वहां हादसा हो गया, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई. मामले की जांच आईआईटी दिल्ली को सौंपी गई.

आईआईटी ने स्ट्रक्चरल ऑडिट में पाया गया कि बिल्डर द्वारा तमाम लापरवाहियां बरती गई थीं. इस मामले में डीटीपी गुरुग्राम द्वारा बिल्डर स्ट्रक्चरल इंजीनियर, डिजाइन आर्किटेक्ट और कॉन्ट्रैक्टर के खिलाफ FIR दर्ज की गई. हालांकि यह इमारत भूकंप के चलते नहीं बल्कि घटिया कंस्ट्रक्शन के चलते दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी.

Advertisement
Advertisement