आईएएस प्रोबेशनरी पूजा खेडकर के मामले में नया खुलासा सामने आया है. उनके खिलाफ फर्जी दिव्यांगता और जातीय दस्तावेज दिखाकर आईएएस की नौकरी हासिल करने का मामला चल रहा है. जिस अस्पताल ने उन्हें दिव्यांगता का सर्टिफिकेट जारी किया था, उसने किसी भी गड़बड़ी से इनकार किया है. साथ ही उनके माता-पिता के तलाक मामले में भी नया मोड़ सामने आया है.
यूपीएससी परीक्षा पास करने के लिए पूजा खेडकर ने जो भी दस्तावेज संस्थान को सबमिट किए थे, उसकी जांच चल रही है. इसी दौरान उन्होंने अलग-अलग इंटरव्यू के दौरान अपने माता-पिता के तलाक का दावा किया था. इस मामले की जांच के दौरान पता चला कि उनका यह दावा सच है लेकिन तलाक सिर्फ ऑन-पेपर हुआ था. इसके बाद वे दोनों साथ में ही रह रहे थे और यहां तक कि पूजा की मां मनोरमा खेडकर के नाम पर उनके पिता दिलीप खेडकर ने कई प्रॉपर्टी भी बना रखी है.
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दिव्यांगता सर्टिफिकेट का मामला
पुणे शहर के पीसीएमसी यानी पिम्परी चिंचवाड़ म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन द्वारा संचालित यशवंतराव च्वाण मेमोरियल हॉस्पिटल ने अगस्त 2022 में पूजा खेडकर को दिव्यांगता का सर्टिफिकेट जारी किया था. उन्होंने 2022 में अपने बाएं घुटने के जोड़ के विकलांगता सर्टिफिकेशन के लिए आवेदन दिया था.
अस्पताल में कई डिपार्टमेंट्स ने उनकी जांच की. इसके बाद अगस्त 2022 को उन्हें सर्टिफिकेट जारी किया गया, जिसमें उनके बाएं घुटने के जोड़ में सात फीसदी विकलांगता की बात कही गई थी. जिला अथॉरिटी ने यह भी कहा था कि अगर कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो इसपर मामला दर्ज कराया जाएगा. यह भी कहा गया था कि अगर इसमें कोई रैकेट भी पाया जाता है तो कार्रवाई की जाएगी.
अस्पताल ने स्पष्ट किया कि पूजा खेडकर को नियमों के तहत लोकोमोटर डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट जारी किया गया था. साथ ही अस्पताल अथॉरिटी ने कहा, "लेकिन यह प्रमाण पत्र शिक्षा या नौकरी में कोई सुविधा हासिल करने में मददगार नहीं होगा. इस प्रमाण पत्र का कोई महत्व नहीं है."
पूजा के माता-पिता का तलाक, लेकिन सिर्फ ऑन-पेपर
पूजा खेडकर ओबीसी रिजर्वेशन हासिल करने की भी आरोपी हैं और अपने मॉक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने अपने माता-पिता के तलाक का दावा किया था. केंद्र सरकार ने इस मामले में उनके खिलाफ जांच के आदेश दिए थे, और इस बात का पता लगाने को कहा था कि क्या सच में उनके माता-पिता का तलाक हो चुका है.
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पुणे पुलिस ने अपनी जांच में पाया कि दिलीप खेडकर और मनोरमा खेडकर ने 2009 में पुणे के एक फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दायर की थी. दोनों बच्चे (पूजा और पियूष) के अपनी मां के साथ रहने की बात कही गई थी. फैमिली कोर्ट ने 25 जून 2010 को दोनों के तलाक को मंजूरी दी थी. हालांकि, यहां ट्विस्ट ये है कि तलाक के बाद भी दिलीप और मनोरमा खेडकर साथ रह रहे थे.
पूजा खेडकर के माता-पिता पुणे के बनेर इलाके में एक बंगला में रह रहे थे, जो कि मनोरमा खेडकर के नाम पर है. दिलीप खेडकर एक सदस्य और मनोरमा के पति के रूप में घर का हिस्सा हैं. दिलीप खेडकर हालिया लोकसभा चुनाव में अहमदनगर साउथ सीट से उम्मीदवार थे, जिन्होंने अपने एफिडेविट में मनोरमा को अपनी पत्नी बताया था. उन्होंने अपनी पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी और एसेट्स का भी खुलासा किया था. पुणे पुलिस ने इस बात का भी पता लगाया कि मनोरमा और दिलीप खेडकर ने पति-पत्नी के तौर पर कुछ सार्वजनिक कार्यकर्मों में भी शिरकत की है.