कार्बन उत्सर्जन को कम करने की तरफ कदम बढ़ा रहे भारत को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. इसमें वैज्ञानिकों ने कुछ रिएक्टर डिवेलप किए हैं, जिसकी मदद से पानी से हाइड्रोजन (Hydrogen Production) निकालना किफायती बनाया जा सकता है. बता दें कि पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में अलग करना कठिन है और इसमें बहुत ऊर्जा लगती है लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इसका किफायती तरीका ढूंढ निकाला है.
वैज्ञानिकों की टीम ने जो प्रोटोटाइप रिएक्टर्स तैयार किए हैं उसमें हाइड्रोजन बनाने के लिए मुख्य तौर पर सूरज की रोशनी और पानी की ही जरूरत होती है. वहीं प्रक्रिया भी बेहद टिकाऊ है.
बता दें कि केंद्र सरकार का भी हाइड्रोजन पर जोर है. पीएम नरेंद्र मोदी ने भी स्वतंत्रता दिवस पर नेशनल हाइड्रोजन मिशन की शुरुआत की थी. इससे कार्बन-मुक्त ईंधन की तरफ तेजी से कदम बढ़ाने की बात हुई थी. 2030 तक भारत का लक्ष्य है कि 450 GW नवीकरणीय ऊर्जा तैयार कर ली जाए.
8 घंटे में 6.1 लीटर हाइड्रोजन बनाने का दावा
न्यूज एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक, नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (INST), मोहाली में डॉ कमलकनन कैलासमी के नेतृत्व में टीम ने एक प्रोटोटाइप रिएक्टर बनाया है. यह सूरज की रोशनी में काम करता है और बड़े पैमाने पर हाइड्रोजन तैयार कर लेता है. जानकारी के मुताबक, यह 8 घंटे में 6.1 लीटर हाइड्रोजन बना लेता है.
#Scientists @INSTMohali , for the first time, develop a large-scale reactor which produces a substantial amount of hydrogen using sustainable sources like sunlight & water, which is a cost-effective and sustainable process.@DrJitendraSingh @RenuSwarup
— DSTIndia (@IndiaDST) September 30, 2021
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इस प्रोसेस में उत्प्रेरक (catalyst) के लिए इन वैज्ञानिकों ने पृथ्वी में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रसायन कार्बन नाइट्रेड का इस्तेमाल किया है. INST की टीम ने कार्बन नाइट्रेड में कम लागत वाले ऑर्गेनिक समीकंडक्टर लगाए थे, जिनको यूरिया या मेलामाइन की मदद से बड़े पैमाने पर बनाया जा सकता है.
जब सूरज की रोशनी इन सेमीकंडक्टर पर पड़ती थी तो इलेक्ट्रोन और होल्स पैदा होते हैं. फिर इलेक्ट्रोन से प्रोटोन बनते जो कि हाइड्रोजन बनाते हैं. वहीं होल्स को रासायनिक एजेंट जिन्हें 'बलि एजेंट' कहा जाता है वे ग्रहण कर लेते हैं. अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो होल्स जाकर फिर इलेक्ट्रोन में मिल जाते हैं. अब टीम जल्द से जल्द इस तकनीक का पेटेंट हासिल करना चाहती है.