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ITBP की ओर से चलाए गए रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान ट्रैकिंग दल के 11 सदस्यों को सुरक्षित बचा लिया गया है और उन्हें फिलहाल चिकित्सीय निगरानी में रखा गया है. इस ऑपरेशन के दौरान ग्लेशियर प्वाइंट पर 2 शव और 4 कुली मिले हैं. शवों को स्ट्रेचर के जरिए बेस कैंप तक लाया जा रहा है.
हिमाचल प्रदेश में 4 पर्वतारोहियों और 7 कुलियों को आईटीबीपी की देखरेख में धार थांगो से का गांव (Ka village) लाया गया है और काजा में एसडीएम तथा एडीएम की उपस्थिति में उन्हें काजा प्रशासन को सौंप दिया गया है. सभी को अब काजा अस्पताल में निगरानी में रखा गया है. हालांकि एक पर्वतारोही और एक कुली में शीतदंश (frostbite) के हल्के लक्षण देखे गए हैं.
शेष 4 कुलियों को भी ग्लेशियर प्वाइंट पर ढूंढ लिया गया है और 2 शवों को आईटीबीपी के जवान स्ट्रेचर पर पैदल बेस कैंप तक ले जा रहे हैं. रोड हेड ग्लेशियर प्वाइंट से करीब 27 किलोमीटर दूर है जहां आईटीबीपी के जवान शवों को लेकर आ रहे हैं.
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18,000 फीट की ऊंचाई पर फंसी थी टीम
हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति में मनाली-खामेंगर दर्रा-मणिरंग के ऊंचे इलाकों की ओर बचाव अभियान के लिए भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (Indo-Tibetan Border Police, ITBP) सेना और नागरिक प्रशासन की एक संयुक्त टीम को कल काजा से रवाना किया गया था. पश्चिम बंगाल के पर्वतारोहियों और स्थानीय कुलियों की एक टीम कथित तौर पर करीब 18,000 फीट ऊंची पर्वत श्रृंखला में फंसी हुई थी. इस टीम में 3 ट्रेकर्स और 11 पोर्टर्स सहित टीम के 14 सदस्य थे जो घटनास्थल पर फंसे हुए थे.
इन ट्रैकिंग का अभियान 17 सितंबर को मनाली से शुरू हुआ था. 25 सितंबर को जब टीम खमेंगर दर्रे से गुजर रही थी, तब 2 सदस्यों (संदीप कुमार ठाकुरता, उम्र-48 साल और भास्करदेव मुखोपाध्याय, उम्र-61, दोनों पश्चिम बंगाल से) की पहाड़ी बीमारी की वजह से मौत हो गई.