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भूकंप से कितने सुरक्षित हैं NCR की ऊंची इमारतों में घर, क्या झेल पाएंगे झटके?

आर्किटेक्ट्स का दावा है कि अगर ऊपरी मंजिल के निवासियों को उनकी इमारत थोड़ी सी हिलती हुई महसूस होती है, तो इसका मतलब है कि यह सुरक्षित है. बता दें कि, दिल्ली-NCR सहित पूरे उत्तर भारत में मंगलवार की दोपहर भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे. भूकंप के कारण काफी देर तक झटके लगते रहे थे.

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भूकंप के झटकों से लोगों में दहशत (फाइल फोटो)
भूकंप के झटकों से लोगों में दहशत (फाइल फोटो)

दिल्ली-एनसीआर में मंगलवार को लगे भूकंप के झटकों ने हर किसी को डरा दिया है. खास तौर पर डरने वाली बात उनके लिए अधिक है, जिनके फ्लैट बिल्डिंग में ऊंचाई पर हैं. जैसे ही भारत में भूकंप आया, ऊंचे अपार्टमेंट-इमारतों की ऊपरी मंजिलों के निवासियों को सबसे ज्यादा झटके महसूस हुए. नेपाल में मंगलवार को आए भूकंप से उत्तर भारत में भी झटके महसूस किए गए थे. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) ऊंची इमारतों का केंद्र बन गया है और ऊपरी मंजिलों के निवासी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं.

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क्या सुरक्षित हैं ऊपरी मंजिलें?
हालांकि, आर्किटेक्ट्स का दावा है कि अगर ऊपरी मंजिल के निवासियों को उनकी इमारत थोड़ी सी हिलती हुई महसूस होती है, तो इसका मतलब है कि यह सुरक्षित है. आर्किटेक्ट और शहरी विशेषज्ञ कैलाश चंदर अग्रवाल कहते हैं कि 'इमारतों को भूकंप को अवशोषित करने के लिए लचीलेपन की जरूरत होती है. जैसे ही शॉकवेव इमारत में ऊपर की ओर जाती है, यह अधिक प्रभाव डालती है और परिणामस्वरूप, ऊपरी मंजिलें हिलती हैं. अगर इमारत भूकंप के झटके का जवाब दे रही है तो उसका डिज़ाइन अच्छा है.'

नई इमारतें पुरानी से भी ज्यादा सेफ
उन्होंने कहा कि, नई इमारतें पुरानी इमारतों से भी ज्यादा सुरक्षित हैं. नई तकनीक ने दीवारों के निर्माण को बदल दिया है. इसमें कंक्रीट की दीवारों और फर्श से ईंट को पूरी तरह से बदल दिया है. "नई इमारतों का निर्माण पूरी तरह से कंक्रीट से किया जा रहा है. वायरिंग या प्लंबिंग के लिए कोई जगह बनाने की जरूरत नहीं है, यह सब इमारत के निर्माण के दौरान बनाया गया है. एल्यूमीनियम फोम का काम और कतरनी दीवारें इमारतों को इतना मजबूत बनाती हैं कि यह यह 7.5 रिक्टर तक के भूकंप को आसानी से झेल सकता है."

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मंगलवार को आया था जोरदार भूकंप
बता दें कि, दिल्ली-NCR सहित पूरे उत्तर भारत में मंगलवार की दोपहर भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे. भूकंप के कारण काफी देर तक झटके लगते रहे थे. भूकंप की तीव्रता इतनी जोरदार थी कि घर और दफ्तरों से निकलकर लोग तुरंत ही सड़कों पर आ गए. बताया जा रहा है कि भूकंप का केद्र नेपाल में था. भूकंप के झटके आधे घंटे के अंतर से दो बार महसूस किए गए. भूकंप की तीव्रता इतनी तेज थी कि दिल्ली से उत्तराखंड पूरे उत्तर भारत में धरती कांप गई. उत्तराखंड के खटीमा तक में लोगों ने झटके महसूस किए.

मंगलवार को आए भूकंप की तीव्रता 6.2 रही
नेशनल सिस्मोलॉजी सेंटर के मुताबिक भूकंप के झटके दो बार आए. पहला झटका दोपहर 2.25 बजे आया, जिसकी तीव्रता 4.6 थी. इसके करीब आधे घंटे बाद दोपहर 2.51 बजे भूकंप का एक और झटका आया, जिसकी तीव्रता 6.2 थी. हालांकि बाद में सामने आया कि मंगलवार को दो नहीं चार बार भूकंप के झटके महसूस हुए थे.भूकंप के इस झटके ने ही लोगों को अपने घरों से बाहर भागने के लिए मजबूर कर दिया.

क्यों आते हैं भूकंप?
धरती की ऊपरी सतह सात टेक्टोनिक प्लेटों से मिल कर बनी है. जहां भी ये प्लेटें एक दूसरे से टकराती हैं वहां भूकंप का खतरा पैदा हो जाता है. भूकंप तब आता है जब इन प्लेट्स एक दूसरे के क्षेत्र में घुसने की कोशिश करती हैं, प्लेट्स एक दूसरे से रगड़ खाती हैं, उससे अपार ऊर्जा निकलती है, और उस घर्षण या फ्रिक्शन से ऊपर की धरती डोलने लगती है, कई बार धरती फट तक जाती है, कई बार हफ्तों तो कई बार कई महीनों तक ये ऊर्जा रह-रहकर बाहर निकलती है और भूकंप आते रहते हैं, इन्हें आफ्टरशॉक कहते हैं.
 

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