भारतीय वायुसेना के सबसे बुजुर्ग और पूर्व पायलट स्क्वाड्रन लीडर (सेवानिवृत्त) दलीप सिंह मजीठिया का निधन हो गया है. वह द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय वायु सेना में शामिल हुए थे. उनकी उम्र 103 साल थी. मंगलवार तड़के उत्तराखंड के रुद्रपुर में उनका निधन हो गया. उनके साथी उन्हें प्यार से 'माजी' (Maji) कहते थे.
स्क्वाड्रन लीडर मजीठिया का निधन एक युग का अंत है जो अपने पीछे वीरता और समर्पण की विरासत छोड़ गए हैं. शिमला में जन्मे स्क्वाड्रन लीडर मजीठिया का भारतीय वायुसेना में सफर द्वितीय विश्व युद्ध के संघर्षों से भरे वर्षों के बीच शुरू हुआ. एविएशन के प्रति उनके जुनून के चलते वह 1940 में IAF वॉलंटियर रिजर्व में शामिल हुए.
ट्रेनिंग में मिली 'बेस्ट पायलट' की ट्रॉफी
हवाई युद्ध के सबसे चुनौतीपूर्ण वर्षों से भरे अपने करियर के दौरान स्क्वाड्रन लीडर मजीठिया ने Hurricanes और Spitfires जैसे विमानों में मिशनों को नेविगेट करते हुए 1,100 से अधिक घंटे की उड़ान भरी थी. लाहौर के वाल्टन में शुरुआती ट्रेनिंग स्कूल में प्रशिक्षण के दौरान उनके असाधारण टैलेंट ने उन्हें प्रतिष्ठित 'बेस्ट पायलट ट्रॉफी' दिलाई थी.
20 साल की उम्र में भरी पहली सोलो उड़ान
दलीप सिंह मजीठिया का जन्म 27 जुलाई 1920 को शिमला में हुआ था. उन्होंने 5 अगस्त 1940 को पहली बार ब्रिटेन के दो ट्रेनर्स के साथ लाहौर के वॉल्टन एयरफील्ड से टाइगर मोथ एयरक्राफ्ट में उड़ान भरी थी. इसके सिर्फ दो हफ्ते बाद ही उन्होंने पहली बार अकेले उड़ान भरी. तब उनकी उम्र सिर्फ 20 साल थी. भारतीय वायुसेना ने मंगलवार को अपने नायक को अंतिम विदाई दी.