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कैसे चुना जाता है लोकसभा का स्पीकर? जानिए प्रोसेस, कैसे होती है वोटिंग, समझें सदन का नंबरगेम

लोकसभा स्पीकर का चुनाव हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुबह 11 बजे सदन में एनडीए उम्मीदवार ओम बिरला के नाम का प्रस्ताव रखा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया. 1976 के बाद स्पीकर को लेकर चुनाव की नौबत आई. अब तक आम सहमति से स्पीकर के नाम पर मुहर लगती आई है.

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विपक्ष ने के. सुरेश को प्रत्याशी बनाया है. ओम बिरला दूसरी बार स्पीकर के लिए NDA के उम्मीदवार हैं.
विपक्ष ने के. सुरेश को प्रत्याशी बनाया है. ओम बिरला दूसरी बार स्पीकर के लिए NDA के उम्मीदवार हैं.

लोकसभा स्पीकर पद के लिए आज चुनाव हो गया है. प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब ने मतदान कराया है. सत्ता पक्ष यानी एनडीए से ओम बिरला को ध्वनि मत से स्पीकर चुना गया है. विपक्ष ने ध्वनि मत का विरोध नहीं किया, इसलिए पर्ची से चुनाव कराए जाने की स्थिति नहीं बनी. ओम बिरला राजस्थान के कोटा से तीसरी बार चुनकर आए हैं.

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इससे पहले विपक्ष ने के सुरेश को उम्मीदवार घोषित किया था और मंगलवार को नॉमिनेशन किया था. के सुरेश केरल की मवेलीकारा सीट से जीतकर आए हैं. सुरेश आठवीं बार के सांसद हैं.

18वीं लोकसभा के लिए 48 साल बाद ऐसा मौका आया, जब स्पीकर के लिए चुनाव कराए जाने की नौबत बनी. इससे पहले 1952 और 1976 में भी स्पीकर के लिए चुनाव में वोटिंग हुई थी. फिलहाल, सभी पार्टियों ने व्हिप जारी किया है और सांसदों को वोटिंग के दौरान सदन में मौजूद रहने के निर्देश दिए हैं.

ओम बिरला इससे पहले 17वीं लोकसभा के लिए भी स्पीकर थे. इस बार भी वे एनडीए उम्मीदवार बने. चुनाव जीतने के बाद बिरला बीजेपी के ऐसे पहले नेता बन गए हैं, जो लगातार और दूसरी बार स्पीकर चुने गए. इससे पहले कांग्रेस के बलराम जाखड़ भी दो बार स्पीकर रहे हैं.

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नंबरगेम क्या है....

लोकसभा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के चुनाव में सदन में वोटिंग करने वाले सदस्यों के साधारण बहुमत से चुना जाता है. साधारण बहुमत यानी सदन में उस वक्त जितने सांसद मौजूद होंगे, उनमें 50 फीसदी से ज्यादा वोट जिसे मिलेंगे वो स्पीकर चुन लिया जाता है. 

लोकसभा में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के पास पूर्ण बहुमत है. लोकसभा की कुल 543 सीटें हैं. वायनाड सीट खाली है. सात सांसद ऐसे हैं जिन्हें अभी लोकसभा में शपथ लेनी है, इसलिए ये सांसद वोटिंग प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बन पाएंगे. ऐसे में सदन में कुल सांसदों की संख्या घटकर 535 हो जाएगी. बहुमत के लिए 268 सांसदों का समर्थन जरूरी है.

एनडीए के पास 293 सदस्य हैं. यानी बहुमत से काफी ज्यादा संख्या है. वहीं, इंडिया ब्लॉक को देखा जाए तो 233 सदस्यों का समर्थन है. जो सात सांसद शपथ लेने से वंचित रह गए हैं, उनमें INDIA ब्लॉक के पांच सांसद शामिल हैं. ऐसे में समर्थन करने वाले सांसदों की संख्या 228 रह जाएगी. जबकि 16 अन्य सांसद हैं. इनका समर्थन भी मायने रखेगा. 

सूत्रों के मुताबिक, वाईएसआरसीपी किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं है. जगन मोहन रेड्डी की पार्टी ने स्पीकर के चुनाव में ओम बिरला का समर्थन करने का फैसला किया है.

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चुनाव का प्रोसेस क्या है?

लोकसभा स्पीकर चुनने के लिए सबसे पहले प्रस्ताव पेश किया जाता है. सत्ता पक्ष की तरफ से उम्मीदवार घोषित होने के बाद उसका नाम आमतौर पर प्रधानमंत्री या संसदीय कार्य मंत्री द्वारा प्रस्तावित किया जाता है. लोकसभा सचिवालय को जिस उम्मीदवार का पहले प्रस्ताव मिलता है, उसका प्रस्ताव भी सदन में पहले पेश किया जाता है. विपक्षी सदस्यों की तरफ से मत विभाजन की मांग की जाएगी. संभव है कि ध्वनि मत से मतदान कराया जाता है. लेकिन अगर विपक्ष राजी नहीं होता है तो फिर पेपर स्लिप के जरिए चुनाव होते हैं.

फिलहाल, नई लोकसभा में अभी सीटें आवंटित किए जाने की प्रक्रिया चल रही है और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम भी चालू नहीं है. वोटिंग की स्थिति बनती तो सदस्यों को पर्चियां दी जाती और उसी के जरिए मतदान होता.

अगर पहला प्रस्ताव पारित हो जाता है यानी 50 फीसदी से ज्यादा बहुमत मिल जाता है तो दूसरे प्रस्ताव को पेश करने की नौबत नहीं आती है. यानी एनडीए समर्थित ओम बिरला का प्रस्ताव पास हो गया तो वे स्पीकर घोषित कर दिए गए. ऐसे में के सुरेश के प्रस्ताव को सदन के पटल पर पेश करने की जरूरत नहीं पड़ी.

स्पीकर चुनाव के क्या प्रावधान हैं?

स्पीकर के रूप में चुनाव में खड़े होने के लिए किसी सदस्य के लिए कोई विशिष्ट योग्यता की जरूरत नहीं होती है, लेकिन इस भूमिका के लिए संविधान और देश के कानूनों की गहन समझ को अत्यधिक महत्व दिया जाता है. संविधान के अनुच्छेद 93 में स्पीकर और डिप्टी स्पीकर दोनों के चुनाव का प्रावधान है. अनुच्छेद 93 कहता है, जनता का सदन जितनी जल्दी हो सके, सदन के दो सदस्यों को क्रमशः स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के रूप में चुनेगा और जब भी स्पीकर या डिप्टी का पद रिक्त हो जाता है, सदन जैसा भी मामला हो, स्पीकर या डिप्टी स्पीकर बनने के लिए किसी अन्य सदस्य का चयन करेगा.

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क्राइटेरिया क्या हैं?

अनुच्छेद 94 के तहत संविधान में कहा गया है कि स्पीकर को सदन का सदस्य होना चाहिए. आमतौर पर सत्तारूढ़ दल के एक सदस्य को स्पीकर के रूप में चुना जाता है. समय के साथ एक प्रक्रिया विकसित हुई है जिसमें सत्तारूढ़ दल सदन में अन्य दलों के नेताओं के साथ अनौपचारिक चर्चा के बाद एक उम्मीदवार को नॉमिनेट करता है. इस परंपरा के मायने हैं. एक बार निर्वाचित होने के बाद स्पीकर सदन के सभी सदस्यों का सम्मान हासिल करता है. 

क्या स्पीकर को हटाया जा सकता है?

अनुच्छेद 94 में कहा गया है कि स्पीकर को लोकसभा के सभी मौजूदा सदस्यों के बहुमत द्वारा पारित प्रस्ताव के जरिए हटाया जा सकता है. हालांकि, स्पीकर या डिप्टी स्पीकर को हटाने का प्रस्ताव सिर्फ तभी प्रस्तावित किया जा सकता है जब प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के इरादे के बारे में कम से कम 14 दिन का नोटिस दिया गया हो.

क्यों स्पीकर चुनाव की नौबत आई?

शुरुआत में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए और विपक्ष के बीच स्पीकर पद को लेकर सहमति बन गई थी. विपक्ष का कहना था कि अब तक परंपरा रही है कि डिप्टी स्पीकर का पद उन्हें दिया जाना चाहिए, लेकिन एनडीए ने सशर्त समर्थन स्वीकार करने से इनकार कर दिया, जिससे आम सहमति टूट गई. 

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इंडिया ब्लॉक में वोटिंग से पहले दरार!

इंडिया ब्लॉक ने कांग्रेस नेता के सुरेश को स्पीकर के लिए उम्मीदवार बनाया है, इस पर टीएमसी ने आपत्ति जताई है और कहा कि बिना सलाह मशविरे के उम्मीदवार घोषित किया गया है. टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा, इस बारे में हमारी पार्टी से कोई सलाह नहीं ली गई है. किसी ने हमसे संपर्क नहीं किया. यह एकतरफा फैसला है. के सुरेश को समर्थन के बारे में टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी अंतिम फैसला लेंगी. हालांकि, बाद में टीएमसी ने साफ किया कि वो इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार को समर्थन करेंगे.

स्पीकर चुनाव में एनडीए की क्या तैयारी?

एनडीए की ओर से सदन में ओम बिरला के पक्ष में अलग-अलग प्रस्ताव रखे गए. प्रस्ताव रखने वालों में महिला सांसद, आदिवासी और दलित नेता के नाम भी शामिल हैं. पहला प्रस्ताव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसका समर्थन किया. उसके बाद बीजेपी नेता शिवराज सिंह चौहान, अमित शाह और नितिन गडकरी समेत अन्य सांसदों ने प्रस्ताव पेश किया. एनडीए के सहयोगी दल जेडीयू से ललन सिंह, अपना दल (सोनीलाल) से अनुप्रिया पटेल समेत अन्य ने भी ओम बिरला के समर्थन में प्रस्ताव रखा.

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